Trump–Jinping Meeting: छह साल बाद आमने-सामने आए दुनिया के दो सबसे ताकतवर नेता, ट्रंप और जिनपिंग की हुई मुलाकात

नई दिल्ली: छह साल की दूरी, अनगिनत आरोप और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बाद आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग फिर आमने-सामने आए। दक्षिण कोरिया के बुसान में चल रहे APEC शिखर सम्मेलन में हुई यह मुलाकात वैश्विक राजनीति की दिशा तय कर सकती है। 2019 में जापान के ओसाका में हुई पिछली भेंट के बाद यह पहली बार है जब दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया। ऐसे में यह मीटिंग सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि वैश्विक समीकरणों को हिला देने वाली साबित हो सकती है।
दक्षिण कोरिया अमेरिका में 350 अरब डॉलर का करेगा निवेश
अमेरिका के राष्ट्रपति का ली के साथ बैठकों का उद्देश्य उस समझौते को अंतिम रूप देना है, जिसके तहत दक्षिण कोरिया अमेरिका में 350 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इस समझौते में अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क को 25 से घटाकर 15 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव रखा गया है। ट्रंप अपने सहयोगी देशों से लगातार रक्षा क्षेत्र में निवेश और आपसी साझेदारी को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
रक्षा क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण चर्चाएं होने की उम्मीद
ऐसे में, ट्रंप कीली के साथ रक्षा क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण चर्चाएं होने की उम्मीद है। दोनों नेता जहाज निर्माण में भी सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण समझौते कर सकते हैं। इस साल की शुरुआत में, दक्षिण कोरिया की जहाज निर्माण कंपनी हनवा ओशन ने अमेरिका में फिली शिपयार्ड का अधिग्रहण किया था। यह कंपनी अमेरिकी जहाज निर्माण में पांच अरब डॉलर के निवेश योजना बना रही है। ट्रंप ने बुसान में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा, ‘ चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि हमारे देश और दुनिया के लिए बहुत अच्छे परिणाम सामने आएंगे।’
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने टोक्यो में पत्रकारों से बात करते हुए मंगलवार को कहा था कि अगर चीन फेंटेनाइल बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के निर्यात को सीमित करने पर सहमत हो जाता है, तो अमेरिका चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर शुल्क कम कर सकता है। वर्तमान में यह शुल्क 20 प्रतिशत है।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप और शी के बीच आखिरी आधिकारिक मुलाकात 2019 में हुई थी। ऐसी स्थिति में दोनों के बीच यह भेंट दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में मदद कर सकती है। विशेषज्ञों ने हालांकि चेतावनी दी कि दोनों देश सभी व्यापार विवादों को पूरी तरह से हल नहीं कर पाएंगे। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने हाल ही में टैरिफ, टिकटॉक और दुर्लभ मृदा खनिज सहित प्रमुख मुद्दों को हल करने वाले एक ढांचे पर सहमति व्यक्त की है।



