PF से जल्दी पैसा निकालना पड़ सकता है महंगा, जानें क्या हैं नियम

नई दिल्ली: कई बार नौकरी बदलने या किसी इमरजेंसी में हमें अपने EPF (Employee Provident Fund) का पैसा निकालना पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपने PF 5 साल से पहले निकाला, तो उस पर टैक्स लग सकता है? EPF आम तौर पर एक टैक्स-फ्री स्कीम मानी जाती है, लेकिन इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें पूरी करनी होती हैं. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि EPF विड्रॉल पर टैक्स कब लगता है और कब नहीं.
EPF को ‘Exempt-Exempt-Exempt’ यानी EEE स्कीम कहा जाता है. इसका मतलब है कि आप जो पैसा इसमें जमा करते हैं, उस पर टैक्स नहीं लगता और निवेश पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स-फ्री होता है. इसके अलावा मैच्योरिटी पर मिलने वाली पूरी रकम भी टैक्स-फ्री होती है. बशर्ते कि आपने यह निवेश कम से कम 5 साल तक रखा हो. पुराने टैक्स सिस्टम में EPF में किए गए योगदान पर 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है. नए टैक्स सिस्टम में यह फायदा सिर्फ एम्प्लॉयर के योगदान पर लागू होता है.
EPF की रकम आप पूरी तरह तभी निकाल सकते हैं जब आप 55 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं, या फिर किसी वजह से नौकरी स्थायी रूप से छोड़ देते हैं जैसे स्वास्थ्य खराब होना, विदेश में बसना, या कंपनी का बंद हो जाना. कुछ मामलों में वॉलंटरी रिटायरमेंट या छंटनी के बाद भी PF निकालने की अनुमति मिलती है. हालांकि, EPF की पूरी रकम तब भी निकाली जा सकती है जब सदस्य कम से कम दो महीने तक बेरोजगार रह चुका हो.
अगर आपने 5 साल की लगातार सर्विस पूरी नहीं की है और EPF का पैसा निकालते हैं, तो उस पर TDS (Tax Deducted at Source) काटा जाता है. अगर आपने PAN दिया है, तो TDS की दर 10% होती है. अगर PAN नहीं दिया, तो यह दर करीब 34.6% हो जाती है. लेकिन कुछ परिस्थितियों में TDS नहीं काटा जाता, जैसे जब PF अकाउंट एक से दूसरे में ट्रांसफर किया जा रहा हो या जब आपकी नौकरी आपके कंट्रोल से बाहर की वजह से खत्म हुई हो, जैसे बीमारी या कंपनी बंद होना.



