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दुबई की लाखों की टैक्स फ्री सैलरी छोड़कर भारत लौटा ये शख्स, जानें क्यों UAE में नौकरी से की हाय-तौबा? खोला बड़ा राज़!

नई दिल्ली। दुबई और अबू धाबी में शानदार करियर और मोटी तनख्वाह पाना कई भारतीयों का सपना होता है लेकिन एक भारतीय पेशेवर ने इस सपने को त्याग कर वतन वापसी को चुना। हम बात कर रहे हैं प्रोडक्ट डिज़ाइनर एडविन नेट्टो (Advin Netto) की जो वर्तमान में बेंगलुरु में गूगल के लिए काम कर रहे हैं। एडविन ने हाल ही में अपनी कहानी सोशल मीडिया (Instagram) पर साझा की जिसमें उन्होंने बताया कि हर महीने ₹7.5 लाख (टैक्स फ्री) की मोटी सैलरी होने के बावजूद उन्होंने छह साल पहले अपनी नौकरी क्यों छोड़ दी।

तीन महीने में एहसास: मिडिल ईस्ट मेरे लिए नहीं

एडविन ने बताया कि अबू धाबी में उन्हें वर्क वीज़ा मिलने में पांच महीने लग गए थे लेकिन काम शुरू करने के सिर्फ तीन महीने बाद ही उन्हें एहसास हो गया कि मध्य पूर्व (Middle East) उनके लिए सही जगह नहीं है। इसके पीछे दो मुख्य कारण थे:

  1. कठोर और inflexible वर्क कल्चर

एडविन ने बताया कि यूएई का वर्क कल्चर उनकी अपेक्षाओं से काफी अलग था। एडविन ने कहा कि भारत में काम के परिणाम (Outcome) पर ज़ोर दिया जाता है न कि केवल हाजिरी (Attendance) पर। “मुझे अपने काम के लिए खुद जवाबदेह होने की आदत थी। वहां यह फ्लेक्सिबिलिटी (लचीलापन) नहीं थी। अगर मैं सुबह 9 बजे पंच नहीं करता तो हाफ डे लगा दिया जाता था।”

  1. डिजिटल प्रोडक्ट कल्चर की कमी

एडविन ने माना कि यूएई में बुनियादी ढांचे (Infrastructure) और भौतिक विकास पर शानदार काम हो रहा है लेकिन डिजिटल प्रोडक्ट कल्चर की बात वहां अभी भी नई है। उनका कहना था, “पैसे को लेकर नहीं, मानसिकता को लेकर दिक्कत थी।”

योग्यता को नज़रअंदाज़: लीडरशिप में कमी

एडविन ने यूएई के कॉर्पोरेट कल्चर की एक और बड़ी समस्या बताई जो उन्हें भारत लौटने के लिए मजबूर कर गई। एडविन के अनुसार यूएई में लीडरशिप (नेतृत्व) की कमी है। अक्सर टॉप रोल (शीर्ष पदों) पर स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जिससे काबिलियत को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। उन्होंने कहा, “ऐसे में अगर विषय के जानकार किसी व्यक्ति का फलना-फूलना मुश्किल हो जाता है।”

बचत के बावजूद वतन वापसी

एडविन ने स्वीकार किया कि आर्थिक रूप से यूएई में रहना बहुत फायदेमंद था। 30,000 AED (लगभग ₹7.5 लाख) प्रति माह कमाने वाले एडविन के लिए आरामदायक जीवन जीने का खर्च लगभग 10,000 AED था। इसका मतलब यह है कि मेरी हर महीने लगभग 20,000 AED (लगभग ₹4.5 लाख) की बचत हो रही थी।”

इतनी बड़ी बचत होने के बावजूद काम के माहौल और ग्रोथ की कमी के चलते एडविन ने भारत लौटने और यहां अपने करियर को आगे बढ़ाने का फैसला किया जहां वह अब गूगल जैसे बड़े संस्थान में काम कर रहे हैं। एडविन नेट्टो के इस फैसले से साफ है कि प्रोफेशनल ग्रोथ और वर्क कल्चर की गुणवत्ता, केवल सैलरी से ज़्यादा मायने रखती है।

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