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छोटी उम्र में बड़ी कामयाबी : मैथिली ठाकुर बनीं सबसे युवा विधायक

प्रियांशु बाजपेई

लखनऊ : कामयाबी की कोई उम्र नहीं होती और इसका सजीव उदाहरण हैं देश की प्रसिद्ध लोकगायिका 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर, जिन्होंने कम उम्र में अपनी प्रतिभा और मेहनत से वह मुकाम हासिल किया है, जहां पहुंचने का सपना लाखों लोग देखते हैं। हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मैथिली ने शानदार जीत दर्ज कर राजनीति में भी अपनी मजबूत शुरुआत की है।

अलीनगर सीट से मिली ऐतिहासिक जीत
14 तारीख को आए चुनाव परिणामों में मैथिली ठाकुर ने अलीनगर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने आरजेडी उम्मीदवार विनोद मिश्रा को 73,185 वोटों के बड़े अंतर से हराकर यह सीट अपने नाम की। इस जीत के साथ ही वह बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं।

संगीतमय पारिवारिक बैकग्राउंड
मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी गांव में हुआ था। उनके पिता रमेश ठाकुर पेशे से संगीत शिक्षक हैं और माता भारती ठाकुर गृहिणी हैं। उनके दो भाई ऋषव और अयाची भी संगीत में निपुण हैं और अक्सर मैथिली के साथ मंच साझा करते हैं।

होम-स्कूलिंग से दिल्ली विश्वविद्यालय तक
मैथिली की शुरुआती शिक्षा होम-स्कूलिंग के माध्यम से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से स्कूली पढ़ाई पूरी की। इंटर के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज से बी.ए. की डिग्री हासिल की।

बचपन से ही संगीत का शौक
मैथिली ठाकुर को बचपन से ही संगीत का गहरा शौक था। वे पढ़ाई के साथ-साथ रोज़ संगीत सीखने जाती थीं। उन्होंने अपने पिता और दादा से शास्त्रीय संगीत, भजन और लोकगीतों की विधिवत शिक्षा ली। बाद में उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, जहां उनकी मधुर आवाज और लोकगीतों के कारण उन्हें देशभर में अपार लोकप्रियता मिली। वे हारमोनियम, तबला, पियानो सहित कई वाद्ययंत्र भी बजाती हैं। उनके गीत भक्तिमय स्तोत्र, राम-सीता से जुड़े भजन, और ‘भगवती गीता’ एल्बम खास तौर पर चर्चित रहे हैं। मैथिली ठाकुर मैथिली, भोजपुरी, हिन्दी, संस्कृत, अवधी, ब्रज, पंजाबी, राजस्थानी सहित कई भाषाओं में गाती हैं। उनके प्रशंसक भारत ही नहीं, विदेशों में भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं।

राजनीति में कदम
अक्तूबर 2025 में मैथिली ठाकुर ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। पार्टी ने उन्हें पहली बार अलीनगर सीट से उम्मीदवार बनाया। दो चरणों में हुए चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत दर्ज करते हुए यह साबित किया कि प्रतिभा चाहे संगीत की हो या नेतृत्व की, उम्र उसकी सीमा तय नहीं कर सकती।

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