
नागरिकता प्रमाणपत्र की उलझन में फंसीं नेपाल की बेटियों का नहीं हो रहा सत्यापन
न तो बीएलओ बता पा रहे न ही अफसर
–नबी अहमद
रुपईडीहा (बहराइच) : भारत-नेपाल सीमा से सटे नवाबगंज, बलहा, रिसिया, नानपारा ब्लॉकों के पचपकरी, रंजीतबोझा, माधवपुर निदौना, शिवपुर मोहरनिया, निबिया, मनवरिया, केवलपुर, लछमनपुर, रानीपुरवा, गुलालडीह, संकल्पा, सहजना, जैतापुर, गंगापुर सहित दर्जनों गांवों में नेपाल से ब्याह कर आई बहुओं को आज भी सरकारी रिकॉर्ड में जगह नहीं मिल पा रही है। कई बहुओं के नाम 2003 की मतदाता सूची तक में शामिल नहीं हैं। सबसे बड़ी समस्या एसआईआर (सत्यापन/मतदाता पंजीकरण) के लिए आवश्यक नागरिकता प्रमाणपत्र की है। नेपाल का जन्म प्रमाणपत्र भारत में मान्य नहीं होता। भारत के बाहर जन्मी महिला को नागरिकता संबंधी प्रमाणपत्र काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से प्राप्त करना पड़ता है, जो अधिकांश ग्रामीण परिवारों के लिए बेहद कठिन प्रक्रिया है।
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के पाँचवें कॉलम में नागरिकता प्रमाण को परिभाषित नहीं किया है। नागरिकता प्रमाणपत्र क्या होगा और कैसे जारी होगा, इस पर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। ऐसे में बीएलओ भी इस जनसमस्या का कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रहे हैं। सीमा क्षेत्र की विशेष सामाजिक संरचना भी इस समस्या को और गहरा बनाती है। नेपाल के मधेश क्षेत्र और भारतीय सीमावर्ती गांवों में एक ही बिरादरी के लोग रहते हैं। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और अनुसूचित जातियां। वर्षों से भारतीय बेटियां नेपाल में बहू हैं और नेपाल की बेटियां भारतीय गांवों में। लेकिन जन्मस्थान का प्रमाणपत्र न होने से नेपाल की बेटियों को भारत में एसआईआर और मतदाता पंजीकरण नहीं मिल पा रहा।
इस गंभीर जनसमस्या पर जब उपजिलाधिकारी नानपारा मोनालिसा जौहरी से बात की गई, तो उन्होंने अपने ऑपरेटर का नंबर भेजने की बात कही, लेकिन तय समय के बाद भी नंबर उपलब्ध नहीं कराया। जिलाधिकारी बहराइच से संपर्क करने पर उनके स्टेनो ने मीटिंग का हवाला देकर बात कराने का आश्वासन दिया। जो पूरा नहीं हुआ। वहीं एडीएम बहराइच का फोन भी संपर्क में नहीं आया। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से लंबित यह समस्या आज भी समाधान की प्रतीक्षा में है, जबकि इससे हजारों परिवार प्रभावित हैं। प्रशासनिक उदासीनता के कारण आमजन अब भी स्पष्ट दिशा और राहत की उम्मीद में भटक रहे हैं।



