मध्य प्रदेश

‘ग्रीन कवर को नष्ट करना विकास नहीं विनाश ‘, बिना अनुमति के एक भी पेड़ नहीं काटे जाएंगे, हाईकोर्ट ने लगाई लताड़

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में गुरुवार को याचिका क्रमांक 46565/2025 पर हुई सुनवाई में राज्य में बड़े पैमाने पर हो रही पेड़ों की कटाई पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा एवं न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने राज्य सरकार और संबंधित विभागों को कड़े निर्देश जारी किए।

सुनवाई के दौरान विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से स्वीकार किया गया कि बीते समय में पेड़ कटाई को लेकर कई गड़बड़ियां हुईं और फिलहाल ‘वृक्ष प्रत्यारोपण नीति’ राज्य में उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण कई कार्य अस्पष्ट नियमों के तहत किए गए। सरकार ने बताया कि विकास परियोजनाओं के लिए अब तक बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं और कुछ पेड़ों की कटाई तथा ट्रांसप्लांटेशन का प्रस्ताव अब भी बाकी है।

अदालत ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है जिसमें अब तक काटे गए पेड़ों की संख्या, प्रस्तावित कटाई व ट्रांसप्लांटेशन का विवरण, ट्रांसप्लांट किए जाने वाले पेड़ों के गंतव्य, हरित आवरण पुनर्स्थापना की योजना तथा नए लगाए जाने वाले पौधों की संख्या, प्रजाति, आयु एवं स्थान का पूरा ब्योरा शामिल होना अनिवार्य होगा। सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना की ओर से अधिवक्ता हरप्रीत सिंह गुप्ता ने तर्क दिया कि भोपाल नगर निगम में वृक्ष अधिकारी अपने अधिकार अवैध रूप से अन्य अधिकारियों को सौंप रहे हैं, जो मप्र वृक्षों का परिरक्षण अधिनियम 2001 तथा नगर पालिक अधिनियम 1956 के अनुरूप नहीं है।

अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि वृक्ष अधिकारी की नियुक्ति केवल 2001 के अधिनियम के तहत ही मान्य होगी और किसी अन्य अधिकारी को शक्ति हस्तांतरण स्वीकार्य नहीं है। कोटर् ने ट्रांसप्लांटेशन संबंधी तस्वीरें देखकर तीखी नाराज़गी व्यक्त की और कहा कि मौजूदा प्रक्रिया संरक्षण के उद्देश्य को विफल करती है। न्यायालय ने राज्य को तत्काल ‘वृक्ष प्रत्यारोपण नीति’ तैयार करने का भी निर्देश दिया।

इसी दौरान एक दैनिक समाचार पत्र की हालिया रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए अदालत ने सागर जिले में कथित रूप से 1,000 पेड़ों की कटाई पर भी कठोर रुख अपनाया और जिला कलेक्टर को वास्तविक कटाई व पुनरोपण की जानकारी के साथ शपथपत्र देने का निर्देश दिया है। रेलवे विभाग ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि परियोजना के लिए 8,000 नहीं बल्कि 435 पेड़ काटे गए हैं।

विभाग ने यह दावा भी किया कि अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन संबंधित नियम प्रस्तुत न कर पाने पर अदालत ने उन्हें समय दिया। अदालत ने अगली सुनवाई तक पूरे मध्यप्रदेश में बिना अनुमति पेड़ कटाई, छंटाई और ट्रांसप्लांटेशन पर रोक लगा दी है। कोई भी अनुमति तभी दी जा सकेगी जब हृत्रञ्ज द्वारा गठित समिति तथा संबंधित वृक्ष अधिकारी दोनों की पूर्व स्वीकृति प्राप्त हो। अदालत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता है और पेड़ों की अवैध कटाई किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।

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