EPFO का बड़ा फैसला: नौकरी बदलने पर 60 दिन तक नहीं मानी जाएगी सर्विस ब्रेक

नई दिल्ली: EPFO ने नियमों में अहम संशोधन करते हुए नौकरी बदलने की प्रक्रिया को ज्यादा सुरक्षित और कर्मचारी-हितैषी बना दिया है। EPFO के नए नियमों के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी एक नौकरी छोड़ने के बाद दूसरी नौकरी 60 दिनों के भीतर ज्वाइन करता है, तो इस अवधि को उसकी सेवा में रुकावट नहीं माना जाएगा। यानी अब नौकरी बदलने के दौरान कुछ दिनों या हफ्तों का अंतर होने पर भी कर्मचारी की सर्विस लगातार मानी जाएगी। इससे पीएफ रिकॉर्ड और बीमा लाभ सुरक्षित रहेंगे।
बीमा दावों में बड़ी राहत
इस फैसले का सबसे अहम असर एम्प्लॉयी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) योजना पर पड़ेगा। नए प्रावधान के तहत, अगर किसी EPFO सदस्य की मृत्यु आखिरी पीएफ योगदान के 60 दिनों के भीतर हो जाती है और वह कंपनी के रिकॉर्ड में कर्मचारी के रूप में दर्ज था, तो उसके परिवार को बीमा राशि देने से इनकार नहीं किया जाएगा। पहले सर्विस ब्रेक का हवाला देकर ऐसे कई दावे खारिज कर दिए जाते थे।
वीकेंड और छुट्टियां अब ब्रेक नहीं
नौकरी बदलते वक्त बीच में आने वाले शनिवार, रविवार या सरकारी छुट्टियों को भी अब सेवा में अंतर नहीं माना जाएगा। पहले अगर कोई कर्मचारी शुक्रवार को नौकरी छोड़ता था और सोमवार को नई कंपनी ज्वाइन करता था, तो इन छुट्टियों को ब्रेक मान लिया जाता था। दुर्भाग्यवश यदि इस दौरान कोई हादसा हो जाता था, तो परिवार EDLI योजना के लाभ से वंचित रह जाता था। नए नियम इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर देंगे।
न्यूनतम बीमा राशि में इजाफा
EPFO ने बीमा सुरक्षा को और मजबूत करते हुए न्यूनतम बीमा राशि को लेकर भी बड़ा निर्णय लिया है। अब ऐसे कर्मचारियों के परिवारों को भी कम से कम 50,000 रुपये का बीमा लाभ मिलेगा, जिन्होंने मृत्यु से पहले 12 महीने की निरंतर सेवा पूरी नहीं की हो या जिनके पीएफ खाते में 50,000 रुपये से कम बैलेंस हो। पहले ऐसे मामलों में परिवारों को बेहद कम या कोई सहायता नहीं मिल पाती थी।
क्यों बदले गए नियम
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सामने ऐसे कई मामले आए थे, जहां नौकरी बदलने के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो गई, लेकिन तकनीकी नियमों की वजह से उनके परिवार को बीमा सुरक्षा नहीं मिल सकी। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए EPFO ने नए सर्कुलर के जरिए नियमों को सरल और मानवीय बनाया है।
कर्मचारियों के लिए मजबूत सामाजिक सुरक्षा
EPFO का यह कदम न सिर्फ नौकरीपेशा लोगों के लिए भरोसे की बड़ी खबर है, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी सुरक्षा कवच साबित होगा। नियमों में यह बदलाव यह सुनिश्चित करता है कि किसी कर्मचारी के निधन के बाद उसके परिजनों को बीमा लाभ पाने के लिए अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसे सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक अहम और सकारात्मक पहल माना जा रहा है।



