उत्तर प्रदेशराज्यवाराणसी

काशी में क्रिसमस का संदेश : शांति, एकता और प्रेम से रोशन होगा नववर्ष 2026

वाराणसी के कैथोलिक धर्मप्रांत का आह्वान, घृणा नहीं, करुणा बने समाज की पहचान

सुरेश गांधी

वाराणसी : शांति रहे, एकता रहे, भाईचारा बना रहे और हर मन में प्रेम का प्रातःकाल हो, इसी सार्वभौमिक संदेश के साथ वाराणसी का कैथोलिक धर्मप्रांत प्रभु यीशु मसीह के जन्मोत्सव (क्रिसमस) और आने वाले नववर्ष 2026 का स्वागत कर रहा है। धर्मप्रांत की ओर से काशीवासियों सहित समस्त देशवासियों को आशा, शांति और सौहार्द से भरे नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दी गईं।कैथोलिक डिओसस ऑफ वाराणसी के बिशप एवं धर्मप्रांत यूजीन जोसेफ ने अपने हाउस में पत्रकारों से कहा कि प्रभु यीशु का जन्म यह स्मरण कराता है कि परमेश्वर हर मनुष्य के निकट है, विशेषकर उन लोगों के, जो कमजोर, वंचित और संघर्षरत हैं। क्रिसमस हमें यह भी सिखाता है कि इमैनुएल, ईश्वर हमारे साथ, मानव जीवन में प्रवेश कर चुका है और उसने मानव पीड़ा, आशाओं और संघर्षों को स्वयं अपनाया है।

उन्होंने कहा कि आज की दुनिया विस्थापन, आर्थिक असमानता, पर्यावरणीय संकट और सामाजिक तनाव से जूझ रही है। ऐसे समय में क्रिसमस का पर्व समाज को निराशा से ऊपर उठने, घृणा को अस्वीकार करने और सभी धर्मों व समुदायों के बीच करुणा, संवाद और मेलजोल को मजबूत करने का संदेश देता है। काशी, जो सदियों से आध्यात्मिक समरसता की भूमि रही है, आज फिर उसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।

24 दिसंबर को सेंट मैरी चर्च में मुख्य नाइट मास
वाराणसी की कलीसिया विश्वभर के ईसाई समुदायों के साथ मिलकर प्रार्थना, सादगी और सामाजिक उत्तरदायित्व के भाव से क्रिसमस की तैयारी कर रही है। इस अवसर पर मुख्य नाइट मास 24 दिसंबर 2025 को रात 10ः30 बजे सेंट मैरी कैथोलिक चर्च में आयोजित की जाएगी। इसमें देश और पवित्र काशी नगरी में शांति, न्याय और सद्भाव के लिए विशेष प्रार्थनाएँ होंगी। 25, 26 और 27 दिसंबर को भी विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जबकि क्रिसमस पर्व का समापन परंपरानुसार 2 जनवरी को होगा।

सेवा ही सच्ची आस्था की पहचान
यूजीन ने स्पष्ट किया कि उसकी आस्था केवल उपासना तक सीमित नहीं, बल्कि सेवा कार्यों में प्रकट होती है। गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों की सेवा के मार्ग पर विभिन्न धर्मों के श्रद्धालु मित्रता और सहयोग के साथ चल सकते हैं। यही क्रिसमस का सच्चा संदेश है, मानवता सबसे बड़ा धर्म। जोसेफ ने कहा कि क्रिसमस हमें करुणा, सत्य और जिम्मेदारी का मार्ग दिखाता है। काशी की विविधता उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। हम प्रार्थना करते हैं कि आने वाला वर्ष 2026 शांति, न्याय और भाईचारे का वर्ष बने, जहाँ हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन, सभी धर्मों के लोग सम्मान और प्रेम के साथ एक-दूसरे का हाथ थामकर आगे बढ़ें। धर्मप्रांत ने पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि आज के समय में पत्रकारिता समाज को दिशा देने वाली अपरिहार्य शक्ति है। इसके माध्यम से ही शांति, एकता और सत्य का संदेश जन-जन तक पहुँचता है।

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