fluoride water: पुरुष हो रहे नपुंसक और महिलाएं बांझ
एजेन्सी/ आंतों में अल्सर, पुरुषों में नपुंसकता व महिलाओं में बार-बार गर्भपात होकर बांझपन का शिकार होने का कारण है फ्लोराइड…
भूमिगत पानी में पाए जाने वाले तत्त्वों की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाए तो कई रोगों का खतरा हो सकता है। ऐसी समस्या के शिकार राजस्थान के कुछ हिस्से हैं। यहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी अधिक है कि शरीर में विभिन्न प्रकार की विकृतियां पैदा हो रही हैं।
पश्चिमी राजस्थान अधिक प्रभावित
सामान्य तौर पर पीने योग्य पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक से डेढ़ मिग्रा. प्रति लीटर तक हानिकारक नहीं होती है। पश्चिमी राजस्थान का रेगिस्तान वाला हिस्सा ही अधिक है, जो प्रकृति के प्रकोप को लगातार झेलता रहा है। यहां के अधिकांश गांवों में पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है। इससे दांत, आंत, रीढ़ की हड्डी व शरीर के सभी जोड़ों पर इसका दुष्प्रभाव दिखाई देने लगता है। दांतों में फ्लोराइड का जमाव 2-3 वर्ष के 50 प्रतिशत बच्चों में शुरू हो जाता है। इसी प्रकार 4-8 साल के बच्चों के खोखले दांत पूर्ण रूप से गिर जाते हैं। राजस्थान के जालोर, सांचोर, नागौर, चूरू, पाली के कई भागों में ऐसे मरीज बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं।
जोड़ों का दर्द
फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से लोग जोड़ों के असहनीय दर्द के शिकार हो जाते हैं। इससे रीढ़ की हड्डी में फ्लोराइड जमना शुरू हो जाता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति में आंशिक व पूर्णतया कूबड़ की आशंका रहती है।
नसों में शिथिलता
फ्लोराइड युक्त पानी पीते रहने के कारण रीढ़ की हड्डी में जमाव के कारण स्पाइनल कॉर्ड व इसकी नसों पर दबाव बढऩे से हाथ-पैरों की नसों में शिथिलता आ जाती है व मरीज लकवे का शिकार हो जाता है व बाकी उम्र उसे बिस्तर पर गुजारने को मजबूर होना पड़ता है। आंतों में अल्सर, पुरुषों में नपुंसकता व महिलाओं में बार-बार गर्भपात होकर बांझपन का शिकार होने का कारण भी यही फ्लोराइड बनता है।
बचाव ही उपाय
इन बीमारियों से निजात पाने के लिए बचाव ही एकमात्र उपाय है। राजीव गांधी ड्रिंकिंग वाटर मिशन क्षेत्र के गांवों में फ्लोराइड रहित पानी पहुंचाने का कार्य कर रहा है। इनका मिशन गांव में बरसात के पानी को संग्रह कर उसे शुद्ध करके पीने योग्य बनाना है।
फ्लोराइड से निजात
फ्लोराइड युक्त पानी को शुद्ध करने के लिए आईआईटी कानपुर व यूनीसेफ द्वारा विकसित यंत्र जिसका खर्च मात्र 1500 रुपए है। इन्होंने गांव-गांव में उपलब्ध करवाकर इसकी उपयोगिता की जानकारी दी ताकि फ्लोराइड रहित पानी सर्वत्र उपलब्ध हो सके। जिन हैंडपंपों, कुओं या अन्य भूमिगत स्त्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है, उन्हें बंद कराकर पीने योग्य पानी की योजना बनाई जाए।
पानी का संग्रह
गांव के हर घर में बरसात के पानी का संग्रह करने के लिए हौद या टांका बनाया जाए और वर्षभर इसी पानी का प्रयोग किया जाए। सावधानी इस बात की रखने की आवश्यकता है कि इस जल को भी पूर्णत: शुद्ध रखा जाए। इसे कीड़े -मकोड़े और अन्य विषाणुओं व विषैले पदार्थों से बचाने के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
शल्यक्रिया की जरूरत
जो मरीज रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन के कारण लकवे के शिकार हो जाते हैं, उनका एकमात्र उपचार सर्जरी है। सावधानी व सजगता से लोगों को कूबड़ और आंशिक विकलांगता से बचाया जा सकता है।