मोदी को जवाब देंगे मुलायम और अखिलेश
लखनऊ (दस्तक ब्यूरो)। लोकसभा चुनाव को अभी लगभग छह महीने हैं, लेकिन भाजपा की ओर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद सियासी सरगर्मी धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी है। दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में रैली कर केंद्र सरकार और खासकर कांग्रेस पर मोदी ने जोरदार हमले शुरू कर दिए हैं। नमो के तेवर देख कांग्रेस, सपा, बसपा, वामदल समेत दूसरे दलों ने भी बंद कमरों में मंथन शुरू कर दिया है।
वहीं, मोदी की रैली और कार्यक्रमों में जुटने वाली भीड़ दूसरी पार्टियों में बेचैनी पैदा कर रही है। बात अगर यूपी की करें तो इसका असर यहां की सियासत में भी महसूस होने लगा है। यूपी मोदी के खास एजेंडे में है। बहराइच और कानपुर में मोदी की रैलियां होनी है। पार्टी कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज हैं।
वहीं प्रदेश की सपा सरकार भी मोदी की रैलियों से पहले अपनी तैयारी में जुट गई है। हाल ही में मुजफफरनगर में हुए दंगे और बाद में मेरठ की हिंसा से अखिलेश सरकार की खूब किरकिरी हुई। किसी तरह डैमेज कंट्रोल के बाद अब सपा मोदी की प्रदेश में होने वाली रैलियों का जवाब देने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। अखिलेश सरकार यूपी में अपने डेढ़ साल पूरे कर चुकी है। हालांकि इस दौरान सपा के अपने लोग ही अखिलेश के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे। कई बार पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह तक को सख्त भाषा में सरकार को हिदायत देनी पड़ी। हाल के मुजफफरपुर दंगे में पार्टी के वरिष्ठ मुस्लिम नेता आजम खां ने भी कुछ मुश्किलें सरकार के सामने खड़ीं की। उन पर दंगों कोलेकर उंगली उठी।
मोदी की रैली 19 अक्तूबर को कानपुर में होनी है। रैली को लेकर कई मुश्किलें खड़ी की गईं। पहले जिस कानपुर के जिस रेलवे स्टेडियम में रैली होनी थी, उसे रेलवे ने अपनी मंजूरी नहीं दी। भाजपा ने रेल मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल पर रैली में खलल डालने का आरोप लगाया। अब फिलहाल जब रैली तय हो चुकी है। सपा ने भी मोदी को जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। उसी कड़ी में सपा प्रमुख और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पांच अक्तूबर को इटावा और मैनपुरी में रैली करेंगे। सूत्रों के मुताबिक देश में मोदी की हवा को देखते हुए सपा भी अपने गढ़ से मोदी को जवाब देने के लिए कमर कस रही है।