शुक्रवार को रामनवमी का संयोग, आज है स्वयंसिद्ध मुहूर्त
15 अप्रेल 2016 को शुक्रवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2073, संवत्सर नाम: सौम्य, अयन: उत्तर, शाके: 1938, हिजरी: 1437, मु.मास: रज्जब-7, ऋतु: बसंत, मास: चैत्र, पक्ष: शुक्ल है।
शुभ तिथि
नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि रात्रि 10.03 तक, तदन्तर दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। नवमी तिथि में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं, पर शुक्रवार को रामनवमी भी है। जो पर्व तिथि है, अपने आप में स्वयंसिद्ध है। अत: अनेक शुभ कार्यों के लिए सिद्ध तिथि मानी गई है।
इस दिन अनेक कार्यों के लिए अनबूझ सिद्ध मुहूर्त है। दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि तो वैसे ही शुभ होती है। नवमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धनवान, दानी, कीर्तिवान, विद्यावान, कला-कुशल, तपस्वी, देवताओं की पूजा करने वाला तथा शत्रुनाशक होता है।
नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र अपराह्न 3.36 तक, तदुपरान्त अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़कर सभी चर-स्थिर कार्य, शान्ति, पुष्टता, वास्तु तथा अन्य उत्सव संबंधी समस्त कार्य शुभ होते हैं।
अश्लेषा नक्षत्र में शत्रुनाश, व्यापार, साहस, अग्निविषादिक असद् कार्य, चौर्य और कूट-कपट के कार्य सिद्ध होते हैं। पुष्य नक्षत्र में जन्मा जातक बुद्धिमान, होशियार, धर्मपरायण, परोपकारी, सुन्दर, मेधावी, गुरु-अतिथि प्रेमी, प्रशासनीय कार्यों में दक्ष।
सामान्य रूप से कवि, लेखक, पत्रकार अधिवक्ता व अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करते हैं। इनका भाग्योदय लगभग 35 वर्ष की आयु तक होता है।
योग
धृति नामक नैसर्गिक शुभ योग दोपहर 12.27 तक, तदुपरान्त शूल नामक नैसर्गिक अशुभ योग रहेगा। शूल योग की प्रथम पांच घटी शुभ कार्यों में त्याज्य हैं।
विशिष्ट योग
दोष समूह नाशक रवियोग नामक शुभयोग अपराह्न 3.36 से तथा ज्वालामुखी नामक अशुभ योग रात्रि 10.03 से।
करण
बालव नाम करण प्रात: 9.41 तक, तदन्तर कौलवादि करण रहेंगे।
चंद्रमा
सम्पूर्ण दिवारात्रि कर्क राशि में रहेगा।
परिवर्तन
प्रात: 8.25 पर हर्शल रेवती के चतुर्थ चरण में प्रवेश करेगा।
व्रतोत्सव
शुक्रवार को श्री रामनवमी, मेला रामनवमी, बसन्त नवरात्रा पूर्ण, स्वामी नारायण जयंती, मेला महावीर जी प्रारम्भ। नौवें नवरात्रा पर मां भगवती सिद्धिदात्री की आराधना का विधान है। यह महादुर्गा की नौवीं शक्ति है। समस्त साधनाओं में सिद्धि प्राप्ति करने के लिए भगवती सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है।
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार शुक्रवार को विपणि-व्यापारारम्भ, वाहनादि क्रय करना, मशीनरी-कलकारखाना प्रारम्भ करना, प्रसूतिस्नान, जलवा (अनबूझ), रामनवमी का अनबूझ स्वयंसिद्ध मुहूर्त है तथा अति आवश्यकता में गृहप्रवेश का (चैत्रमास दोष) अशुद्ध मुहूर्त है। सभी मुहूर्त पुष्य नक्षत्र में हैं।
वारकृत्य कार्य
शुक्रवार को सामान्यत: नृत्य-वाद्य-गीत-कलारम्भ, सांसर्गिक कार्य, धन संबंधी कार्य, भूमि क्रय-विक्रय, नवीन वस्त्राभूषण धारण व कृषि संबंधी कार्य करने चाहिए।
दिशाशूल
शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।