कंजक स्पेशलः पूरी, हलवा, चने के इस त्योहार का इंतजार करती है हर छोटी कन्या
एजेन्सी/ नई दिल्ली: मुझे आज भी याद है कंजक मेरे पंसदीदा त्योहारों में से एक हुआ करता था, यहां तक की आज भी मेरा फेवरिट ही है। हलवे की मीठी खुशबू, तेल में फ्राइ ताज़ी पूरी और चनों के सूखे मसाले की खुशबू मुझे आज भी सोते हुए उठा देती है। और अलग चेहरे पर एक अलग-सी स्माइल खुद-ब-खुद दिखने लगती है। आज सुबह भी मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ। मेरे चेहरे की खुशी देख मम्मी मुझे बताने लगतीं कि मैं कंजक के लिए अब बड़ी हो चुकी हैं, लेकिन कंजक के खाने के लिए मैं आज भी छोटी हूं। बस, अपनी पुराने दिनों को याद करते हुए मैं बालकनी की ओर निकल गई और रेलिंग से नीचे देखने लगी। हाथ में प्लास्टिक के बैग लिए छोटी-छोटी लड़कियां और लड़कों देख बहुत अच्छा लग रहा था। खुशी-खुशी घर में जा रहे थे। बहुत ही आदार के साथ लोग घर में उनका स्वागत कर रहे थे, उन्हें गर्म खाना, कीमती गिफ्ट और पैसे दे कर उनकी पूजा कर रहे थे।
जानें कंजक का महत्व?
नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जिसमें नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री। कंजक नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन मनाई जाती है। यह देवी को आभार प्रकट करने का बहुत ही पवित्र तरीका है। परंपरा और मेरी दादा के अनुसार, घर की महिलाएं नौं कन्याओं का पैर धोकर घर में स्वागत करती हैं। उसके बाद उनकी कलाइयों पर मोली (कलावा, लाल धागा) बांधते हैं। इन कन्याओं को एक लाइन में बैठाकर इन्हें हलवा, पूरी और चने (जिसे भोग कहा जाता है) कई तरह के गिफ्ट्स के साथ दिए जाते हैं। इन गिफ्ट्स में पेंसिल, हेयल क्लिप, कपड़े, फैंसी प्लेट आदि दिए जाते हैं। यह छोटी कन्याओं जो अभी बड़ी नहीं हुई होती, उन्हें देवी का ही रूप माना जाता है।
पौराणिक जड़
कहा जाता है कि देवी महाकाली द्वारा दानव कालासुर को मारने की खुशी में कंजक मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि दानव कालासुर ने स्वर्ग और धरती पर अत्याचार करने शुरू कर दिए थे और उसके इस अत्याचारों को कोई नहीं हरा सका। कालासुर को रोकने के लिए कई देवताओं ने देवी महाकाली के सामने प्रस्ताव रखा, जिन्होंने मां दुर्गा के रूप में फिर से जन्म लिया था। उन्होंने एक छोटी कन्या का रूप धारण कर कालासुर से उसके गार्ड को नीचे रखने को कहा। ऐसे में देवी महाकाली ने अपनी तलवार निकाली और कालासुर को मार गिराया।
कंजक पर क्या करें?
पारंपरिक रूप से कंजक वाले दिन आपको सात से नौं छोटी कन्याओं को खाना खिलाना होता है, लेकिन कुछ सालों से यह संख्या कम होती जा रही है। अब, छोटे लड़के भी इस का हिस्से बन गए हैं, और सुबह के समय कन्याओं का पूरा साथ देते हैं। मेरी दादी का आज भी यही मानना है कि छोटी कन्याएं घर और परिवार के लिए खुशीयां लाती हैं और अगर आपको ज़्यादा कन्याएं नहीं मिलती, तो एक कन्या को ढूंढ कर उसे खाना खिलाएं दें, बाकि प्रसाद को ट्रैफिक लाइट्स या फिर मंदिर में जाकर दे आएं। कंजक कोई पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ने वाला त्योहार नहीं है, लेकिन इसे मनाने का मुख्य सार यह है कि घर की लड़की को प्यार किया जाए, उसे इज्जत दी जाए और उसे बराबर समझा जाए।
कंजक रेसिपी
अगर इससे पहले आपने कभी कंजक नहीं मनाई है और आप त्योहार का हिस्सा बनना चाहते हैं (भले ही धार्मिक रूप से नहीं, बल्कि फूड के लिए), तो आप नीचे दी गई रेसिपी से घर में ही ये स्वादिष्ट डिश बना सकते हैं।
हलवाः नीरू गुप्ता के द्वारा बनाया गया सूजी का हलवा, जिसमें इलायची का फ्लेवर दिया जाता है और कटे हुए बादामों से गार्निश किया जाता है। अगर आप चाहें तो इसमें पिस्ता और किशमिश भी डाल सकते हैं।
सूजी का हल्वा
शेफः नीरू गुप्ता
चार लोगों के लिए
बनाने में लगने वाला समयः आधा घंटा
सूजी और चीनी से तैयार किए जाने वाले हल्वा में इलायची और बादाम को गार्निशिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
सामग्रीः
सूजीः एक कप
चीनीः एक कप
पानीः चार कप
घीः आधा कप
हरी इलायची पाउडरः ¼ छोटा चम्मच
बादामः एक बड़ा चम्मच (उबाल कर काटे हुए, गार्निशिंग के लिए)
विधिः
एक गहरे और भारी पैन में घी पिघाल लें। उसमें सूजी डालकर मीडियम या हल्की आंच पर फ्राई करें। वहीं, एक दूसरे पैन में पानी में चीनी पिघालें। ह्लकी आंच पर रखकर छोड़ दें। जब चीनी पूरी तरह घुल जाए, तो इसे आंच से उतार लें। जब सूजी हल्के भूरे रंग की हो जाए और पैन पर न चिपके, तो इसमें तैयार किए चीनी के सिरप को डालें। साथ ही इलायची डालकर एक बार उबाल लें। मिक्सचर जब पानी पूरी तरह सोख ले, तो निकाल कर गार्निशिंग करें। सर्व करें। ध्यान रहे आपको मिक्सचर लगातार चलाते रहना है।
पूरीः इन फूली हुई पूरी को गोल्डन ब्राउन और फूलने तक फ्राइ करें और कंजकों को सर्व करें।
पूरी
शेफः किशोर दी रेड्डी
बनाने में लगने वाला समयः 45 मिनट
देश में सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली पूरी। गेंहू के आटे को गूंथकर छोटी बॉल्स बनाई जाती है। गोल बेलकर उन्हें गोल्डन फ्राइ होने तक फ्राई किया जाता है। इन्हें अपनी पसंदीदा सब्जी और आचार के साथ सर्व कर सकते हैं।
सामग्रीः
गेंहू का आटाः 250 ग्राम
सूजीः 75 ग्राम
तेलः 30 मिली
नमक
तेलः डीप फ्राई करने के लिए
विधिः
सभी सामग्री को मिलाकर टाइट गूंथ लें। कुछ मिनट गूंथने के बाद आधे घंटे के लिए रख दें। 25 ग्राम की बॉल्स बनाकर उन्हें बेलन की मदद से गोल बेल लें। गहरी कढ़ाई में तेल गर्म कर लें और उसमें उसमें पूरी डालें। पूरी के अच्छे से फुलने तक चम्मच से उसके ऊपर तेल डालते रहें। हल्के हाथ से उन्हें पलट दें और गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राइ करें। करी और आचार के साथ गर्मा-गर्म परोसें।
काले चना रेसिपीः पूरी, हलवा के साथ सूखे चने बनाए जाते हैं। आप भी घर पर एक बार जरूर ट्राई करें।
सूखे काले चने
शेफः नीरू गुप्ता
बनाने में लगने वाला समयः आधा घंटा
चटपटे मसालों के साथ पके हुए काले चने खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। नवरात्रे पर पूजा के बाद मिलने वाले प्रशाद में इन्हें ही बनाया जाता है। गर्म पूरी के साथ यह और भी टेस्टी लगते हैं।
सामग्रीः
काला चनाः एक कप (चार-पांच घंटे भिगी हुई)
काला नमकः 1 ½ छोटा चम्मच (साधारण नमक या सेंधा नमक भी यूज़ कर सकते हैं)
जीराः एक छोटा चम्मच (भुना-पीसा)
नींबू का रसः स्वादानुसार
धनिया पाउडरः आधा छोटा चम्मच
अदरकः थोड़ी-सी कटी हुई
अमचूरः आधा छोटा चम्मच
गरम मसालाः आधा छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडरः एक चुटकी
तेलः एक बड़ा चम्मच
पानीः आधा कप
विधिः
चने को अच्छे से धोकर साफ पानी में उबाल लें। प्रेशर कूकर में एक सीटी के बाद बंद कर दें। उसका पानी निकाल कर ठंडा होने दें। पैन में तेल गर्म कर लें और उसमें अदरक डालकर फ्राई करें। नींबू के रस को छोड़कर बाकि के बची हुई सामग्री चने के साथ डाल दें और दो मिनट तक पकाएं। ऊपर से नींबू का रस डालकर सर्व करें। आप अपने स्वाद के अनुसार मसाला डाल सकते हैं।