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वायरल वीडियो : IIT छात्राओं ने दी होने वाली दुल्हनों को ‘चेतावनी’

iit-m_650x400_61460975487चेन्नई: हिन्दुस्तान में दुल्हनों से क्या-क्या उम्मीदें रखी जाती हैं, इसका जवाब सभी जानते हैं, लेकिन इस बार आईआईटी मद्रास की तीन छात्राओं ने एक म्यूज़िक वीडियो में इस सवाल का ऐसा जवाब दिया है कि सबकी बोलती बंद कर दी… और ज़ाहिर है, वीडियो वायरल हो गया…

कनाडाई पॉपस्टार कार्ली राई जैप्सन (Carly Rae Jepsen) के सुपरहिट गीत ‘कॉल मी मेबी’ (Call Me Maybe) की तर्ज पर तैयार किए गए गीत ‘बी अवर पोन्डाटी’ (Be Our Pondati) में उन मांगों का मज़ाक उड़ाया गया है, जो ‘वैवाहिक विज्ञापनों’ के नाम पर ‘दुल्हन खोजते योग्य युवकों और उनकी मांओं’ द्वारा की जाती हैं… आपकी जानकारी के लिए तमिल भाषा में ‘पोन्डाटी’ का अर्थ पत्नी होता है…

कैम्पस में ही चल रही एक प्रतियोगिता के लिए तैयार किए गए इस वीडियो को पिछले दो हफ्ते में तीन लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है…

Be Our Pondati (Call Me Maybe Parody)

वीडियो बनाने वाली स्नातकोत्तर की इन छात्राओं से पूछा गया कि क्या यह वीडियो निजी अनुभवों पर आधारित है, तो उनका जवाब था, “नहीं…”

वीडियो में दिखाई दे रही कृपा वर्गीज़ ने कहा, “लिंग को लेकर (समाज में) भेदभाव है… पुरुषों के लिए अलग नियम हैं, महिलाओं के लिए अलग नियम हैं… हम इसे चुनौती दे रहे हैं…”

यह वीडियो ‘घरेलू लड़कियों’ से लेकर शॉर्ट नहीं पहनने वाली लड़कियों तक को चेता रहा है कि जल्द ही ऐसा वक्त आएगा, जब उनसे ‘गोल चपातियों के सैम्पल जमा करने’ के लिए कहा जाएगा, और फिर वे तुरंत ही बच्चे पैदा करने के काम में लगा दी जाएंगी…

इस गीत को लिखने और गाने वाली अस्मिता घोष का कहना था, “बहुत अच्छा हो, अगर ये सब बातें सोची ही न जाएं, या फिर ऐसा वक्त आए, जहां पुरुष किसी महिला को छह अंकों के उसके वेतन के लिए पसंद करे, या महिला किसी पुरुष को गोल-गोल चपातियों के लिए मंजूरी दे…”

आईआईटी की जिस प्रतियोगिता के लिए यह वीडियो बनाया गया था, उसका नतीजा तो आना बाकी है, लेकिन वीडियो तैयार करने वाली टीम को इंटरनेट पर दर्शकों से ‘इनाम’ मिल ही चुका है… टीम की तीसरी सदस्य अनुकृपा एलान्गो ने कहा, “मैं बहुत एक्साइटेड हूं… लेकिन हैरान ज़्यादा हूं… मैं सोचती रहती हूं, बस, हो गया… जितना चलना था, चल चुका… इससे ज़्यादा और क्या चलेगा… मैं तो ऑनलाइन 3,000 बार देखे जाने पर ही एक्साइट हो गई थी… और अब हम सिर्फ यही सोच रहे हैं कि यह कब कम होगा…”

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