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ओडिशा का एक कस्बा ऐसा भी, जहां हर रोज लगता है ‘कर्फ्यू’

एजेंसी/ sun_1462176428ओडिशा के भुवनेश्वर से 450 किलोमीटर दूर तीतलगढ़ इन दिनों अघोषित कर्फ्यू झेल रहा है। कर्फ्यू न प्रशासन ने लगाया है, न किसी पुलिस ने बल्कि ये कर्फ्यू गर्मी की वजह ले लगा हुआ है। सुबह के 10.30 बजे तक लोग अपनी दुकान बंद कर देते हैं और 11 बजे तक सड़के विरान हो जाती हैं। अपनी दुकान बंद कर जा रहे रोहित जैन बताते हैं कि ‘कोई पागल ही होगा जो जलते सूरज  में चलेगा। इतना ही नहीं पशु भी छाजनों में रहते हैं।’ दूसरे मौसमों में तीतलगढ़ की बाजार 10.30 बजे खुलती है। तीतलागढ़ देश के सबसे गर्म स्थानों में से एक है। इस बेदर्द गर्मी में यहां के लोग घर में बंध कर ही रहते हैं। 

60 हजार लोगों वाले इस कस्बे का नाम भी यहां के मौसम पर पड़ा है। ततला का मतलब संभलपुरी बोली में ‘बहुत गर्म’ होता है। इस साल अप्रैल में यहा का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से 48.5 डिग्री सेल्सियस तक था। कस्बे का अब तक सबसे गर्म दिन था 2003 में जून 3 को जब यहां का तापमाम 50.1 तक रिकार्ड किया गया था। इस कस्बे के लोगों को अपना काम निपटाने के लिए समय में बंध कर रहना पड़ता है। सुबह के समय वो 10.30 से पहले और शाम को 6 बजे के बाद ही अपना काम निपटाते हैं।

तीतलागढ़ के निवासी मनीष मांझी का कहना है ‘इस गर्मी हम लोगों ने खुद पर कर्फ्यू लगा रखा है’। बीते अनुभवों से हम समझ चुके हैं और गर्मी के दौरान शादी अथवा किसी अन्य तरह का कार्यक्रम के आयोजन की नहीं सोचते। बालनगिर जिले में स्थित इस कस्बे का करीब 14.7% हिस्सा जंगल है फिर भी पेड़ इस गर्मी में नहीं बच पाते हैं। बालनगिर के प्रभागीय वन अधिकारी  रश्मि रंजन नायक का दावा है कि केवल 40 प्रतिशत पेड़ ही बच पाएं हैं। उन्होंने कहा कि बावजूद इसके कि वो हर साल पौधारोपण करते हैं फिर भी जगह गर्म ही रहती है।

 

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