कश्मीर से पहला IITian बना शकील, फीस भरने के नहीं हैं पैसे
एंजेंसी/ जम्मू। 19 साल के शकील अहमद ने आईआईटी-जेईई की संयुक्त प्रवेश परीक्षा पास करके अपने गांव और मां का नाम रोशन किया है। वह शागुंड गांव का पहला लड़का है, जो इंजीनियर बनने जा रहा है। दो कमरों के घर में रहने वाले शकील के परिवार में चार सदस्य हैं और वे बकरियों के साथ जगह साझा करते हैं।
वह बहुत गरीबी में पढ़ा है। शकील बताते हैं कि जब एक कमरे में बकरियां हों और दूसरे कमरे में आपको परिवार के साथ रहना भी और पढ़ना भी हो, तो यह काफी मुश्किल हो जाता है। सेना और सेंटर फॉर सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी की मदद से शकील ने आईआईटी एडवांस एग्जाम को पास किया है। मगर, इसके बावजूद अभी भी शकील के भविष्य पर सवालिया निशान लगा है।
दरसअल, उसके पास न तो आईआईटी एडवांस या एनआईटी श्रीनगर में पढ़ने के लिए फीस देने के पैसे नहीं हैं। उसका चयन कश्मीर के सुपर 30 प्रोग्राम के लिए किया गया था। इस कार्यक्रम में चुने गए गरीब लेकिन होशियार छात्रों को एकेडमिक ट्रेनिंग फ्री में मुहैया कराई जाती है। इसके दम पर उसने जेईई पास कर लिया।
शकील कहता है कि वह आईआईटी एडवांस में जाने के लिए योग्य है, लेकिन उसने इसमें नहीं जाने का फैसला किया है क्योंकि उसके पास पैसे नहीं हैं। शकील ने एनआईटी की परीक्षा भी पास कर ली है, लेकिन उसके पास उसकी फीस देने के पैसे भी नहीं हैं। वह कहता है कि 1.25 लाख रुपए वार्षिक फीस है, जिसे मैं वहन नहीं करता।
आप हमारी माली हालत देख सकते हैं। चार साल में फीस के लिए छह लाख रुपए कहां से लाएंगे। नौ साल पहले पिता की मौत हो गई थी। घर के खर्च चलाने के लिए शकील और उसके भाई को काम करना पड़ता था। मगर, उसकी मां फरीदा ने उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए जोर दिया।
बच्चों की फीस भरने के लिए उन्होंने अपनी पारंपरिक पीरन भी बेच दी थी। वह कहती हैं कि अब हम क्या कर सकते हैं। यदि कोई हमारी मदद करे… बच्चे की फीस भर दे। हम उसकी फीस नहीं भर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह कश्मीर के यूथ आईकन और आईएएस 2010 बैच के टॉपर शाह फैसल से मिलकर उनसे मदद मांगेगी।