भारतीय सेना में कम किए जाएंगे सैनिक
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एंजेंसी/ नई दिल्ली। भारतीय थल सेना, अपने स्टाफ का आकार कम करने की तैयारी कर रही है। फौज में सैनिकों की संख्या को कम किया जाएगा। इसके लिए नॉन कॉम्बैट (लड़ाई में शामिल न होने वाले फौजी) सेक्शन में स्टाफ किया जाएगा।
थलसेना अध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक टीम बनाकर उसे सेना की कार्यप्रणाली का अध्ययन करने तथा खर्च कम करने का कार्य सौंपा है। सेनाध्यक्ष चाहते हैं कि थलसेना का आकार सही तथा रणनीतिक हो। गौरतलब है कि इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी सेना का आकार घटाने की बात कह चुके हैं।
थलसेना अध्यक्ष द्वारा गठित टीम सेना में कॉम्बैट और नॉन कॉम्बैट सैनिकों का अनुपात लॉजिकल करना चाहती है। अभी सेना की एक डिवीजन में 14 हजार जवान होते हैं और उन्हें सपोर्ट देने के लिए 3 हजार लॉजिस्टक स्टाफ रहता है। इस संख्या को सही एवं आनुपातिक बनाना है।
टीम अपने अध्ययन में इस बात पर फोकस करेगी कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके, उसका बेहतर इस्तेमाल कॉम्बैट फोर्स के लिए कैसे किया जा सकता है।
सेना के मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम की भी जांच की जाएगी। कम्युनिकेशन स्किल्स पर फोकस किया जाएगा।
हथियारों की जांच और सिविलियन वर्क फोर्स को कम करना भी इस स्टडी का अहम हिस्सा होगा।
सेना इस कवायद के जरिए अपना खर्च कम करना और काबिलियत बढ़ाना चाहती है। अगस्त के अंत तक टीम अपनी रिपोर्ट सेनाध्यक्ष को सौंप देगी।
एक नजर भारतीय थल सेना के आकार पर
- फिलवक्त थल सेना का संख्याबल 10 लाख 2 हजार है।
- खास बात ये है कि सेना में 49,631 अफसर रखना भी जरूरी है।
- फिलहाल सेना में 9,106 अफसरों की कमी है।
इन ब्रांच की होगी स्क्रूटनी
- मिलिटरी इंजीनियर सर्विसेस
- डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस
- डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ डिफेंस एस्टेट एंड द ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड