एजेंसी/ न्यूज़ दिल्ली : दिल्ली में एक नाबालिग स्टूडेंट द्वारा सुसाइड करने का मामला सामने आया है. छात्रा ने परिक्षा में फेल हो जाने की वजह से ऐसा कदम उठाया है. परीक्षा में फ़ैल हो जाने की वजह से परेशान थी लेकिन जाते- जाते उसने अपनी जिंदगी ख़त्म कर दूसरों की पीड़ा दूर कर दी. उसने अपने अंग दान कर दिए.
17 वर्षीय स्टूडेंट ने सुसाइड नोट में लिखा कि उसके जाने के बाद उसके अंग दान कर दिए जाएं. पास हूंगी तो ही जिन्दा रहूंगी. मेरी आखरी इच्छा है कि मेरे जाने के बाद मेरे शरीर के अंग दान कर दिए जाएं. पापा आप गुस्सा कम करना. बहन तुम ठीक से पढना. भाई तू ठीक से पढाई में मन लगाना. फ्यूचर की डॉक्टर रीमा सूद.
बीती 10 मई को 17 वर्षीय रीमा सूद ने मौत को गले लगाने से पहले कुछ इस तरीके से अपने मन की बात को कागज के पन्ने पर उतारा और फिर अपनी जान दे दी. जिसकी वजह थी उसका परिक्षा में फेल हो जाना. रीमा दिल्ली के शक्ति नगर कन्या विद्यालय में 11वीं क्लास में पढाई कर रही थी. उसका सपना था की वह डॉक्टर बने. मंगलवार को उसका रिजल्ट आया था. वह केमस्ट्री के पेपर में फेल हो गई थी. वो अपना रिजल्ट कार्ड लेकर घर आई. चुपचाप घर के बाथरूम में गई और वहां जाकर खुदकुशी कर ली. घटना के पुलिस मोके पर पहुंची और छानबीन करने पर उसके कमरे से दो पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ.
पुलिस ने रीमा के पिता राजेश कुमार को बताया कि आपकी बेटी ने खुदकुशी के पहले एक सुसाइड नोट लिखा था. जिसमें उसने मौत के बाद उसके अंग दान करने की बात कही है. सीमा का सपना डॉक्टर बनने का था, लेकिन वो डॉक्टर नहीं बन पाई. उसे शरीर के अंगो की अहमियत अच्छे से पता थी. रीमा के पिता राजेश दिल्ली के पटेल चेस्ट हॉस्पिटल में फैकेल्टी ऑफ़ मेडिकल साइंस में जॉब करते हैं. रीमा ने मरने के बाद जो ख्वाहिश जाहिर की थी.
उसके पिता ने उसे पूरा कर दिया. रीमा के पिता राजेश ने बताया कि उसकी अंतिम इच्छा को घरवालों ने पूरा सम्मान दिया है. उसके अंग दान करने के लिए डॉक्टरों से बात की. मगर आंखों के सिवाय कोई अंग देर हो जाने की वजह से काम का नहीं रहा. रीमा ने मरने से पहले अपनी नोटबुक में अपनी आंखों की एक तस्वीर बनाई और उस पर रीमा लिख दिया था. घर में उसकी मां का रो-रो कर बुरा हाल है. भाई-बहन रीमा के चले जाने के बाद गुमसुम बैठे हैं. पिता राजेश रह-रह कर अपने आंसु नहीं रोक पा रहे हैं.