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पीएम मोदी ने गुरुद्वारे में मत्था टेक कर की ईरान यात्रा की शुरुआत – दस खास बातें
- तेहरान स्थित मेहराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ईरान के वित्त एवं आर्थिक मामलों के मंत्री अली तायेबनिया ने भारतीय प्रधानमंत्री की अगवानी की। पीएम मोदी एयरपोर्ट से सीधे तेहरान स्थित भाई गंगा सिंह साहेब गुरुद्वारे के लिए रवाना हो गए, जहां उन्होंने भारतीय मूल के लोगों से भी मुलाकात की।
- गुरुद्वारे में मत्था टेकने के बाद प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों को अपने संबोधन में कहा, ‘गुरुद्वारे जाकर ईरान यात्रा की शुरुआत करना… हम भारतीयों में यह खासियत है। हम सभी को स्वीकार और हर किसी के साथ आत्मसात करते हैं।’
- अब सोमवार की सुबह पीएम मोदी की ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ औपचारिक बैठक होनी है। इससे पहले मोदी का रस्मी स्वागत किया जाएगा। रूहानी मेजबान प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज भी आयोजित करेंगें। पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेइ से भी मिलेंगे।
- पीएम की इस यात्रा के दौरान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ईरान के चाबहार पोर्ट के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है।
- ऊर्जा संपन्न ईरान की अपनी पहली यात्रा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी इस खाड़ी देश की यात्रा का मकसद प्रतिबंध के बाद उसके साथ संपर्क, व्यापार, निवेश तथा ऊर्जा भागीदारी को मजबूत करना है। पीएम मोदी ने अपनी यात्रा से पहले ट्वीटर पर कई संदेशों के जरिये कहा कि कनेक्टिविटी बढ़ाना, व्यापार, निवेश, ऊर्जा भागीदारी, संस्कृति तथा लोगों का लोगों के साथ संपर्क हमारी प्राथमिकता है।
- पीएम मोदी ने कहा कि रूहानी सहित ईरान के शीर्ष नेताओं के साथ बैठकों से ‘हमारी रणनीतिक भागीदारी’ को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति रूहानी तथा ईरान के सम्मानित शीर्ष नेता के साथ हमें रणनीतिक भागीदारी को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।’
- ईरान के पश्चिम एशियाई विश्लेषक हसन नौरियन का मानना है कि इस दौरे का सबसे अहम पहलू चाबहार पोर्ट सिटी में निवेश एवं ईरान में पेट्रोकेमिकल व यूरिया खाद कारखाने का निर्माण है।
- साल 2014 के मई में भारत और ईरान ने संयुक्त रूप से एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया था कि जब ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे तो दोनों संयुक्त रूप से चाबाहर बंदरगाह का निर्माण करेंगे। दोनों पक्ष बंदरगाह पर भारत को दो डॉक 10 साल के लिए लीज पर देने को राजी हुए थे। यह ऐसा कदम है, जिससे भारत के कच्चे तेल और यूरिया आयात की परिवहन लागत 30 फीसदी कम हो जाएगी।
- चाबहार पोर्ट के पहले चरण के विकास के लिए समझौते पर हस्ताक्षर के साथ साथ भारत-ईरान से तेल आयात दोगुना करने की भी सोच रहा है। कुछ साल पहले ईरान उसका दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था। इसके साथ ही वह ईरान में एक विशाल गैस क्षेत्र के विकास के लिए अधिकार हासिल करना चाहता है। चाबहार बंदरगाह पर हस्ताक्षर के समय भारत के सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहेंगे।
- चाबहार पोर्ट ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है और यह भारत के लिए काफी रणनीतिक महत्व रखता है। यह फारस की खाड़ी के बाहर स्थित है और भारतीय पश्चिमी तट से इस पर आसानी से पहुंच बनाई जा सकती है। इसके जरिये भारत को पाकिस्तान के बाहर- बाहर अफगानिस्तान तक पहुंचने का रास्ता बना सकेगा। अफगानिस्तान के साथ भारत के नजदीकी सुरक्षा और आर्थिक संबंध हैं।