रिपोर्ट में हुआ खुलासा, देश में बिक रहा 68 फीसदी दूध मिलावटी
उन्होंने कहा, दूध में मिलावट का पता करने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने एक ऐसा यंत्र विकसित किया है, जिसकी लागत 70 हजार रुपये है। इससे एक टेस्ट पर महज 5-10 पैसे खर्च आता है।
मौजूदा समय में देश के 50 जगहों पर इस यंत्र का इस्तेमाल हो रहा है। मिल्क कलेक्शन सेंटर और हाउसिंग सोसाइटी जैसी जगहों पर इसका उपयोग करके बेहतर परिणाम पाए जा सकते हैं। उन्होंने इसके लिए राज्य सरकारों के साथ ही उनके पशुपालन विभागों को भी पत्र लिखा है।
इसे रोकने के कारगर उपायों के लिए अटलांटा के वैज्ञानिकों से संपर्क किया गया है। केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा, स्वच्छ भारत मिशन के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। मानसून के बारे में भविष्यवाणी का सटीक सिस्टम भी विकसित किया है। छात्रों को दी जाने वाली फेलोशिप में 50 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि विज्ञान के प्रोत्साहन के लिए सरकार काफी काम कर रही है। बच्चों के लिए हर साल नेशनल साइंस कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें क्लाइमेट चेंज जैसे विषयों पर भी चर्चा होती है। साइंस एक्सप्रेस ट्रेन से देश के लाखों बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।