एजेंसी/आनंदीबेन ने ‘आज तक’ से बातचीत में मुख्यमंत्री पद को लेकर कहा कि फैसला मेरी पार्टी करेगी, कोई एक व्यक्ति तय नहीं करेगा. आनंदीबेन ने कहा कि 2017 में पाटीदार बीजेपी के लिए कोई फैक्टर नहीं है. पाटीदार मेरे साथ ही हैं. आइए जानते हैं आनंदीबेन ने और क्या-क्या कहा…
आपकी सरकार के दो साल कैसे देखते हैं?
आनंदीबेन- कामयाब रहे या ना रहे, ये मूल्याकंन गुजरात की प्रजा करेगी. ये मूल्यांकन में नहीं करूंगी क्योंकि कोई भी सरकार काम करती है तो प्रजा के हित के लिए ही करती है. विवाद जो लोग खड़ा करते हैं, जो 15-20 साल से सरकार में नहीं है. वापस सरकार में आएंगे या नहीं ऐसे लोग विवाद खड़ा करते हैं. बाकी जनता कि तरफ से कोई विवाद खड़ा हो गया हो और राज्य सरकार ने मांग पूरी नहीं की हो ऐसा नहीं है. इसलिए में जरूर कहूंगी राज्य सरकार ने पिछले 15 साल में जितने काम किए हैं इतने काम किसी राज्य ने नहीं किया है. इसलिए गुजरात राज्य को मॉडल स्टेट के तौर पर गिना जाता है. पिछले दो साल में भी कई नई योजनाए बनाईं.
कांग्रेस का आरोप है कि वादे किए लेकिन पूरे नहीं किए?
आनंदीबेन- कांग्रेस बताए मुझे कि कौन सा वादा पूरा किया और कौन सा वादा पूरा नहीं किया.
कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी कहते हैं कि जो नर्मदा बांद कि योजना या एजुकेशन इंस्टीट्यूट है वो सब कांग्रेस के शासन में हुए हैं?
आनंदीबेन- वो पहेले देखें कि नर्मदा बांध कि हाइट आपके वक्त में 95 मिटर तक पहुंची थी, इसी के बाद जो हाइट बनाई पूरा काम किया, नर्मदा कि केनाल के लिए जो जमीन का संपादन किया ये पूरा काम बीजेपी सरकार ने किया है. भरत सिंह को पता नहीं है क्योंकि वो सरकार में नहीं हैं. आपके समय में 95 मिटर से बढ़ाने के लिए नरेंद्र भाई को 72 घंटो का उपवास पर बैठना पड़ा था. ये भुल गए क्या, जब हाईट बीजेपी सरकार ने पूरी कर दी लब गेट लगाने के लिए हम 2008 से महेनत कर रहे थे, लेकिन तब भी मंजूरी नहीं मिली. अगर मंजूरी मिलती तो 2012 में गेट का काम पूरा कर देते और पूरे राज्य में आज जो पानी की कमी महसूस करते हैं वो नहीं होती. उन लोगों ने काम नहीं किया नरेंद्र भाई प्रधानमंत्री बने और उन्होंने 17 दिन में फाईल पर साईन कर दिए.
आपकी सरकार पर आरोप लगता है कि आप लोग ऐसी योजना करते हैं जिसमें भ्रष्टाचार होता है?
आनंदीबेन- वो अपने भ्रष्टाचार कि बात पहले मुझे बताएं कि कहां भ्रष्टाचार हुआ. बात करना और भ्रष्टाचार साबित करना अलग बात है. उसके सबूत देना अलग बात है.
गुजरात को एक मॉडल स्टेट के तोर पर देखा जाता है, लेकिन विधानसभा में जो आंकड़ें रखे जाते हैं…?
आनंदीबेन- माना ये हमारी सरकार के आंकड़ें हैं मैं बताती हूं कि हमने एक साल पहले चिंतन शिविर किया था. यूनीसेफ वाले आकंड़ें दिखा रहे थे, मैंने पूछा कि ये आंकड़ें कौन से साल के हैं तो वो 2003-04 के थे. चिंतन शिविर 2015 में था, लेटेस्ट आकंड़ें आने चाहिए. आकंड़ें 10 साल के बाद ही आते हैं. आज गुजरात कि स्थिति अलग है.
दो साल आपकी सरकार को हुए बीजेपी आला कमान को एक रिपोर्ट पेश की गई जिसमें गुजरात में आपके काम से खुश नहीं है?
आनंदीबेन- आपने रिपोर्ट देखी? आपके पास रिपोर्ट है तो मुझे बताएं. ना मेरी पार्टी के पास रिपोर्ट है, लोग चर्चा करते होंगे कि रिपोर्ट दे दी है और आपके सामने प्रश्न खड़ा होता है. मैं दिल्ली जाती हूं तो तुंरत मीडिया शुरू हो जाता है कि इस की वजह से बुलाया है. वास्तव में हम मीटिंग के लिए जाते हैं. न ही हमें ऐसे कार्यक्रम के लिए बुलाया जाता.
ऐसी क्या बात है कि लोग आपके लिए ऐसी बातें करते हैं?
आनंदीबेन- आप ही प्रश्न उठाते हैं ओर आप ही प्रश्न का जवाब देते हो. मैं भी स्केरसिटी की मीटिंग के लिए दिल्ली गई थी. प्रधानमंत्री ने बुलाया था. नितिन भाई वहां नीट के लिए गए थे. नितिन भाई कि नीट के बारे में, दूसरी ओर प्रधानमंत्री ने स्केरसिटी कि मीटिंग बुलाई थी.
नितिन भाई प्रधानमंत्री से मिले थे?
आनंदीबेन- नितिन भाई प्रधानमंत्री से नहीं मिले थे.
सवाल मीटिंग में प्रधानमंत्री से क्या बातचीत हुई?
आनंदीबेन- स्केरसिटी के बारे में मेरी बात हुई.
फिर बार-बार ये बात क्यों आती है कि आप हरियाणा या पंजाब कि गवर्नर बन रही हैं?
आनंदीबेन- ये मैं नहीं उठाती हूं. ना मेरे कार्यकर्ता उठाते हैं और मीडिया में आ जाता है कि इसके लिए आनंदीबन को बुलाया है.
हम मान लें कि आप बतौर मुख्यमंत्री गुजरात में ही रहेंगी?
आनंदीबेन- मैं कहीं नहीं जाऊंगी. मैं गुजरात में ही रहने वाली हूं.
जिस तरह से विवाद हुआ है?
आनंदीबेन- विवाद को विवाद में रहने दो. विवाद विवाद ही होता है. अफवा अफवा ही होती है. इसमें कोई सत्यता नहीं होती है. ये अफवा ही है.
फिर अफवाह कौन फैलाता है?
आनंदीबेन- मुझे नहीं मालूम.
आपके साथ बेटी को सरकारी जमीन देने का विवाद जो जुड़ा था?
आनंदीबेन- फिर वही प्रश्न माफ करो आप लोग. जिस में कुछ नहीं है सब कुछ बता दिया है, फिर भी आप वही प्रश्न पूछ रहे हैं. मुझे दुख होता है.
कांग्रेस ये आरोप लगा रही है कि आपकी सरकार आपके बेटा-बेटी चला रहे हैं?
आनंदीबेन- मेरे बेटे-बेटी ने मेरा ऑफिस तक नहीं देखा है.
बीजेपी में आपके विरोध में बहुत बातें होती हैं कभी आपने नरेंद्र भाई से इस मामले में बातचीत की है?
आनंदीबेन- ये मेरा मामला है. मैं क्यों बताऊं आपको. मैं जो भी बातचीत करती हूं मैं क्यों बताऊं राज्य सरकार कि पॉलिसी की बात करते हैं. संगठन का मामला मैं क्यों बताऊं.
आप जिस पाटीदार समुदाय से आती हैं उसने आरक्षण की मांग को लेकर आपके खिलाफ पिछले दिनो बगावत कर दी?
आनंदीबेन- वो बगावत नहीं थी, उसे बगावत नहीं कहना चाहिए. वो एक मांग थी. समाज में जितने लोग हैं वो चाहे टीचर हों, किसान या डॉक्टर हों उन्होंने सरकार के सामने मांग रखी.
एक 21 साल के लड़के हार्दिक पटेल ने आपको आरक्षण पर सोचने पर मजबूर कर दिया?
आनंदीबेन- आज क्या स्थिति है, पाटीदार समाज भी समझ गया कि हम लोगों ने गलत किया.
हार्दिक जेल के अंदर रह कर आपको नुकसान पहुंचा रहा हैं, अगर बाहर रहता तो कम नुकसान पहुंचाता?
आनंदीबेन- कोई नुकसान नही पहुंचा रहा है. चौरासी कि सीट हम जीत गए. तलाला की सीट भी 14 साल के बाद हम जीत गए. वहां पर भी पटेल थे. 27 नगरपालिका हम जीते. जिसमें पटेल समुदाय था, 2017 में इस का असर होगा ऐसे नहीं हे, ये समझदार लोग हैं. पार्टी को भी समझते हैं और सरकार का काम भी समझते हैं. तो ये आने वाले समय में हमें कोई नुकसान नहीं होगा.
मतलब 2017 में पाटीदार फैक्टर नहीं होगा?
आनंदीबेन- ये उपचुनाव में नहीं हुआ तो 2017 में कहां होगा.
आपके लिए पॉलिटिकल थ्रेट कौन है?
आनंदीबेन- मेरा काम सिर्फ गुजरात कि प्रजा का काम करने का है. मैं वो काम चुपचाप करती हूं कोई नेता हो या कोई भी उनका काम है प्रजा कि सेवा करना वो मैं करती रहती हूं. मैं नहीं मानती कि मेरे सामने कांग्रेस थ्रेट है, या समाज थ्रेट है.
2017 में क्या आपको मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान सकते है?
आनंदीबेन- मैं इस का जवाब नहीं दूंगी, क्योंकि इस का जवाब मेरी पार्टी या मेरा संगठन ही दे सकता है.
जिस कि उम्र 70 के पार हो जाती है उन्हें मार्गदर्शक मंडल में रखा जाता है?
आनंदीबेन- अच्छा है कि मार्गदर्शक मंडल में रखा है.
तो क्या आप मार्गदर्शक मंडल में जाएगी?
आनंदीबेन- ऐसी मेरी कोई क्वालिटी नहीं है कि मार्गदर्शक मंडल में मुझे रखें.
2017 में मुख्यमंत्री पद के दावेदार कौन?
आनंदीबेन- वो चिंता आप ना करें समय आएगा सब तय हो जायेगा.
आनंदीबेन- नरेंद्र मोदी ने भारी बहुमत के साथ अब तक के गुजरात में चुनाव जीते थे. क्या 2017 में आप जीत पाएंगी?
आनंदीबेन- बिल्कुल
क्या पाटीदार फैक्ट का असर होगा?
आनंदीबेन- पाटीदार फैक्टर का कोई असर नहीं होगा, वो हमारे साथ ही रहने वाली हैं.
2017 में आपको बतौर मुख्यमंत्री देखेंगे, किसी राज्य के गवर्नर के तौर पर देखेंगे, या संगठन में देखेंगे?
आनंदीबेन- में फिर से वही जवाब दूंगी जो तैय करना है वो पार्टी को तैय करना है. जो जिन्मेदारी मुझे सौंपी गई है वो जिन्मेदारी में निभाऊंगी. मैंने कभी मांग नहीं कि है कि मुझे शिक्षामंत्री बनाओ, संगठन में रखो.
2017 के चुनाव में रणनीति क्या रहेगी?
आनंदीबेन- हमारी रणनीति किसी को बताने के लिए नहीं होती है. हमारा काम चलता रहता है. आज भी देखिए हमारे कई कार्यक्रम चलते रहते हैं. ऐसा नहीं है कि चुनाव आया संगठन का काम करो, सरकार का काम करो. हमारा काम ये करो वो करो ऐसा नहीं है. हमारा काम चुनाव हो या न हो, काम चलता ही रहता है.
आपकी और अमित शाह कि नहीं बनती है?
आनंदीबेन- वो बार-बार गुजरात थोड़ी ना आते हैं. जब भी वो आते हैं हम मिलते है. मीटिंग करते हैं. बातचीत होती है. वो जो बताते हैं हम वो काम करते हैं.