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डायबिटीज मरीजों को लेकर रिसर्च में बड़ा खुलासा, रोजाना इंसुलिन लेने से हो सकती है ये खतरनाक बीमारी

नई दिल्‍ली : दुनियाभर में करोड़ों लोग डायबिटीज (Diabetes) की समस्या से जूझ रहे हैं. डायबिटीज आमतौर पर दो तरह की होती है. टाइप 1 डायबिटीज में मरीजों के शरीर में इंसुलिन (Insulin) बनना या तो बंद हो जाता है या बहुत कम मात्रा में बनता है. टाइप 2 डायबिटीज में मरीजों के शरीर में इंसुलिन तो बनता है लेकिन वह रजिस्टेंस की वजह से सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता. दोनों ही कंडीशन में मरीजों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए हर दिन इंसुलिन की डोज लेनी पड़ती है. एक हालिया स्टडी में टाइप 1 डायबिटीज और इंसुलिन को लेकर खुलासा हुआ है. इस बारे में जान लीजिए.

एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को हर दिन इंसुलिन की डोज लेने से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. डॉक्टर की सलाह के अनुसार डायबिटीज के मरीजों को दिन में कई बार इंसुलिन की डोज इंजेक्शन या पंप के जरिए लेनी होती है. ऐसा करने से टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को कई तरह के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. हालांकि डायबिटीज और कैंसर (diabetes and cancer) का सीधा कोई कनेक्शन नहीं है. अभी यह पता करना बाकी है कि आखिर इंसुलिन और कैंसर (insulin and cancer) का क्या कनेक्शन है. डॉक्टर की सलाह पर ही डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन की डोज लेनी चाहिए. ओवरडोज़ लेना भी खतरनाक हो सकता है.

तेजी से बढ़ रहे टाइप 1 डायबिटीज के मामलेपिछले दिनों सामने आई है एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि साल 2040 तक दुनियाभर में टाइप 1 डायबिटीज के मामलों की संख्या दोगुना हो जाएगी. साल 2021 में T1D के मरीजों की संख्या करीब 84 लाख थी, जो साल 2040 में 1.74 करोड़ हो जाएगी. स्टडी में यह भी बताया गया था कि वर्तमान समय में टाइप 1 डायबिटीज से जूझ रहे 15 लाख लोगों की उम्र 20 साल से भी कम है. जबकि 54 लाख लोगों की उम्र 20 से 59 साल के बीच है. डायबिटीज कम उम्र के लोगों को भी अपनी चपेट में ले रही है.

क्या लाइलाज बीमारी है टाइप 1 डायबिटीज?जानकारों की मानें तो टाइप 1 डायबिटीज को इलाज के जरिए पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. ब्लड शुगर को कंट्रोल करके मरीज किसी भी गंभीर स्थिति से बच सकते हैं. ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवा और इंसुलिन की डोज लेनी पड़ती है. ऐसे मरीजों को समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिए. लापरवाही बरतना महंगा पड़ सकता है.

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