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‘कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए भारत को ‘ए’ ग्रेड’, बिल गेट्स ने की प्रशंसा

नई दिल्ली : माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक, अरबपति व परोपकारी बिल गेट्स ने कुपोषण की समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत को “ए” ग्रेड दिया है। गेट्स ने साक्षात्कार में कहा, “भारत यह मानता है कि पोषण संबंधी कुछ संकेतक उसकी अपेक्षा से कमजोर हैं। इस तरह की स्पष्टता और इस पर ध्यान केंद्रित करना, मुझे लगता है कि बहुत प्रभावशाली है।”

बिल गेट्स ने कहा कि भारत किसी भी अन्य सरकार की तुलना में इस मुद्दे (कुपोषण) पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह सार्वजनिक भोजन प्रणाली और मध्याह्न भोजन प्रणाली का उपयोग फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए कर रहा है, लेकिन यह अब भी एक बड़ी समस्या है।” उन्होंने कहा, “मैं इस समस्या पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत को ए ग्रेड दूंगा।”

गेट्स फाउंडेशन की गोलकीपर रिपोर्ट 2024 के लोकार्पण के अवसर पर एक प्रश्न के उत्तर में गेट्स ने कहा: “मुझे लगता है कि यह शायद शिक्षा के लिए खुद को बी रेटिंग देगा, लेकिन वास्तव में इसका इरादा इससे भी बेहतर करने का है।” वार्षिक रिपोर्ट सतत विकास लक्ष्यों के आधार पर प्रगति को ट्रैक करती है। गेट्स ने कहा कि कुपोषण की समझ के मामले में बहुत सुधार हुआ है, उन्होंने कहा कि गेट्स फाउंडेशन वहां सबसे बड़ा वित्तपोषक है।

उन्होंने कहा, “इसका एक हिस्सा मनुष्य शरी के आंत की जटिल प्रणाली को समझना है, इसमें बहुत सारे बैक्टीरिया शामिल होते हैं। इसे माइक्रोबायोम कहा जाता है। अगर विटामिन या प्रोटीन की कमी हो, तो कुछ बच्चों की आंत में सूजन आ जाती है, इसलिए वे जो खाना खा रहे हैं उसे अवशोषित नहीं कर पाते हैं और उनका विकास नहीं हो पाता है।” उन्होंने कहा कि कुपोषण की एक त्रासदी यह है कि कम उम्र में कुपोषण के कारण एक बच्चा अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं के मामले में कितना कुछ खो देता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास इसका बहुत अच्छा माप नहीं है। पर हम इसमें बेहतर हो रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि कुपोषण को दूर करने या इसे कम करने से दो बड़े लाभ होते हैं। गेट्स ने कहा, “पहला यह कि अच्छी तरह से पोषित बच्चे के मरने की संभावना बहुत कम होती है, बल्कि यह दोगुनी कम होती है क्योंकि उन्हें अपने शुरुआती वर्षों में डायरिया या निमोनिया जैसी विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ता है; लेकिन दूसरी बात, जो बिल्कुल बड़ी है, वह यह है कि उन शुरुआती वर्षों में, अगर बच्चे कुपोषित हैं, उनमें कमियां हैं, तो आप ठीक नहीं हो सकते।”

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