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पीने के पानी की मांग को लेकर जमशेदपुर से दिल्ली तक पदयात्रा पर निकला 21 लोगों का दल

जमशेदपुर/रांची। पीने के पानी की मांग को लेकर 21 लोगों का एक दल सोमवार को जमशेदपुर से दिल्ली तक की पैदल यात्रा पर निकला है। जमशेदपुर के बागबेड़ा में जमा हुए सैकड़ों लोगों ने इन सत्याग्रहियों को दिल्ली के लिए रवाना किया। जमशेदपुर शहर के आसपास के इलाकों में पानी का मुद्दा बेहद अहम हो गया है। दरअसल जमशेदपुर के उपनगरीय क्षेत्र बागबेड़ा और आसपास के ग्रामीण इलाकों में पीने का पानी पहुंचाने की योजना विश्व बैंक की मदद से 2015 में शुरू हुई थी।

यह आज तक धरातल पर नहीं उतर पायी। इसे लेकर स्थानीय लोग आंदोलित हैं। पदयात्रा पर निकले लोगों का कहना है कि घरों तक पानी पहुंचाने की योजना में सरकार और प्रशासनिक तंत्र की विफलता को उजागर करने के लिए उन्होंने यह सत्याग्रह शुरू किया है। इनका नेतृत्व कर रहे सुबोध झा ने कहा कि 93 दिनों की पैदल यात्रा के बाद दिल्ली पहुंचकर सीधे प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचायेंगे।

बागबेड़ा बृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना की आधारशिला तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2015 में रखी थी। तय डेडलाइन के अनुसार इस योजना को 2018 तक पूरा हो जाना था। इस योजना से बागबेड़ा, घाघीडीह, किताडीह, करणडीहएवं परसुडीह समेत 21 पंचायत के 113 गांवोंऔर रेलवे क्षेत्र की 33 बस्तियों तक पानी पहुंचाया जाना था। 237 करोड़ की लागत वाली इस योजना में 211 करोड रुपए खर्च कर दिये गये, लेकिन आज तकयह जमीन पर नहीं उतर पाई। इस योजना के तहत बने फिल्टर प्लांट का भवन जर्जर होता जा रहा है। आधा अधूरा काम करके विभाग और एजेंसी ने बीते एक वर्ष से काम को बंद कर रखा है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि घटिया निर्माण की वजह से योजना राशि का दुरुपयोग और बंदरबांट हुआ है। इसे लेकर यहां के लोग कई बार सड़क पर उतर चुके हैं। एक हफ्ता पहले स्थानीय लोगों के एक शिष्टमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा था। बागबेड़ा महानगर विकास समिति के अध्यक्ष सुबोध झा ने कहा कि जब तक जलापूर्ति योजना शुरू नहीं होती और लोगों के घरों तक पीने का पानी नहीं पहुंचता, उनका सत्याग्रह जारी रहेगा।

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