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दस्तक देने को है नई महामारी!

देवव्रत

कोविड-19 यानि कोरोना का खौफ दिलो-दिमाग पर अब भी कायम है। कोरोना भारत ही नहीं विश्व में अनगिनत लोगों की जानें ले चुका है। वहीं कोरोना से ग्रसित होकर ठीक हुए लोगों को अब कोरोना के ‘आफटर अफेक्ट’ से दो-चार होना पड़ रहा है। यहां तक कि लोग अब इसके कारण अपना जीवन खो रहे हैं। वहीं अब ड्रैगन ने एक नया वायरस छोड़ दिया है। हालांकि फिलहाल अभी इस वायरस का असर सिर्फ चीन तक ही है, जैसे कि पहले कोविड-19 के दिनों में था, लेकिन चीन से बाहर निकलकर यह बीमारी एक बार फिर विश्व में महामारी का रूप ले सकती है। इस नए वायरस के कारण चीन के अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं मिल रही है। इस रहस्यमयी बीमारी ने छोटे बच्चों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। इस नए वायरस को रहस्यमयी निमोनिया वायरस इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसके कुछ लक्षण आम निमोनिया से मिलते-जुलते हैं और कुछ अलग भी हैं। दरअसल, अगर निमोनिया की बात करें तो उसमें पीड़ित बच्चों को बलगम वाली खांसी, तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन की शिकायत होती है। वहीं, दूसरी ओर चीन के इस रहस्यमयी निमोनिया में बच्चों को बिना बलगम वाली खांसी के ही तेज बुखार और फेफड़ों में सूजन की शिकायत हो रही है। कमोवेश यदि यह वायरस चीन से बाहर फैला तो वहां की जैसी स्थिति भारत सहित अन्य देशों में भी होने की संभावनाएं प्रबल हैं। साफ है कि कोविड से उबर रही दुनिया के सामने नया संकट पैदा हो गया है।

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि चीन अभी भी कोरोना वायरस के मामलों से जूझ रहा हैं। इस बीच, यहां एक और बीमारी तेजी से फैल रही है। यहां के स्कूलों में रहस्यमयी निमोनिया का प्रकोप फैल रहा है। इससे अस्पतालों में भर्ती हो रहे बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यर्ह चिंताजनक स्थिति कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिला रही है। वहां मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होते देखकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों र्में चिंता पैदा हो गई है। 500 मील उत्तर-पूर्व में र्बींजग और लियार्ओंनग के अस्पतालों में अचानक से बीमार बच्चों के भर्ती होने की संख्या में इजाफा हुआ है। यहां के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक ज्यादा भर्ती मरीजों से अस्पताल के संसाधनों पर अत्यधिक दबाव बड़ रहा है। मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि प्रकोप के कारण स्कूल बंद होने वाले हैं। इस रहस्यमयी बीमारी के लक्षणों में प्रमुख रूप से बच्चों के फेफड़ों में सूजन तथा तेज बुखार समेत कई असामन्य लक्षण पाए गए हैं। हालांकि, इससे प्रभावित बच्चों में खांसी, फ्लू, आरएसवी और सांस की बीमारी से जुड़े अन्य लक्षण नहीं पा जा रहे हैं। साफ है कि इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। निमोनिया यूं तो आम बुखार की ही तरह है, जिसे एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक, फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने लगता है, जो मवाद बन जाता है और यह धीरे-धीरे पूरे फेफड़े में भर जाता है, जिससे पीड़ित सांस लेने में असक्षम हो जाता है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाती है।

दरअसल, चीन के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित लियार्ओंनग प्रांत और र्बींजग के बच्चों में सर्वप्रथम निमोनिया के नए और हैरान करने वाले लक्षण देखे जा रहे हैं। बच्चों को तेज खांसी, बुखार और फेफड़ों में सूजन की समस्या हो रही है, जिससे इलाके के सभी अस्पताल लगभग भर गए हैं। इस बीमारी के प्रकोप को देखते हुए चीन के सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी अलर्ट हो गया है और उसने चीन से इस बीमारी की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इतना ही नहीं, डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की है, जिसके बाद कई अन्य देशों में भी इस बीमारी को लेकर डर फैल गया है। दरअसल, कोविड महामारी की शुरुआत भी चीन से हुई थी, ऐसे में एक और रहस्यमयी बीमारी को लेकर पूरा विश्व सचेत हो गया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि सांस की इस बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए लोग तमाम तरह के दिशा-निर्देशों का पालन करें। साथ ही डब्ल्यूएचओ ने बच्चों में निमोनिया के क्लस्टर पर विस्तृत जानकारी के लिए चीन से ज्यादा जानकारी देने के लिए आधिकारिक अनुरोध किया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि अक्तूबर के मध्य से उत्तरी चीन में पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी में वृद्धि दर्ज की गई है। इसको लेकर भारत में भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस बीमारी का खतरा भारत में भी देखने को मिल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एशिया और अफ्रीका देशों में इससे काफी लोग मरते हैं।

वहीं दूसरी ओर, ओपन-एक्सेस सर्विलांस प्लेटफॉर्म, प्रोमेड ने चीन में फैल रहे इस न्यूमोनिया पर कहा है कि खासतौर से बच्चों को प्रभावित करने वाली यह बीमारी एक महामारी में भी बदल सकती है। दिसंबर 2019 के अंत में जारी एक प्रोमेड अलर्ट ने एक नए वायरस के बारे में एक चेतावनी दी थी। इसे बाद में सार्स-सीओवी-2 के रूप में पहचाना गया। प्रोमेड ने कहा कि यह रिपोर्ट एक अज्ञात सांस की बीमारी के व्यापक प्रकोप की चेतावनी देती है। यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि यह प्रकोप कब शुरू हुआ। पर इतने सारे बच्चों का इतनी जल्दी प्रभावित होना सामान्य बात नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि क्या यह एक और महामारी हो सकती है, लेकिन हमें अभी से सावधानी बरतनी चाहिए। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों की मानें तो चीन में फैली बीमारी निमोनिया से काफी अलग है। इसमें खांसी नहीं आ रही, बल्कि बस तेज बुखार है। इसका इलाज एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाओ से हो रहा। संक्रमण से ठीक होने में भी लोगों को करीब महीनेभर का समय लग रहा है। बीमारी के लक्षणों की बात करें तो इसमें सीने में दर्द, खांस, थकान और बुखार मुख्य हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि चीन ने इसकी जानकारी 13 नवंबर को दे दी थी। इसके चलते एजेंसी ने चीन को मामले में कड़ी निगरानी रखने के आदेश दिए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इसके लिए लोगों को चेतावनी भी दी जाए। संगठन ने लोगों को ज्यादा से ज्यादा सफाई रखने और सावधान रहने की सलाह दी है।

इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि लोगों को जरा सी भी किसी तरह की अजीब दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा लोगों को मास्क लगाकर निकलने की सलाह भी दी गई है। चर्चा है कि यह वायरस काफी समय से चीन में फैल रहा था, लेकिन यह चर्चा में तब आया, जब डब्ल्यूएचओ ने चीन से बीमारी के लक्षण और मामलों पर कड़ी नजर रखने को कहा है। डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को लेकर चीन से रिपोर्ट पेश करने को कहा है और साथ ही यह भी कहा है कि चीन में हाल ही में फैले सभी वायरस की लिस्ट जमा की जाए। अब तक की जांच में डब्ल्यूएचओ ने इसे किसी तरह की महामारी घोषित नहीं किया है। यह सही है कि किसी भी बीमारी को बिना जांच-पड़ताल किए महामारी घोषित करना गलत और जल्दबाजी मानी जाती है। वहीं दूसरी ओर डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। सभी देशों ने इन गाइडलाइन को देखते हुए अपने-अपने देशों में तैयारी शुरू कर दी है। चीन में फैल रही यह बीमारी कई देशों को कोविड-19 के शुरुआती दौर की तरह लग रही है, जो पहली बार 2019 में वुहान शहर में रहस्यमयी निमोनिया के तौर पर ही उभरा था। हालांकि, माइकोप्लाज्मा (निमोनिया) एक सामान्य रोगाणु है, जो कुछ वर्षों में ताजा प्रकोप का कारण बनता है। यह संभावना है कि इस सर्दियों में दुनियाभर के देशों को विभिन्न प्रकार के रोगजनकों का सामना करना पड़ेगा।

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह बीमारी भारत को और उसके किस हिस्से को अधिक परेशान तथा प्रभावित कर सकती है। दरअसल, दक्षिण भारत में किसी भी वायरस के फैलने का खतरा थोड़ा ज्यादा रहता है। दरअसल, केरल अक्सर वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील होता है, क्योंकि प्रदेश में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां होती हैं। दूसरा कारण यह है भी माना जाता है कि इस राज्य के लोग ज्यादातर विदेशों में आवाजाही करते हैं। यहां तक कि मंकीपॉक्स और कोविड-19 जैसे मामलों के पहले केस भी केरल में ही सामने आए थे। अब इसको लेकर भारत सरकार भी सक्रिय हो गई है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में इस वायरस के फैलने के आसार काफी कम है। हालांकि यह भी कहा गया है कि मंत्रालय पूरे मामले में कड़ी नजर रख रहा है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि चीन में फैले इस खतरनाक वायरस से उत्पन्न किसी भी आपात स्थिति से निपटने को पूरी तरह तैयार है, जो कि फिलहाल भारत के लिए एक राहत की खबर है।

बावजूद इसके उत्तरी चीन में बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि के संकेत संबंधी हाल की रिपोर्टों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को तुरंत सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करने की सलाह दी है। मंत्रालय ने अत्यधिक सतर्कता बरतते हुए श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए प्रारंभिक उपायों की सक्रिय रूप से समीक्षा करने का निर्णय लिया है। इसमें कहा गया है, ‘मौजूदा इन्फ्लूएंजा और सर्दी के मौसम के मद्देनजर इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसके कारण श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में वृद्धि हो रही है। हालांकि भारत सरकार स्थिति पर करीब से नजर रख रही है और संकेत दिया है कि किसी भी तरह की चेतावनी की जरूरत नहीं है।’ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल की तैयारियों जैसे कि बिस्तरों की उपलब्धता, इन्फ्लूएंजा के लिए दवाओं और टीकों, चिकित्सा ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक्स, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, परीक्षण किट, ऑक्सीजन संयंत्रों और वेंटिलेटर की कार्यक्षमता आदि की समीक्षा करने की सलाह दी है। राज्य के अधिकारियों को इस साल की शुरुआत में साझा किए गए ‘कोविड-19’ के संदर्भ में संशोधित निगरानी रणनीति संबंधी परिचालन दिशानिर्देशों को लागू करने की सलाह दी है।

पत्र के अनुसार, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि एकीकृत रोग निगरानी परियोजना (आईडीएसपी) की जिला और राज्य निगरानी इकाइयों द्वारा विशेष रूप से बच्चों और किशोरों में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारी (एसएआरआई) के रुझान पर बारीकी से नजर रखी जाये। राज्य के अधिकारियों को श्वसन संबंधी बीमारियों वाले मरीजों विशेष रूप से बच्चों और किशोरों के नाक और गले के स्वाब के नमूने वायरस अनुसंधान और नैदानिक प्रयोगशालाओं में भेजने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने चीनी अधिकारियों से अतिरिक्त जानकारी मांगी है, लेकिन यह आकलन किया गया है कि फिलहाल किसी भी तरह र्की चिंता कोई बात नहीं है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि चीन में निमोनिया के प्रकोप की मौजूदा स्थिति पर भारत में स्वास्थ्य संस्थान उत्सुकता से नजर रख रहे हैं और सभी उचित कार्रवाई की जा रही है। उनका कहना है कि सरकार चीन के अंदर फैल रहे निमोनिया की स्थिति पर लगातार ध्यान दे रही है। आईसीएमआर और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक इस पर नजर रख रहे हैं और आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं।

बीमारी के लक्षण

इस बीमारी के बताए गए प्राथमिक लक्षण निमोनिया के अनुरूप हैं, जिनमें बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। हालांकि, मामलों की गंभीरता अलग-अलग होती है। गंभीर मामलों में कुछ मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की भी जरूरत पड़ रही है। देश में बढ़ रही इस रहस्यमयी बीमारी के बढ़ते मामलों के लिए चीनी अधिकारियों ने कोविड-19 प्रतिबंध हटाने, इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया (बच्चों में एक आम जीवाणु संक्रमण), रेस्पिरेटर्री सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) जैसे रोगजनकों के प्रसार को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, इस पूरे मामले पर डब्ल्यूएचओ ने चीन से विस्तृत जानकारी की मांग की है, ताकि वह इस बीमारी की प्रकृति और कारण को समझने और इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकें।
इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को एहतियाती कदम उठाने की सलाह दी है। इनमें अच्छी स्वच्छता अपनाना, रेस्पिरेटरी संबंधी समस्या के लक्षणों के लिए डॉक्टर से संपर्क करना आदि शामिल हैं।

बचाव के लिए क्या करें

अपने घरों और दफ्तरों के पास साफ-सफाई रखें और किसी भी तरह की गंदगी फैलाने से बचें।
शरीर में किसी भी तरह के बुखार के लक्षण दिखने पर खुद कोई दवाई न लें।
बुखार का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
किसी भी भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें।
जरूरत लगने पर तुरंत मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
सोशल डिस्र्टेंंसग का पूरी तरह से पालन करें।
बच्चों और बुजुर्गों के सभी सामानों को साफ-सुथरा रखें।
खांसते या छींकते समय मुंह को रुमाल या हाथ से ढक लें।

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