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देश में फिर पैदा हो सकती है 2008 जैसी वैश्विक मंदी की स्थिति, ये है वजह

नई दिल्ली : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इससे 2008 की विनाशकारी स्थिति दोहराई जा सकती है, जब तेल कीमतें आसमान छू गईं और मांग घटने पर गिर गईं। पुरी ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की मात्रा के साथ जहां ब्याज दरों में बढ़ोतरी अतिरिक्त तरलता को खत्म करने में सक्षम नहीं है, आपके सामने ऐसी स्थिति होगी, जब तेल की कीमतें 2008 के परिदृश्य को दोहराएंगी।

उन्होंने आश्चर्य जताया कि क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था फिर से 2008 की आर्थिक उथल-पुथल जैसी स्थिति का गवाह बनने जा रही है, जो एक स्व-पूर्ति की भविष्यवाणी बन गई थी। ब्रेंट की कीमतें शुरुआत में जनवरी 2008 में 93.60 डॉलर प्रति बीबीएल से बढ़कर जुलाई 2008 में 134.3 डॉलर प्रति बीबीएल हो गई थीं, जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी में तेजी आई, जिससे अंतत: मांग कम हो गई, तब तेल की कीमतें बहुत कम हो गईं।

मंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण पिछले 18 महीनों में दुनियाभर में लगभग 10 करोड़ लोग घोर गरीबी में फंस गए हैं। हाल के सप्ताहों में कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रही हैं, क्योंकि सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने कीमतें बढ़ाने के लिए आपूर्ति में कटौती की है।

भारत के मंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें लगभग 80 डॉलर प्रति बैरल या उससे थोड़ा कम देशों के लिए सुविधाजनक मूल्य सीमा होगी। उन्होंने कहा, उचित मूल्य बैंड के गठन पर स्वस्थ चर्चा करना तेल उत्पादक और उपभोक्ता सहित सभी देशों के हित में है।

पुरी ने वार्षिक अबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोलियम प्रदर्शनी और सम्मेलन (एडीआईपीईसी) 2023 के मौके पर ओपेक महासचिव हैथम अल-घैस से मुलाकात की और उनसे तेल बाजारों में व्यावहारिकता, संतुलन और सामर्थ्य की भावना पैदा करने के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करने का आग्रह किया।

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