मेक्सिको की खाड़ी में मिला 19वीं सदी का खास जहाज, अब खुलेगा ये बड़ा रहस्य
नई दिल्ली। सालों से व्हेल मछली का शिकार किया जा रहा है। वैज्ञानिकों को 19वीं सदी में भी व्हेल मछली के शिकार करने के सबूत मिले हैं। वैज्ञानिकों ने मेक्सिको की खाड़ी (Gulf of Mexico) में एक जहाज के अवशेष को खोजा है। व्हेल मछली का शिकार करने वाले जहाज का यह अवेशष है। इस जहाज में व्हेल मछलियों का शिकार करने वाला यंत्र मिला है। इस जहाज की खोज अमेरिकी वैज्ञानिक संस्था नेशनल ओशिएनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने की है।
यह जहाज एक समुद्री तूफान में टूटने के बाद डूब गया था। NOAA के जहाज ओकियेनोस एक्सप्लोरर को व्हेल मछलियों का शिकार करने वाला जहाज 25 फरवरी 2022 को मिला था। यह जहाज मेक्सिको की खाड़ी में 6000 फीट नीचे पानी में था। नोआ के वैज्ञानिक ने जहाज के अवशेष की तस्वीरें लेने के लिए रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) को भेजा था। इससे पहले समुद्र में वैज्ञानिकों ने कई रहस्यमयी चीजों की खोज की है जिसके बारे में जानने के बाद लोग हैरत में पड़ गए।
वैज्ञानिकों ने इस जहाज की पहले भी बहुत तलाश की थी। साल 2011 और 2017 में भी इसको खोजने की कोशिश की गई थी, लेकिन उस समय कामयाबी नहीं मिल पाई। अब वैज्ञानिकों ने इस जहाज को सैटेलाइट कम्यूनिकेशन से समुद्र में खोजा है। इस जहाज को खोजने के बाद वैज्ञानिकों ने कौन सा जहाज है और कब डूबा था इस बात की पुष्टि की है। इस जहाज का नाम क्या था यह नहीं पता चल पाया है, लेकिन वैज्ञानिकों को जानकारी मिली है कि यह जहाज 26 मई 1836 को डूब गया था।
64 फीट लंबा जहाज समुद्र में स्पर्म व्हेल्स का शिकार करने के लिए गया था जिसका निर्माण साल 1815 में किया था। यह मेक्सिको की खाड़ी, अटलांटिक महासागर और कैरिबियन सागर में 20 सालों तक व्हेल मछली का शिकार किया। बताया जाता है कि साल 1780 से लेकर 1870 तक समुद्र में जहाज 214 बार व्हेल मछली का शिकार करने के लिए गए थे। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पहला जहाज है जो उस समय समुद्र में डूब गया था।
यूएस डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ कॉमर्स डॉन ग्रेव्स का कहना है कि समुद्र में डूबे इस जहाज पर स्थानीय अमेरिकी और अफ्रीकी गुलामों को भी रखा गया था। डॉन ग्रेव्स ने कहा कि इससे यह जानकारी मिलती है कि उस समय रंगभेद का समय था। अमेरिकन मेरीटाइम इंडस्ट्री में अफ्रीकन गुलाम रखे जाते थे। उनका कहना है कि इस जहाज के मिलने के बाद यह उम्मीद जगी है कि 19वीं सदी के काले लोग कैसे अपना जीवन व्यतीत करते थे यह पता लग सकता है।