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AAP की अंतर्कलह ; फिर दिल्ली वाले पंजाबियों पर हुए हावी

जालंधर : आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनावों में मिली जबरदस्त हार के बाद एकजुट होकर हार के लिए दिल्ली से आए नेताओं द्वारा की गई मनमर्जी को जिम्मेदार ठहराया था। पार्टी के नेताओं ने यहां तक कहा था कि संजय सिंह, दुर्गेश पाठक और अन्य दिल्ली से आए आब्जर्वरों ने पंजाब के हकों, मांगों, जरूरतों को दरकिनार करके गलत तरीके से टिकटों का वितरण किया और कई ऐसे फैसले लिए जिससे पार्टी को करारी हार खानी पड़ी। इसके बाद दिल्ली में हुई कई बैठकों में हाईकमान ने पंजाब इकाई को भरोसा दिलाया था कि अब पंजाब इकाई में दिल्ली वाले टांग नहीं फंसाएंगे, जो फैसला होगा वह पंजाब इकाई के नेताओं की सहमति से ही होगा, पर चंडीगढ़ से आए जालंधर शहरी और देहाती के प्रधानों के नाम का ऐलान होने के बाद से पार्टी में इसी बात को लेकर अंतर्कलह मच गई है। इस मामले बारे सबसे अहम जालंधर शहरी सीट पर से आज प्रधान बनाए गए बब्बू नीलकंठ की प्रधानगी से नाराज नेताओं ने होशियारपुर में पार्टी के दोआबा प्रधान परमजीत सिंह सचदेवा के आफिस में जबरदस्त बैठक की जिसमें कई पंजाब स्तरीय नेता, कई जिलों के प्रधान और जालंधर के अनेकों वालंटियर शामिल हुए। बैठक में शामिल पार्टी सूत्रों के अनुसार बब्बू का नाम उस लिस्ट में नहीं था जो पार्टी के दोआबा प्रधान सचदेवा ने हाईकमान को भेजी थी। इस सूची में डा. इंद्रजीत सिंह, चंदन गरेवाल, डा. संजीव शर्मा और बब्बू नीलकंठ के नाम शामिल थे, पर अन्य नामों को छोड़ दिल्ली से संजय सिंह के करीबी माने जाते बब्बू नीलकंठ का नाम सामने लाया गया जिससे पार्टी की दोआबा लीडरशिप में भारी नाराजगी है। मामले बारे पार्टी के भरोसे योग्य सूत्रों ने बताया कि बैठक में पार्टी के कई नेताओं ने तो इसी नाराजगी में अपने इस्तीफे की पेशकश तक कर दी और कइयों ने पार्टी हाईकमान को लिखित रूप से कहा कि अगर पार्टी एक सप्ताह के बीच नीलकंठ की प्रधानगी का फैसला वापस नहीं लेती तो उसे बड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

पार्टी ने नीलकंठ का नाम फाइनल किया

पार्टी नेताओं ने कहा कि अगर इसी प्रकार दिल्ली में बैठे नेताओं ने पंजाब पर अपने फैसले थोपने हैं तो इसका नतीजा आगामी निगम चुनावों में सामने आना तय है। नाराज नेताओं ने सचदेवा को एक सप्ताह का समय दिया है वर्ना सारी नाराजगी जगजाहिर होगी और नेता अपनी नाराजगी प्रैस के समक्ष भी व्यक्त करेंगे। फिलहाल सारे नेताओं को प्रैस और मीडिया के समक्ष मुंह न खोलने के निर्देश दिए गए हैं। इस बारे पार्टी के दोआबा प्रधान परमजीत सचदेवा से बात की तो उन्होंने कहा कि जब भी पदों का वितरण होता है तो ऐसा विरोध होता ही है। उन्होंने कहा कि नीलकंठ का नाम भी उनकी सूची में शामिल था। उन्होंने कहा कि पार्टी लोकतंत्रीय ढाचे वाली है इसमें हर किसी को अपना पक्ष रखने की छूट है। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को 4 नाम भेजे थे और उनमें से पार्टी ने नीलकंठ का नाम फाइनल किया है। इस मामले में विरोध जरूर सामने आया है पर किसी ने इस मामले को लेकर इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सारे नाराज नेताओं के विचारों को पार्टी हाईकमान तक पहुंचाया जाएगा। परमजीत ने कहा कि पार्टी के उप प्रधान अमन अरोड़ा विदेश चले गए हैं और उनके आने पर सारे मामले बारे उन्हें अवगत कराया जाएगा। मामले बारे पार्टी जानकार बताते हैं कि आप पार्टी की जिला इकाई सीधे रूप से दो धड़ों में बंटी हुई है। एक में नीलकंठ समर्थक और दूसरे में डा. संजीव समर्थक हैं। नीलकंठ की प्रधानगी से सीधे रूप से डा. संजीव को मुंह की खानी पड़ी है।

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