नई दिल्ली : कांग्रेस आलाकमान के साथ प्रदेश के नेताओं की बैठक के बाद दिल्ली में गठबंधन पर पेंच फंस गया है। कांग्रेस नेताओं ने बैठक से बाहर निकलकर दिल्ली की सभी सात सीटों पर तैयारी करने की बात कही। आप ने कांग्रेस नेताओं के बयान पर आपत्ति जताई है और इस तरह के बयानों को गठबंधन के लिए खतरा बताया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बातचीत के बाद आप और कांग्रेस में समझौता नहीं हो पाया था। इस बार भी विपक्षी गठबंधन होने के बावजूद दिल्ली कांग्रेस के नेता लगातार आम आदमी पार्टी पर हमलावर हैं।
बेंगलुरु की बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में विपक्षी दलों ने गठबंधन की घोषणा की थी। सभी दलों ने सीटों पर आगे बातचीत की बात कही थी। बुधवार को कांग्रेस आलाकमान के साथ दिल्ली के प्रदेश स्तर के नेताओं की बैठक हुई। बैठक में राजधानी की सभी सात लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी करने को कहा गया।
वार्ता हुई पर बात नहीं बनी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन परवान नहीं चढ़ पाया था। 30 नवंबर 2018 को रामलीला मैदान में भारतीय किसान संघर्ष मोर्चा समन्वय समिति की रैली में राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ने मंच साझा किया था। कांग्रेस के तत्कालीन दिल्ली प्रभारी पीसी चाको और आप सांसद संजय सिंह की मुलाकात हुई। 13 फरवरी 2019 को शरद पवार के घर राहुल गांधी और केजरीवाल मिले। इसके बाद भी गठबंधन परवान नहीं चढ़ सका था।
स्थानीय नेता पक्ष में नहीं थे कांग्रेस के स्थानीय नेता गठबंधन के पक्ष में नहीं थे। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व इस बार भी गठबंधन के पक्ष में नहीं है। हालांकि, दोनों दल अभी भी गठबंधन को बड़े नेताओं पर छोड़ रहे हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को 56.85 फीसदी वोट, कांग्रेस को 22.6 और आम आदमी पार्टी को 18.20 प्रतिशत वोट मिले थे।
लोकसभा में दिल्ली की सात सीटों पर चुनावी तैयारी को लेकर बुधवार को कांग्रेस की बैठक हुई। बैठक से बाहर आकर कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा कि पार्टी सभी सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। उनके इस बयान को लेकर घमासान हो गया। ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल आप भी इस पर बिफर गई और इंडिया की अगली बैठक में ना जाने तक की बात कह डाली। हालांकि कुछ घंटों बाद ही कांग्रेस ने लांबा के बयान को निजी बताकर पल्ला झाड़ लिया।