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MCD चुनाव जीतने के बाद भी मेयर की कुर्सी के लिए AAP को करना पड़ सकता है संघर्ष

नई दिल्‍ली : दिल्ली में हुए MCD चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। 4 दिसंबर को 250 वार्डों के लिए वोटिंग हुई थी, इस बार MCD चुनाव में कुल 1349 उम्मीदवार खड़े हुए थे और नतीजों के सामने आते ही इन उम्मीदवारों की किस्मत का भी फैसला हो गया है। दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने बड़ी जीत दर्ज की है। इसके साथ ही दिल्ली एमसीडी (MCD) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 15 साल के शासन का अंत हो गया है।

जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में हुए MCD चुनाव के नतीजे के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के 134 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कर ली है। भारतीय जनता पार्टी ने 104 सीटें जीती हैं। कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल कर ली है। वहीं, 3 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा जमाया है। अब सदन की जो भी पहली बैठक होगी उसी में महापौर व उपमहापौर का चुनाव कराया जाएगा। सबसे पहले कोई महिला ही महापौर बनेंगी। विपक्ष ने नामांकन कराया तो आम आदमी पार्टी का गेम प्लान बिगड़ सकता है। पहली महापौर महिला पार्षद चुनकर आईं सदस्यों में से ही होगा, क्योंकि हर साल महापौर व उपमहापौर पद पर चुनाव का यह प्रविधान निगम के एक्ट में ही है। इसमें पहले वर्ष महिला पार्षद को यह अवसर मिलता है, जबकि तीसरे वर्ष में अनुसूचित जाति से चुनकर आए पार्षद के लिए यह पद आरक्षित होता है।

जानकारों का कहना है कि बहुमत लेकर आई आम आदमी पार्टी (आप) के सामने कोई विपक्षी प्रत्याशी नामांकन करता है या नहीं। अगर, विपक्ष से किसी का नामांकन हुआ तो स्पष्ट बहुमत के बावजूद आप का गेम प्लान गड़बड़ा सकता है और महापौर पद जीतने का उसका सपना खटाई में पड़ सकता है।

दिल्ली नगर निगम राज्य चुनाव आयोग जीते हुए सदस्यों की अधिसूचना जारी कर निगम को भेजेगा। इसके बाद इस अधिसूचना के आधार पर निगम सदन बुलाने की अनुमति उपराज्यपाल से मांगेगा जिसमें सदन बुलाने की तिथि से लेकर नव निर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करते हैं। यह पीठासीन अधिकारी अधिकांशत: चुने गए सदस्यों में से वरिष्ठ सदस्य होता है।
दिल्ली नगर निगम में दलबदल कानून लागू नहीं होता

आपको बता दें कि दूसरी ओर दिल्ली नगर निगम में दलबदल कानून लागू नहीं होता है। ऐसे में किसी भी दल का सदस्य किसी भी पार्टी के महापौर या अन्य पद के प्रत्याशी को वोट कर सकता है। चूंकि व्हिप जारी करने की भी व्यवस्था निगम में लागू नहीं होती है, ऐसे में पार्षद की सदस्यता पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। अब 10 मनोनीत सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया पूरी होगी। वैसे तो यह अधिकार हमेशा से उपराज्यपाल (एलजी) के पास ही रहा है, लेकिन चूंकि दिल्ली नगर निगम एक्ट में सरकार का अर्थ केंद्र और राज्य सरकार दोनों था, तो इन मनोनीत सदस्यों का मनोनयन राज्य सरकार के सुझाव पर किया जाता था।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता ने 15 साल की भ्रष्ट भाजपा सरकार को हटा कर केजरीवाल के नेतृत्व में AAP की सराकार बनाने के लिए बहुमत दिया है इसके लिए जनता का धन्यवाद।

दिल्ली नगर निगम चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अब आम आदमी पार्टी के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा आरोप लगाया है। मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी का खेल शुरू हो गया है। आप के पार्षदों के पास बीजेपी का फोन आना शुरू हो गया है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि आप का कोई भी पार्षद बिकेगा नहीं। सिसोदिया ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने पार्षदों से कहा है कि अगर फोन आए तो वो उसे रिकॉर्ड कर लें।

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