यूपी विस चुनावों में करीब 3 महीने बाकी लेकिन सियासी घमासान अभी से शुरू
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का एलान भले ही अभी नहीं हुआ है लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है और मैदान में कूद गए हैं। कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का फ़ैसला पश्चिमी उत्तर प्रदेश करता है, क्योंकि इस हिस्से में राज्य की करीब एक तिहाई विधानसभा सीटें हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 23 जिले और 136 विधानसभा सीटें शामिल हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां 103 सीटें जीती थीं।करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन की वजह से यह प्रदेश ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया हैं।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपा को इस बार किसानों की नाराज़गी का सामना करना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 नवम्बर को तीनों किसान कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया और बुधवार को मंत्रिमंडल ने इन कानूनों की वापसी के विधेयक पर मुहर लगा दी। इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पारित करा लिया जाएगा, इससे भाजपा को लगता है कि वह किसानों की नाराज़गी को कुछ कम कर पाएगी। जाट-किसान समीकरण के कारण यह इलाका काफी अहम है। भाजपा 26 नवम्बर को होने वाली ट्रैक्टर रैली के माध्यम से यह बात किसानों तक पहुंचाने की कोशिश करेगी।
पिछली बार भाजपा ने यहां जाट-मुस्लिम गठजोड़ को तोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली थी और ज़्यादातर जाट वोट उसके हिस्से में आये थे। शायद यही वजह है कि भाजपा ने अपने सबसे दमदार रणनीतिकार केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस इलाके की चुनावी जिम्मेदारी सौंपी है।