ज्ञान भंडार

शास्त्रों के अनुसार देवता को फूल चढ़ाने के नियम हैं निर्धारित, जानें ये नियम

नई दिल्ली : हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना में फूल अर्पित करने की परंपरा प्राचीन है. किसी भी मांगलिक कार्य व पूजन में देवताओं को उनके प्रिय फूल चढ़ाने का बड़ा महत्व होता है. सभी देवताओं को अलग-अलग पुष्प प्रिय होते हैं. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि देवताओं को उनके प्रिय पुष्प अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. लेकिन शास्त्रों में किसी भी देवता को फूल चढ़ाने के नियम निर्धारित हैं. ऐसे में मनवांछित फल पाने के लिए नियमों के अनुसार पुष्प अर्पित करना चाहिए.

पंडित जी बताते हैं कि हिंदू धर्म में फूल को श्रद्धा और भावना का प्रतीक माना गया है. फूल की सुगंध से देवता प्रसन्न रहते हैं और उनकी कृपा जीवन में बनी रहती है. फूल से घर की निगेटिव एनर्जी दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. कमल का फूल देवी-देवताओं को सबसे अधिक प्रिय है, इस फूल के उपयोग से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंदिर व किसी भी धार्मिक स्थान पर भगवान को हमेशा ताजे फूल अर्पित करने चाहिए, इससे भगवान प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं और पूजा का दोगुना लाभ प्राप्त होता है. कभी भी भगवान को सूखे, मुरझाए, बासी या कीड़ लगे फूल नहीं चढ़ाने चाहिए, इससे भगवान नाराज होते हैं. फूलों को हमेशा मूर्ति की तरफ करके उल्टे अर्पित करने चाहिए.

भगवान को फूल अर्पित करते समय हमेशा अंगूठा, मध्यमा व अनामिका अंगुली का प्रयोग करना चाहिए. इस बात का ध्यान रखें कि फूल अर्पित करते समय कनिष्ठा अंगुली का प्रयोग नहीं हो. भगवान को चंपा के फूल के अलावा अन्य फूल की एक कली नहीं चढ़ानी चाहिए, इससे दोष लगता है और सुख-समृद्धि जा सकती है. कमल व कुमुदिनी का फूल 11 दिन तक ताजा माना जाता है, इसलिए 11 दिन के बाद इन फूलों को देवताओं को अर्पित नहीं करना चाहिए.

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