दस्तक-विशेषस्तम्भ

विधायक राधा मोहन अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई से वैश्य समाज में गुस्सा, पार्टी में बढ़ रहे हैं विरोध के सुर

अजय कुमार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ठाकुर-ब्राह्मण (Thakur-Brahmin) की सियासत (Politics) थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही की तो बात है,जब बीजेपी (BJP) के कुछ विधायकों ने प्रदेश में खूंखार अपराधियों, जो इत्तिफाक से ब्राह्मण थे, के मुठभेड़ में मारे जाने को सियासी मुद्दा बना दिया था, लेकिन ब्राह्मण वोट बैंक (Vote Bank) नाराज न हो जाए, इस लिए पार्टी विरोधी बयान देने वाले ब्राहमण विधायकों के खिलाफ अनुशासनहीनता (Indiscipline) की कोई कार्रवाई नहीं की गईं, लेकिन जब भारतीय जनता पार्टी के चार बार के एक वैश्य विधायक (Vaishya MLA) ने अपने ही समुदाय के एक परिवार की दो बेटियों से ठाकुर बिरादरी के युवाओं द्धारा छेड़छाड़ के मामले में पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए तो इसे ठाकुरों की शान में गुस्ताखी मान कर विधायक जी को पार्टी की तरफ से न केवल अनुशासनहीनता का मामला बता कर कारण बताओं नोटिस (Notice) थमा दी गई, बल्कि योगी समर्थक कुछ पार्टी नेता तो इस्तीफा तक मांगने लगे हैं। इसके साथ ही ठाकुर-ब्राहमण की सियासत को वैश्य नेता ने एक नया ‘एंगिल’ दे दिया है।

विधायक जी के तेवरों का हाल यह है कि वह नोटिस मिलने के बाद भी ‘हथियार’ डालने को तैयार नहीं हैं। विधायक जी अपनी सरकार और उनके समर्थकों को बता रहे हैं, ‘हम अभिमन्यु नहीं, अर्जुन हैं। चक्रव्यूह में घुसना जानते हैं तो, तोड़ना भी जानते हैं।’ यह भाजपा नेता कोई और नहीं भाजपा के गोरखपुर शहर से चार बार से विधायक डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल (Dr. Radha Mohan Das Aggarwal) हैं, जिनकी छवि जनता से जुड़े नेता के रूप में हैं। राधा मोहन दास अग्रवाल का यह दुर्भाग्य ही है जो कि पार्टी में वरिष्ठता क्रम में काफी ऊपर होने के बाद भी योगी सरकार में कोई महत्व नहीं दिया गया। इसकी सबसे बड़ी वजह यही मानी जाती है कि राधा मोहन पार्टी से ऊपर जनता के हित का ध्यान रखते हैं। अपने विवादित बयानों और जनता के मुद्दे को लेकर उग्र प्रदर्शन के कारण हाल ही में राधा मोहन दास अग्रवाल काफी सुर्खियों में रहे थे। कभी सीएम योगी के करीबी रहे इस विधायक राधा मोहन की छवि आजकल योगी विरोधी (Anti yogi) नेता के रूप में ज्यादा चर्चा में है। इसके पीछे की वजह यही बताई जाती है कि राधा मोहन दास योगी सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज हैं।

हाल ही में पार्टी ने उन्हें विधानसभा के सचेतक पद से हटाये गए राधा मोहन अग्रवाल ने अभी कुछ दिन पहले अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर अवैध शराब के खिलाफ आंदोलन चलाने के साथ-साथ एक महिला पुलिस अधिकारी को सार्वजनिक रूप से बुरी तरह डांटने-फटकारने के लिए चर्चा में आए थे। विधायक डाॅ.राधा मोहन दास अग्रवाल जो कभी गोरक्षनाथ मंदिर (Gorakshanath Temple) के करीबी हुआ करते थे। उन्होंने मंदिर के आशीर्वाद से चार बार से लगातार जीत हासिल करने वाले भाजपा के पूर्व मंत्री शिव प्रताप शुक्ल (Shiv Pratap Shukla) को करारी शिकस्त दी थी। यह 2002 की बात है। तब गोरखनाथ मंदिर के तात्कालीन उत्तराधिकारी व वर्तमान महंत तथा प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ बीजेपी विधायक शिव प्रताप शुक्ल से खासे नाराज हो गए थे। उन्होंने सीधे तौर पर बीजेपी के प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ ताल ठोकते हुए अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रत्याशी डाॅ.राधा मोहन दास अग्रवाल के पक्ष में प्रचार किया था।

इसके पश्चात 2007 में बीजेपी ने शिवप्रताप शुक्ला की बजाय हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha) से जीत हासिल करने वाले डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को अपने चुनाव चिन्ह पर उतारा। डॉ. अग्रवाल ने 49714 वोट पाकर बीजेपी का परचम लहराया। फिर 2012 में भी बीजेपी प्रत्याशी के रूप में डॉ.राधा मोहन दास उतरे और रिकॉर्ड 80680 वोट पाकर जीते तो 2017 में भी रिकार्ड मतों से जीत हासिल किए। हालांकि, इस दौरान राधा मोहन की बेबाकी के चलते उनकी मंदिर से दूरियां बढ़ती गईं। आलम यह कि दोनों चुनाव में योगी आदित्यनाथ के समर्थक यह मांग करते रहे कि बीजेपी डाक्टर साहब को टिकट न दें। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनकी सुनी नहीं। 2017 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद राधा मोहन को उम्मीद थी कि सरकार में मंत्री पद से उनको जरूर नवाजा जाएगा। लेकिन मंत्रियों की लिस्ट में अपना नाम न देखकर उनको झटका लगा। अपनी टूटी उम्मीद को उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से जाहिर भी की थी।

योगी सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से व्यथित शहर विधायक डाॅ.राधामोहन दास अग्रवाल पूरी तरह से सक्रिय हो गए। सबसे अधिक चर्चा गोरखनाथ सीओ चारू निगम (Charu Nigam) से नोंकझोक को लेकर रही। यह मामला प्रदेश में चर्चित हो गया था। इसके बाद संतकबीरनगर में भी महिलाओं को लेकर राधामोहन ने भद्दी टिप्पणी की थी। अब राधा मोहन अग्रवाल का गोरखपुर को लेकर एक नया कथित आडियो सामने आया है, जिसमें वह भुक्त भोगी वैश्य परिवार के एक युवक से यह कहते सुने जा रहे हैं कि ठाकुरों की सरकार है, उनसे दबना तो पड़ेगा ही। हम वैश्य लोगों को सरकार चलानी कहां आती है। इसी के बाद पार्टी ने उन्हें नोटिस थमा दिया। कथित वायरल ऑडियो में बीजेपी विधायक फोन पर अन्य पदाधिकारी से तंज भरे लहजे में एक शिकायत पर कहते हैं कि ठाकुरों से ठीक से रहिए, ठाकुरों की सरकार चल रही है। अब मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

वायरल ऑडियो (Viral audio) में फोन के दूसरी ओर मौजूद खुद का परिचय देते हुए कहता है,‘विधायकजी, मैं…(अपना और पद के बारे में जानकारी देते हुए) बात कर रहा हूं। आपसे एक काम था।’ इस पर विधायक कहते हैं,’अपने विधायक से क्यों नहीं बताते।’ इस पर वह कहते हैं,’गोरखनाथ क्षेत्र का मामला है, इस वजह से आपको कॉल करना पड़ा। दरअसल, अलीनगर में हमारे भइया हैं, उनके रिश्तेदार गोरखनाथ के पीछे रामनगर में रहते हैं। उनकी बेटियां हैं। उनके घर के नजदीक एक ठाकुर परिवार (Thakur family) रहता है।’ इस पर विधायक कहते हैं,’ठाकुर परिवार नहीं…परिवार रहते हैं। बीजेपी में रहते हैं, ठाकुरों की सरकार चल रही है और आप ठाकुर परिवार की बात कर रहे हैं। क्या गलत कर रहे हैं वो। बनियों की सरकार कभी चलती है। ठाकुरों से ठीक रहिए। ठाकुर परिवार मत कहिए। डर के रहिए उनसे।’ इस ऑडियो में भी विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल योगी सरकार पर निशाना साधते हुए नजर आ रहे थे,जो उनको नोटिस मिलने की वजह बन गया,। योगी जी और राधे मोहन के बीच पहले से छत्तीस का आकड़ा था, इसलिए कारण बताओ नोटिस पर और भी बवाल खड़ा हो गया।


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर ने विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (Dr. Radha Mohan Aggrawal) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है,जिसमें कहा गया है कि आपके द्वारा सरकार व संगठन की छवि धूमिल करने वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर की जा रही है और ये अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। उधर, गोरखपुर के सांसद रवि किशन शुक्ला ने नगर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल के इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी के नीतियों व सिद्धांतों से आपको इतनी दिक्कत हो रही है तो आप पार्टी से इस्तीफा दे दें।

खैर, जिस तरह से सांसद रवि किश्न ने डाक्टर राधा मोहन से इस्तीफा मांगा है, उससे पार्टी के कुछ वैश्य विधायक और वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं। इसकी वजह यही है कि राधा मोहन ने लम्बे समय से भाजपा में रहकर उसकी विचारधारा को अपनाया है,जबकि रवि किश्न को उनकी सेवाओं के लिए नहीं, उनकी फिल्मी चकाचौंध की वजह से लोकसभा का टिकट मिला था। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि राधा मोहन को इंसाफ दिलाने के लिए वैश्य समाज के नेता और जनता ठीक वैसे ही लामबंद हो सकते हैं, जैसे ब्राह्मणों को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने गुटबाजी की थी।

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