बिहार में ‘अडानी निवेश’, नीतीश कुमार का कांग्रेस को ‘सियासी संदेश’!
देहरादून (गौरव ममगाईं)। कांग्रेस के अडानी विरोध के बावजूद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उद्योगपति गौतम अडानी को बिहार में निवेश के लिए आमंत्रित किया है। गौतम अडानी ने भी नीतीश कुमार के आग्रह पर 8700 करोड़ का बड़ा निवेश किया। नीतीश कुमार के इस फैसले से कांग्रेस की नाराजगी बढ़ सकती है। लेकिन, अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस की नाराजगी का पता होने के बावजूद नीतीश कुमार के इस फैसले में कहीं सियासी संदेश तो नहीं छिपा है?
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्योगपति गौतम अडानी को बिहार में बड़े निवेश के लिए आमंत्रित किया था, जिसके बाद अडानी ग्रुप ने बिहार में 8700 करोड़ रुपये का निवेश किया। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को अंदाजा था कि उनके इस कदम से कांग्रेस खासी नाराज हो सकती है, बावजूद इसके उन्होंने यह फैसला लिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संभावना है कि नीतीश कुमार का यह कदम कांग्रेस पर सियासी दबाव बनाने की चाल हो। इसके जरिये नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में बड़ी भूमिका पाने की कोशिश कर सकते हैं। इससे पहले भी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी गौतम अडानी को अपने राज्य में निवेश के लिए बुला चुकी हैं। वहीं, 3 दिसंबर को 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही इंडिया गठबंधन की पार्टियां कांग्रेस पर दबाव बनाने को कोशिश में लगी हैं।
इंडिया गठबंधन की अगली बैठक 19 को, सीट शेयरिंग में होगा तकरार
इंडिया गठबंधन की अगली बैठक 19 दिंसबर को होनी है। इसमें कांग्रेस व विपक्षी दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर भी तकरार होने के आसार हैं। कई राज्यों में कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों व आप जैसे राष्ट्रीय दलों से सीट शेयरिंग को लेकर तनातनी पहले ही जगजाहिर है। कांग्रेस व अन्य पार्टियां अपनी पार्टी को कई राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटें दिलवाने की कोशिश में हैं।
जाहिर है कि भले ही इंडिया गठबंधन विपक्षी एकता का दावा कर रहा हो, लेकिन अनेक मुद्दों पर कई विपक्षी पार्टियां सहमत नहीं दिख रही हैं। समय-समय पर कई विपक्षी दलों के बीच अनेक मतभेद व मनभेद उजागर होते आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का सामना करेगा ?