130 बाद वैशाख पूर्णिमा पर बन रहा दुर्लभ संयोग, इस तरह करें पूजा, घर में होगी सुख-समृद्धि
नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वैशाख पूर्णिमा मनाई जाती है. इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इस बार वैशाख पूर्णिमा 5 मई को पड़ रही है. इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है. 130 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. इस संयोग के चलते वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान, पूजा आदि करने का महत्व और भी बढ़ गया है. साथ ही चंद्र ग्रहण के चलते लोगों के मन में वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने के सही समय को लेकर भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.
पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा तिथि 4 मई की रात 11 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 5 मई की रात 11 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि वैशाख पूर्णिमा व्रत में चंद्रमा की पूजा होती है, इसलिए पूर्णिमा तिथि का निर्धारण चंद्रमा के उदय के अनुसार होता है. इस मुताबिक वैशाख पूर्णिमा का चंद्रोदय 5 मई को हो रहा है, इसलिए वैशाख पूर्णिमा 5 मई को मानी जाएगी.
वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण लोगों में स्नान-दान के शुभ मुहूर्त को लेकर असमंजस की स्थिति है. दरअसल, यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. लिहाजा चंद्र ग्रहण के कारण वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान, पूजा आदि के मुहूर्त पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का मुहूर्त 5 मई की सुबह सूर्योदय से ही शुरू हो जाएगा. वहीं चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए समय शाम शाम 5 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा. इस बार वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय 5 बजकर 58 मिनट है. वहीं साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई वैशाख पूर्णिमा की रात 08 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और मध्यरात्रि 01:00 बजे समाप्त होगा. इस चंद्र ग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे 15 मिनट की होगी.
वैशाख पूर्णिमा की सुबह से लेकर रात 09 बजकर 17 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा और उसके बाद से व्यतीपात योग लगेगा. सिद्धि योग को शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है. इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा के दिन स्वाती और विशाख नक्षत्र रहेंगे, इन्हें भी धर्म-ज्योतिष में शुभ माना गया है. वहीं वैशाख पूर्णिमा पर भद्रा काल शाम 05 बजकर 01 मिनट से रात 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. लेकिन इस भद्रा का वास पाताल लोक में होने के कारण इसका असर पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाएगा और शुभ काम करने में कोई बाधा नहीं रहेगी.
हिंदू धर्म के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है. वैशाख पूर्णिमा के दिन सोमवार को पड़ने की वजह से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विशेष फल मिलेगा. 16 मई को लगने वाले चंद्र ग्रहण की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है. बौद्ध धर्म को मानने वाले भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव को बड़ी ही उत्साह के साथ मनाते है. इस दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का जगह जगह प्रसार किया जाता है. बौद्ध धर्म को मानने वालों को कहना है कि इस दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को ग्रहण करने से मनुष्य के सांसारिक कष्ट कम हो जाते हैं. उनका मन पवित्र हो जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन दान देने और व्रत का भी विशेष महत्व है.
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. हो सके तो पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें. नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं. अगर आप से संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें. सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से सनान कराए. वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है. वैशाख पूर्णिमा पर विष्णु भगवान के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करनी चाहिए ऐसा करने से घर में लक्ष्मी मां वास होता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी जरुर शामिल करें.