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56 साल बाद अस्पताल ने की सफलतापूर्वक हार्ट ट्रांसप्लांट, मरीज हर रोज सुनता था हनुमान चालीसा, 20 दिन बाद डिस्चार्ज

मुंबईः मुंबई के बीएमसी के केईएम अस्पताल में पहली हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी 56 साल बाद सफलतापूर्वक की गई। यह सर्जरी डॉ. सुधाकर शिंदे की पहल पर की गई थी। मरीज को फिजियोथेरेपिस्ट, डायटिशियन और डॉक्टरों की टीम ने शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत किया है। मरीज को टैली रिहैब के माध्यम से निगरानी में रखा जाएगा, जहां हर दो दिन में वीडियो कॉल के जरिए उनकी सेहत की जांच होगी। इस प्रक्रिया में वेयरेबल डिवाइस का भी उपयोग किया जा रहा है।

फिजियोथेरेपी विभाग की अडिशनल प्रो डॉ. मारिया जियनदानी ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट बहुत बड़ी सर्जरी है। इस दौरान मरीज की शारीरिक हलचल स्थिर हो जाती है। इसका प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। मरीज को पहले की तरह फिजिकली ऐक्टिव बनाने के लिए कार्डियक रिहैबिलिटेशन शुरू कर दिया गया है।

डॉ. ने कहा कि हम अब उनकी क्षमता के अनुसार उनके पुनर्वास की योजना पर काम शुरू कर चुके हैं। हम सभी की मेहनत का फल यह है कि आज मरीज अपने पैरों पर खड़ा हुआ है और घर जा रहा है। इससे ज्यादा खुशी की बात हमारे लिए और क्या होगी जैसे एक नवजात का ख्याल रखा जाता है, हम सभी ने इस मरीज का ख़याल रखा है।

हनुमान चालीसा की ताकत
महेश की पत्नी ने बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट होने के बाद उन्हें दिन में दो बार हनुमान चालीसा सुनाया जाता था। डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज को मोटिवेट करने, उन्हें अच्छा महसूस कराने के लिए दवा के साथ-साथ उन्हें क्या पसंद है, यह भी पूछा जाता रहा। महेश ने हनुमान चालीसा सुनने की इच्छा जाहिर की, तो उन्हें सुबह और शाम को हनुमान चालीसा सुनाया जाता था। उनके पास मोबाइल की भी अनुमति नहीं थी। डॉक्टर उन्हें बच्चों की फोटो दिखाते थे।

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