चंडीगढ़: पंजाब में एडवोकेट जनरल एपीएस देओल को लेकर शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पीसीसी चीफ नवजोत सिंह सिद्धू के ऐतराज के बाद देओल ने अपना इस्तीफा सौंप दिया था, जिसे पंजाब मंत्रिमंडल ने मंजूर कर लिया। उसके अगले ही दिन यानि बुधवार को एडिशनल एडवोकेट जनरल मुकेश बेरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही सरकार से अनुरोध किया कि उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से मूंजर कर लिया जाए।
हाईकोर्ट के सीनियर वकील एपीएस देओल का एडवोकेट जनरल के पद से इस्तीफा स्वीकार करने के पंजाब सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करते हुए मैं एडिशनल एडवोकेट जनरल पंजाब के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। कृपया इसे मंजूर किया जाए। उन्होंने आगे लिखा कि 27 वर्षों तक बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के सदस्य के रूप में वकीलों के निर्वाचित प्रतिनिधि बने रहे। इसके अलावा 28 साल तक एजी पंजाब के दफ्तर में विधि अधिकारी के रूप में सेवाएं दीं। मेरा बस सरकार से यही निवेदन है कि हाईकोर्ट के सीनियर वकीलों की प्रतिष्ठा को कम ना किया जाए।
मामला पवित्र किताब की बेअदबी का मामला उठाकर कांग्रेस सत्ता में आई थी। इस मामले में जो आरोपी थे, उनका केस एपीएस देओल ने लड़ा था। जब नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने देओल के नाम का ऐलान किया, तो ही सिद्धू नाराज हो गए थे। इसके बाद उन्होंने पीसीसी चीफ पद से इस्तीफा भी दे दिया, हालांकि बाद में उन्होंने उसे वापस ले लिया। सिद्धू लगातार देओल पर निशाना साधते रहते थे। पंजाब: अकाली दल के प्रत्याशी पर किसान संगठन से जुड़े लोगों ने किया हमला, गनर को करनी पड़ी हवाई फायरिंगपंजाब: अकाली दल के प्रत्याशी पर किसान संगठन से जुड़े लोगों ने किया हमला, गनर को करनी पड़ी हवाई फायरिंग पार्टी नेताओं ने ही उठाए सवाल वहीं एजी के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता ही सवाल उठा रहे हैं। मामले में पूर्व प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि सिद्धू के दबाव में सीएम चन्नी ने इस फैसले को लिया है। ये फैसला पूरी तरह से गलत है। एक कथित ‘कंप्रोमाइज्ड’ अफसर को हटाने के बाद असली ‘कंप्रोमाइज्ड सीएम’ का चेहरा सामने आ गया है।