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आखिर क्यों 44 दिन से सुलग रहा है बंगाल का संदेशखाली, जानें पूरा विवाद

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिला स्थित संदेशखाली पिछले 44 दिनों से सुलग रहा है. बशीरहाट के इस इलाके से ईडी अधिकारियों पर हमले के बाद टीएमसी का नेता शाहजहां शेख फरार है. अब उसने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया है. घटना की शुरुआत 5 जनवरी को हुई थी. राशन भ्रष्टाचार की जांच के लिए ईडी के अधिकारी तृणमूल नेता शेख शाहजहां के घर गए. सैकड़ों लोगों ने ईडी की टीम को घेर लिया.

केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों को मार खानी पड़ी. अधिकारी घायल हो गए थे और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. उस घटना के बाद संदेशखाली की महिलाएं शाहजहां शेख के खिलाफ सड़कों पर उतर आईं. शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के मकानों में आग लगा दी. महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. बंगाल से लेकर दिल्ली तक संदेशखाली कांड की गूंज गूंजी. मामला कलकत्ता हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

बंगाल राशन घोटाला में राज्य के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में टीएमसी नेता शाहजहां शेख के नाम सामने आए. पांच जनवरी को ईडी के अधिकारी संदेशखाली में उनके घर की तलाशी लेने के लिए पहुंचे, लेकिन गांव वालों ने ईडी अधिकारियों को घेर लिया और उन पर हमला बोल दिया. ईडी अधिकारियों को जान बचाकर भागने के लिए विवश होना पड़ा. हमले में ईडी के तीन अधिकारी घायल हो गए.

ईडी अधिकारियों पर हमले को लेकर थाने में एफआईआर दायर हुई. ईडी ने शाहजहां शेख के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया, लेकिन 44 दिनों के बाद भी वह फरार है. सीएम ममता बनर्जी ने शाहजहां शेख का बचाव किया. सीएम ममता बनर्जी के बयान के बाद शाहजहां शेख ने बारासात कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया है.

शाहजहां शेख संदेशखाली का ‘बेताज बादशाह’ था. गांव के लोगों का कहना है कि उसने अखाड़े में आकर कुछ नहीं किया. उसके लिए शिबू, उत्तम या उनके जैसे अन्य लोग थे. आरोप है कि घर की महिलाएं घर से निकलने से डरती थीं. यह भी आरोप है कि उन्हें रात में पार्टी कार्यालय ले जाया जाता था और रात भर रखा जाता था. गांव की महिलाओं ने मीडिया को बताया कि अवर्णनीय अत्याचार हो रहा था.

संदेशखाली सरबेरिया के लोग महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, जमीन पर कब्जा, क्षेत्र में सत्ता की स्थापना और कई अन्य अत्याचारों को चुपचाप सहते रहे हैं, लेकिन फरवरी के पहले सप्ताह में शाहजहां शेख के अत्याचार के खिलाफ महिलाओं ने आवाज उठाई. महिलाएं लाठी-डंडा, झाड़ू, बांस लेकर सड़क पर उतर आईं. स्थिति इतनी भयावह हो गई कि पुलिस को उसे नियंत्रित करने में मशक्कत करनी पड़ी.

शिबू हाजरा स्थानीय पंचायत नेता हैं. उत्तम सरदार फिर से जिला परिषद के सदस्य हैं. उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर शिबूर पोल्ट्री फार्म, बागानबाड़ी में तोड़फोड़ की गई. वहीं, उत्तम सरदार को पहले ही 6 साल के लिए तृणमूल से निलंबित किया जा चुका है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

संदेशखाली विधानसभा के अंतर्गत संदेशखाली में 16 ग्राम पंचायतें हैं. उनमें से एक है संदेशखाली ग्राम पंचायत. 2011, 2016, 2019 तृणमूल वहां हर चुनाव हारी. राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने संदेशखाली का दौरा किया. वहां से सीधे दिल्ली पहुंचे. कानून एवं व्यवस्था के मामले गृह मंत्रालय को रिपोर्ट दी. दिल्ली से महिला आयोग की एक टीम संदेशखाली गयी.

संदेशखाली की घटना पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और पुलिस को इस मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया और रिपोर्ट तलब की. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है. याचिकाकर्ता ने एसआईटी का गठन करने सहित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार संदेशखाली जा रहे थे. संदेशखाली जाने के रास्ते में पुलिस ने उन्हें रोका. पुलिस के साथ झड़प हुई. वह गाड़ी के बोनट पर चढ़ने लगे. आरोप है कि इसी दौरान वह गिर गए और बेहोश हो गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर अन्य नेताओं ने उनकी खोजखबर ली.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संदेशखाली की घटना को लेकर विधानसभा में बयान दिया. उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे ईडी और बीजेपी की साजिश है. उन्होंने कहा कि संदेशखाली को आरएसएस ने अपना बंकर बना लिया है. संदेशकाली में दंगा स्पॉट बनाना चाहते हैं.

संदेशखाली की घटना को लेकर बीजेपी ने एक प्रतिनिधिमंडल संदेशखाली भेजा. इलाके में धारा 144 लगा दी गई. बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल को संदेशखाली में प्रवेश करने नहीं दिया गया. बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने आरोप लगाटया कि संदेशखाली में टीएमसी नेताओं की शह पर महिलाओं पर अत्याचार हुआ है.

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