आखिर क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की संपूर्ण विधि
नई दिल्ली : हिंदू धर्म में नाग पंचमी का काफी महत्व है. ये त्योहार हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार ये तिथि 21 अगस्त को पड़ रही है. मान्यता है कि जो भी इस जिन नाग देवता की आराधना करता है, उनके अंदर सांपों के लिए भय खत्म हो जाता है. इसी के साथ कुंडली से कालसर्प दोष खत्म करने के लिए भी इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. नागपंचमी के दिन भोलेनाथ की पूजा भी की जाती है जिससे उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस साल की नाग पंचमी बेहद खास बताई जा रही है. दरअसल इस दिन दो शुभ संयोग बन रहे हैं जो बहुत शुभ हैं. दरअसल इस दौरान शुक्ल योग और अभिजीत मुहूर्त बनेगा जो बेहद खास बताया जा रहा है. इन शुभ योग का असर 4 राशियों पर पड़ेगा. ये चार राशियां हैं मेष, धनु, वृश्चिक और कुंभ. बताया जा रहा है कि नाग पंचमी पर इन दो शुभ योग के प्रभाव से इन राशियों की सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी. वैवाहिक जीवन भी खुशहाल होगा और हर क्षेत्र में सफलता हासिल होगी.
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त सुबह 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 22 अगस्त को सुबह 2 बजे तक रहेगी. नाग पंचमी का पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5.53 से लेकर 8.29 तक का है.
नाग पंचमी त्योहार मनाने के कई कारण बताए जाते हैं. नाग भोलेनाथ को अतिप्रिय हैं. वह अपने गले में भी वासुकि नाग को धारण रखते हैं. ऐसे में नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता ये भी है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से कुंडली से काल सर्प दोष खत्म होता है.
दरअसल अर्जुन के पोते और राजा परीक्षित के बेटे जन्मजेय ने अपनी पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए नागों के पूरे कुल को खत्म करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया था. उनके पिता को तंक्षक सांप ने मार डाला था. वहीं ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि को जैसे ही इस बारे में पता चला, उन्होंने यज्ञ को रोक दिया जिससे नागों का कुल बच गया. ये यज्ञ श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि रोका गया. इसके बाद नागों को आग की तपिश से बचाने के लिए उन पर कच्चा दूध डाल दिया गया था. तब से ही नाग पंचमी मनाई जाने लगी.
नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. साफ कपड़े पहनकर शिवलिंग का पानी, कच्चे दूध, दही और शहद से अभिषेक करें. इसके बाद नाग देवता का भी अभिषेक करें और दूध का भोग लगाएं. इसके बाद नाग देवता की आरती करें.