दस्तक ब्यूरो, देहरादून। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश की सभी पांचों संसदीय सीटों पर नए चेहरे उतार सकती है। इसके लिए भाजपा नेतृत्व धामी सरकार के कद्दावर मंत्रियों पर लोकसभा चुनाव में बड़ा दांव चल सकती है। इसी कड़ी में पहले महिला सशक्तीकरण मंत्री रेखा आर्य को अल्मोड़ा सीट पर प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है और अब टिहरी लोकसभा सीट पर भी धामी सरकार के एक कद्दावर मंत्री के नाम की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इस दिग्गज मंत्री का नाम है सुबोध उनियाल, जो धामी सरकार में वन मंत्री हैं। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने टिहरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करके सबको चौंका दिया है। इससे पहले सुबोध उनियाल ने कभी लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं जताई है। इसलिए ऐसा भी माना जा रहा है कि हो सकता है सुबोध उनियाल को भाजपा हाईकमान की तरफ से ऐसा कोई इशारा मिल गया हो।
नये चेहरों को मैदान में उतारने की रणनीति
वैसे तो उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटें हैं, लेकिन इनमें अल्मोड़ा व टिहरी सीट ऐसी हैं जहां कई बार से भाजपा एक ही चेहरे को चुनावी मैदान में उतारती रही है। लेकिन, इस बार भाजपा नेतृत्व पुराने चेहरों के बजाय नये चेहरों पर दांव चलने के मूड में है। इसी कड़ी में अल्मोड़ा सीट पर मौजूदा सांसद अजय टम्टा का विकल्प मंत्री रेखा आर्य के रूप में देखा जा रहा है। अब वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी अचानक टिहरी सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करके सबको हैरान कर दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि उनकी लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी लगभग पूरी है। अगर पार्टी हाईकमान का निर्देश हुआ तो वह चुनाव जरूर लडेंगे। माना जा रहा है कि टिहरी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत टिहरी, देहरादून व उत्तरकाशी जिले में मजबूत पकड़ होने के कारण सुबोध उनियाल के नाम पर विचार हो सकता है। मौजूदा समय में भाजपा के पास सुबोध उनियाल से बड़ा चेहरा नजर नहीं आता है। हालांकि, उनके अलावा पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा के नाम की भी चर्चाएं थी।
ऐसे में अब यह भी संभावना है कि भाजपा हरिद्वार, नैनीताल व पौड़ी सीट पर भी नए चेहरे उतार सकती है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा नेतृत्व बड़े व कड़े निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। पार्टी चाहती है कि जनता के सामने नए चेहरे पेश किए जाएं, ताकि सिर्फ चुनिंदा चेहरों तक सीमित न रहा जाए। इसके लिए धामी सरकार में जनाधार वाले मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतारने पर विचार हो सकता है। इससे एंटी इन्कम्बेंसी को रोकने में भी मदद मिलेगी। भाजपा नेतृत्व राज्य की सभी पांचों सीटें जीतना चाहता है। बता दें कि वर्ष 2019 में भाजपा ने राज्य की सभी पांचों सीटें जीती थी। कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था।