नोएडा: दक्षिण अफ्रीका की कंपनी जेट डिमोलिशन्स के प्रबंध निदेशक जो ब्रिंकमैन ने कहा कि सुपरटेक ट्विन टावर के सफलतापूर्वक धराशायी होने के साथ ही भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिन्होंने 100 मीटर से अधिक ऊंचे ढांचे को सुरक्षित तरीके से ध्वस्त किया है। ब्रिंकमैन ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि नोएडा के सेक्टर-93ए में अवैध ट्विन टावरों को 12 सेकंड के भीतर ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक की मदद से धराशायी किया गया। अधिकारियों के अनुसार, सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर बने ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) टावरों की ऊंचाई 103 मीटर थी।
मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी को 28 अगस्त को ट्विन टावर गिराने का कार्य सौंपा गया था। कंपनी ने इस जोखिम भरे कार्य के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स के साथ एक करार किया था। ब्रिंकमैन (62) ने कहा ”भारत और एडिफिस अब उन देशों के 100 मीटर के क्लब में शामिल हो गए हैं, जिनके पास गगनचुंबी इमारतें हैं, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया है और वह भी उनके बेहद करीब स्थित आवासीय इमारतों को नुकसान पहुंचाए बिना….,
इन परिस्थितियों ने कार्य को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया था।” ब्रिंकमैन ने इस कार्य के लिए एडिफिस-जेट टीम की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ”इस कार्य को सफल बनाने के श्रेय पूरी टीम को जाता है।” नवंबर 2019 में जेट डिमोलिशन्स कंपनी ने जोहानिसबर्ग में 108-मीटर ऊंचे बैंक ऑफ लिस्बन की इमारत को कुछ ही सेकंड के भीतर धराशायी कर दिया था। इस दौरान यह सुनिश्चित किया गया था कि इमारत से बमुश्किल सात मीटर की दूरी पर बनी इमारत सुरक्षित रहे। एडिफिस इंजीनियरिंग पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने बताया कि ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा।
उन्होंने कहा, ”हमें निपटान के लिए एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के साथ मिलकर काम करना होगा क्योंकि पहले मलबे को साइट पर संसाधित किया जाएगा। इसके बाद इसे निर्माण और ध्वस्त अपशिष्ट प्रसंस्करण केंद्रों में ले जाया जाएगा।” एडिफिस के एक अन्य सहयोगी जिगर छेदा ने ”पीटीआई-भाषा” को बताया, हम दिन और रात इस दिन की तैयारी में लगे रहे। दोनों टावरों में विस्फोट करने के लिए नौ हज़ार से अधिक छेद किए गए।” परियोजना प्रबंधक मयूर मेहता ने बताया कि 9,642 छेद किए गए तथा इमारतों को ध्वस्त करने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया।