‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर महाराष्ट्र के बाद अब यूपी में भी भाजपा नेता बंटे, केशव प्रसाद मौर्य ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ से किया किनारा?
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे पर अब महाराष्ट्र के बाद अब यूपी में भी भाजपा नेता बंटते हुए दिख रहे हैं। कानपुर में एक सार्वजनिक सभा के दौरान जहां योगी आदित्यनाथ ने इस नारे को दोहराया. वहीं उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने इस पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं की और न ही मुख्यमंत्री के बयान का समर्थन किया।
केशव मौर्य ने इस मामले पर कमेंट करते हुए कहा, “मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री ने यह बात किस संदर्भ में कही है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। उन्होंने यह भी कहा कि, “प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘एक है तो सेफ है’ हमारे पार्टी के मूल नारे हैं।” यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि केशव मौर्य मुख्यमंत्री के ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारे से खुद को अलग करना चाहते हैं और वे इस पर कोई विवाद या चर्चा नहीं करना चाहते।
केशव मौर्य ने यह भी साफ किया कि मुख्यमंत्री ने जो कहा है, वह शायद कुछ सोच-समझकर कहा होगा, लेकिन उन्होंने इस मामले में खुद को अलग रखा और टिप्पणी करने से बचने की कोशिश की। उनका यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि यूपी की राजनीति में सबकी अपनी रणनीतियां और विचारधाराएं हो सकती हैं, जो कभी-कभी अलग हो सकती हैं।
इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा के सहयोगी दल एनसीपी के नेता अजित पवार ने टिप्पणी की थी कि महाराष्ट्र में “बटेंगे तो कटेंगे” नारे के लिए कोई जगह नहीं है क्योंकि राज्य बीआर अंबेडकर के सिद्धांतों पर काम करता है, जिससे महत्वपूर्ण महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उनकी सहयोगी भाजपा परेशान हो गई थी । शुक्रवार को एक बार फिर शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने “बटेंगे तो कटेंगे” नारे पर अपना रुख कायम रखते हुए कहा कि वह ऐसे विचारों का समर्थन नहीं करेंगे। पवार ने कहा- “हम सभी ने इसका विरोध किया है। किसी ने मुझे बताया कि भाजपा की पंकजा मुंडे ने भी इस नारे का विरोध किया है।
एक राज्य का सीएम यहां आता है और कहता है “बटेंगे तो कटेंगे”, हमने तुरंत कहा कि ऐसे नारे यहां काम नहीं करेंगे क्योंकि महाराष्ट्र अंबेडकर के सिद्धांतों पर काम करता है…मुझे नहीं पता कि देवेंद्र जी का इस पर क्या जवाब है लेकिन हमें यह ‘काटेंगे, बटेंगे’ पसंद नहीं है।” दिलचस्प बात यह है कि न केवल सहयोगी एनसीपी, बल्कि महाराष्ट्र भाजपा के कुछ हाई-प्रोफाइल नेताओं ने भी इस नारे से दूरी बनाए रखी है और दावा किया है कि पार्टी को विभाजनकारी बयानबाजी से बचना चाहिए।
दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने कहा, “मेरी राजनीति अलग है। मैं सिर्फ़ इसलिए इसका समर्थन नहीं करूंगी क्योंकि मैं पार्टी से जुड़ी हुई हूं। हमें विकास पर ध्यान केंद्रित करने और महाराष्ट्र के हर व्यक्ति को एकजुट करने की दिशा में काम करने की ज़रूरत है।” इस साल की शुरुआत में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए अशोक चव्हाण ने भी मुंडे की ही तरह की बात कही। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार चव्हाण ने कहा, “इस तरह के नारों का महाराष्ट्र में कोई महत्व नहीं है और ये अच्छे नहीं हैं। निजी तौर पर मैं इसका समर्थन नहीं करता।”