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ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुनियाभर में बढ़ी ब्रह्मोस मिसाइल की मांग, कई मुस्लिम देश भी कतार में

नई दिल्ली : ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी के बाद भारत और रूस के सहयोग से तैयार हुए ब्रह्मोस मिसाइल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कई रिपोर्ट्स में यह पुष्टि की गई कि भारत (India) ने पाकिस्तान की कार्रवाई का जवाब देने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया। जानकारी के मुताबिक यह पहली बार है जब इस मिसाइल को किसी युद्ध में इस्तेमाल किया गया है। हालांकि भारत ने आधिकारिक तौर पर इसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं की है, लेकिन पाकिस्तान ने ब्रह्मोस से हुई तबाही का जिक्र किया है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल फैसिलिटी के उद्घाटन में दौरान इसका जिक्र किया था। इन सब के बीच अब अंतराष्ट्रीय बाजार में ब्रह्मोस की मांग और बढ़ गई है।

ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया गया है। इसे भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के NPO मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक साझेदारी के तहत डेवलप किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइलों को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों और जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज लगभग 300 किलोमीटर है। वहीं यह 200 से 300 किलो वजन का वारहेड भी ले जा सकता है। यह 2.8 मैक की तीव्र गति से उड़ान भरता है। ब्रह्मोस मिसाइल अपनी सटीकता के लिए भी जाना जाता है।

कई देशों ने ब्रह्मोस में गहरी रुचि दिखाई है। फिलीपींस ने जनवरी 2022 में भारत के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के लिए एक सौदा किया था। इस सौदे के तहत भारत फिलीपींस को तीन खेप भेजने वाला था। भारत ने हाल ही में अप्रैल 2025 में इसकी दूसरी खेप फिलीपींस को डिलीवर की है। वहीं भारत और इंडोनेशिया भी जल्द ही ऐसी एक डील फाइनल कर सकते हैं। लगभग 450 मिलियन डॉलर के इस सौदे पर पिछले एक दशक से बातचीत चल रही है।

इसके अलावा वियतनाम भी अपनी सेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदने की योजना बना रहे हैं। वियतनाम भारत के साथ 700 मिलियन डॉलर का सौदा कर सकता है। वहीं मलेशिया अपने सुखोई Su-30MKM लड़ाकू विमानों और केदाह श्रेणी के युद्धपोतों के बदले ब्रह्मोस मिसाइलों का सौदा कर सकता है।

इसके अलावा थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना, वेनेजुएला, मिस्र के अलावा सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ओमान जैसे अरब देशों ने भी ब्रह्मोस मिसाइलों में रुचि दिखाई है। इस मामले पर जानकारों का मानना है कि इंडो पेसिफिक क्षेत्र के कई देश दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता को देखते हुए ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं इसके एडवांस वर्जन ने अरब देशों को भी अपनी तरफ आकर्षित किया है।

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