‘गगनयान की उपलब्धि के बाद शुरू होंगे दूसरे मिशन’, अंतरिक्ष मलबे के बारे में भी बोले जितेंद्र सिंह
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में अंतरिक्ष मलबे के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत के पास 111 पेलोज और 105 अंतरिक्ष मलबा है।
उन्होंने बताया कि भारत के पास 111 पेलोड और 105 अंतरिक्ष मलबा है, जो पृथ्वी की परिक्रमा लगा रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष पर्यावरण पर बढ़ते अंतरिक्ष के मलबों के प्रभावों को लेकर कई अध्ययन कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसरो और शिक्षाविदों द्वारा अंतरिक्ष मलबे से संभावित और उभरते खतरों पर अनुसंधान और अध्ययन 1990 के दशक की शुरुआत से किया जाता रहा है।
इसी बीच जितेंद्र सिंह ने इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS4OM) के बारे में भी जानकारी दी। जिसे साल 2022 में राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसे अंतरिक्ष मलबे को लेकर पर्यावरण के विकास की भविष्यवाणी में सुधार और अंतरिक्ष द्वारा उत्पन्न जोखिम को कम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। उन्होंने आगे गगनयान मिशन का उल्लेख किया और बताया कि इस मिशन की उपलब्धि के बाद ही भविष्य के मिशन शुरू किए जाएंगे।
अंतरिक्ष मलबा सौर मंडल के खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, और उल्कापिंड (बाहरी अंतरिक्ष में एक छोटी चट्टानी या धातु निकाय) में पाए जाने वाले प्राकृतिक मलबे को संदर्भित करता है। लेकिन आज के सन्दर्भ में अंतरिक्ष के मलबे में खंडित और पुराने उपग्रहों और रॉकेट के अवशेषों को भी शामिल किया जाता है क्योंकि यह अवशेष भी पृथ्वी की परिक्रमा लगाते रहते हैं और एक-दूसरे से टकराते रहते हैं। जिसकी वजह से मलबा पैदा होता है।