सपा पर माफियाओं के बाद अब आतंकी संरक्षण की मुहर
अभी तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी सहित यूपी के लोग ही कहते रहे कि लाल टोपी मतलब सबसे बड़ा गुंडा, सबसे बड़ा माफिया और चोर, उचक्के, लूटेरों के संरक्षणदाता, लेकिन अब तो आतंकियों के शरणदाता की भी मुहर लग गयी है। बता दें कि अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में जिन 38 दोषियों को फांसी की सजा दी गई है, उनमें से एक के परिवार का संबंध सपा मुखिया अखिलेश यादव से रहा है। खास यह है कि आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले इनमें से छह आतंकियों के मुकदमें अखिलेश यादव ने वापस भी लिए थे। चुनावी बेला में भाजपा इस प्रकरण को पूरे जोरशोर से उठा रही है। मतलब साफ है सपा पर बाहुबलियों, माफियाओं की ही नहीं अब आतंकी कनेक्शन एवं संरक्षण पर भी मुहर लग गयी है। या यूं कहें जिन्ना, गन्ना, हिजाब के बाद अब आतंक के मुद्दे की भी एंट्री हो गयी है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या सपा पर माफियाओं के बाद अब आतंकी संरक्षण की मुहर लग गयी है? क्या इससे यूपी की चुनावी गणित बदलेगा?
–सुरेश गांधी
फिलहाल, तीसरे चरण मतदान के कुछ ही घंटे पहले आतंकवाद का मुद्दा शामिल हो गया है। और आजमगढ़ एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इसको लेकर अब सूबे की सियासत भी गर्मा गई है। राजनीतिक संरक्षण पाये आतंकियों ने अहमदाबाद को दहला कर पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इसके बाद सियासी और आतंकी गठजोड़ का वीभत्स चेहरा सामने आया है। भाजपा का आरोप हैं कि अहमदाबाद ब्लास्ट मामले में जिन 38 दोषियों को फांसी की सजा दी गई है, उनमें से एक आतंकी मोहम्मद सैफ, जो सपा नेता शादाब अहमद का बेटा है, के परिवार का संबंध सपा मुखिया अखिलेश यादव से है। वह आतंकवादी खुद सपा के लिए प्रचार करता था। सीएम योगी ‘आदित्यनाथ ने कहा, सपा का हाथ, आतंकियों के साथ, आतंकी के अब्बा से ही नहीं कनेक्शन, मुकदमा भी वापस ले रहे थे अखिलेश-कोर्ट ने लगाई थी फटकार। उन्होंने कहा कि इससे अनुमान लगा सकते हैं कि सपा के मंसूबे क्या हैं। शादाब अहमद का बेटा इस बम ब्लास्ट में शामिल था और मास्टरमाइंड भी था।
हालांकि यह कोई पहली बार आरोप नहीं लगा है, इसके पहले भी सपा पर गुंडे, माफियाओं, चोर, उचक्कों, बलातकारियों, खनन माफियाओं, डकैतो के संरक्षण के आरोप लगते रहे है और इस खुले संरक्षण के चलते ही आम जनमानस ने 2017 में सत्ता से बेदखल कर दिया था। बता दें, अखिलेश के पांच साल के कार्यकाल में न सिर्फ पूरे सूबे में हजारों दंगे हुए, बल्कि सपाईयों द्वारा जगह-जगह आम जनमानस का उत्पीड़न, पत्रकारों की हत्या, यादव सिंह जैसे भ्रष्टाचारी एवं गायत्री प्रजापति जैसे बलातकारी को बचाना, बाहुबलियों एवं माफियाओं को संरक्षण देते रहे। लेकिन बारी जब जनता की आई तो बाहर का रास्ता दिखा दिया। खास बात यह है कि इस बार के चुनाव में भी सपा का गुंडा प्रेम जगजाहिर है। जिलों में इस बार भी कहीं माफियाओं, दंगाईयों को चुनाव लड़ाया जा रहा है तो कहीं पिछले दरवाजे से संरक्षण है। यही वजह है कि इस बार भी सपा की निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा सपा के गुंडागर्दी को जोरशोर से उठा रही है।
यहां जिक्र करना जरुरी है कि आजमगढ़ के सरायमीर के अबु बशर को अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में फांसी की सजा मिली है। ये वही सरायमीर है जहां अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की पैदाइश हुई थी। अहमदाबाद केस में आजमगढ़ के चार अन्य दोषियों को भी फांसी मिली है। इतिहास में पहली बार आजमगढ़ के पांच लोगों को बम धमाके के लिए फांसी की सजा हुई है। इसे आतंकवाद के खिलाफ भारत का सबसे ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है। चुनावी बेला में सरायमीर का इस तरह से चर्चा में आना पूर्वांचल की राजनीति के लिए निर्णायक हो सकता है। वैसे तो आजमगढ़ में सपा का प्रभाव है। 2017 में जिले की दस में से पांच सीटों पर सपा जीती थी। चार सीट बसपा को और एक सीट भाजपा को मिली थी। इस इलाके में भाजपा कमजोर रही है। लेकिन अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का ऐतिहासिक फैसला, चुनाव के नैरेटिव को चेंज कर सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि यह मुस्लिम और यादव बहुल इलाका है। हालांकि 1991 के राम मंदिर लहर में भाजपा को सरायमीर और मेंहनगर की सीट पर जीत मिली थी। फिर 1996 में लालगंज की सीट पर कमल खिला था। लेकिन इसके बाद भाजपा को यहां जीत नहीं मिली। 2017 में भाजपा को फूलपुर पवई में जीत मिली थी। भाजपा को यह जीत दिलायी थी पूर्व सांसद रमाकांत यादव के पुत्र अरुण यादव ने। लेकिन 2022 के चुनाव में भाजपा ने आजमगढ़ में विश्व विद्यालय, पूर्वांचल एक्सप्रेस सहित विकास के अनगिनत काम कराएं है। यह अलग बात है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ से ही सांसद हैं। परिणाम क्या होगा यह तो 10 मार्च को पता चलेगा, लेकिन आतंकी कनेक्शन की मुहर लगने के बाद चुनावी गणित बदलने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
2022 में भाजपा की स्थिति
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की नीलम सोनकर लालगंज में, सगड़ी में वंदना सिंह, मेहनगर में मंजू सरोज जोरदार चुनौती पेश कर रही हैं। मेहनगर सपा की सीट थी। कल्पनाथ पासवान यहां से जीते थे। लेकिन इस बार सपा ने यह सीट सुभासपा को दे दी। सुभासपा की पूजा सरोज, भाजपा की मंजू सरोज और बसपा के पंकज कुमार के बीच मुकाबला है। सगड़ी सीट पर 2017 में बसपा की वंदना सिंह जीती थी। 2022 में वे भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वंदना सिंह का मुकाबला सपा के एचएम पटेल और बसपा के शंकर यादव से है। लालगंज में बसपा के मौजूदा विधायक आजाद अरिमर्दन को चुनौती दे रही हैं भाजपा की नीलम सोनकर। नीलम सोनकर पूर्व सांसद रही हैं। सपा के बेचई सरोज यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। बेचई सरोज 2012 में यहां से विधायक चुने गये थे।
आजमगढ़ के 5 को फांसी की सजा
आजमगढ़ के सरायमीर को आतंकी कनेक्शन के लिए भी जाना जाता है। मुम्बई का अंडर वर्ल्ड डॉन अबू सलेम सरायमीर का ही रहने वाला था। 1993 के मुम्बई धमाके में उसका दोष साबित हुआ था। इस घटना में 257 लोग मारे गये थे। 2017 में अबु सलेम को मुम्बई ब्लास्ट केस में उम्रकैद की सजा हुई थी। आजमगढ़ जिले के शिवराजपुर के रहने वाले रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा हुई थी। अब अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट केस में सरायमीर के अबु बशर समेत आजमगढ़ के पांच दोषियों को फांसी की सजा मिली है। फांसी की सजा पाये चार अन्य चार के नाम हैं, मो, आरिफ, मौ. सैफ, जिशान अहमद और शैफुर रहमान। अहमदाबाद सीरियम ब्लास्ट 26 जुलाई 2008 को हुआ था जिसमें 56 लोगों की मौत हुई थी। इस खूनी घटना का मास्टर माइंड अबू बशर था।
2007 में जह अबू सलेम के चुनाव लड़ने के सटे थे पोस्टर
मुम्बई सीरियल ब्लास्ट मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे अबू सलेम ने 2007 में विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहा था। उसने आजमगढ़ के मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मन बनाया था। उस समय क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी नामक एक दल ने सलेम को अपना उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी। मुबारकपुर में अबु सलेम के चुनाव लड़ने के सैकड़ों पोस्टर भी सट गये थे। लेकिन उसका नाम सरायमीर की मतदाता सूची में नहीं था। उसके वकीलों ने मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की कोशिश की थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसकी वजह से वह चुनाव नहीं लड़ पाया था। 2011 में जब उसकी चाची की मौत हुई थी तब वह टाडा अदालत की इजाजत से अपने गांव सरायमीर आया था। तब उसने कहा था, अब मैंने राजनीति में आने का इरादा छोड़ दिया है। कानूनी बंदिशों के कारण सलेम चुनाव नहीं लड़ सकता था। इसलिए उसका मंसूबा पूरा नहीं हुआ। लेकिन आतंकी कनेक्शन से आजमगढ़ की राजनीति अछूती नहीं है।
अखिलेश को हाईकोर्ट लगा चुकी है फटकार
वाराणसी में 7 मार्च 2006 को हुए बम ब्लास्ट में21 लोग मारे गए थे। इस मामले में एक आरोपित के खिलाफ मामलों को ख़त्म करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि अखिलेश सरकार कैसे ये निर्णय ले सकती है कि कौन आतंकवादी है और कौन नहीं। हाईकोर्ट ने कहा था कि ये निर्णय अदालत का है। उच्च-न्यायालय ने पूछा था कि आखिर क्या सरकार ऐसे कदम उठा कर आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहती है। कोर्ट ने कहा था कि आज मामले वापस लिए जा रहे, और कल उन्हें पद्मा भूषण दे दिया जाएगा! ब्ता दें, 2012 में बनी सपा सरकार ने इस मामले के आरोपित ‘मुस्लिमों’ पर से केस हटाने के लिए कदम उठाए थे। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कई जिलों की अदालतों में आरोपितों के खिलाफ मामले चल रहे थे। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार के कदम से बम ब्लास्ट की साजिश रचने वालों को और प्रोत्साहन मिलेगा। इस मामले में बम स्टोर कर के रखने वाले वहीदुल्लाह और शमीम को राज्य सरकार रिहा करने की योजना बना रही थी। वलीउल्लाह जहाँ एक मौलवी था, वहीं शमीम उसका शागिर्द था। इस पर 2002 में कारगिल युद्ध में सेना की गतिविधि के बारे में जानकारी देने और रामपुर में सीआरपीएफ पर हमले करने के भी आरोप थे।
केवल नाम समाजवादी है, लेकिन काम दंगावादी
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कहा कि फांसी की सजा पाये एक आतंकवादी मोहम्मद सैफ के परिवार का संबंध सपा से है। सैफ के पिता सपा के रहनुमा बताए जाते हैं। इतना ही नहीं वो खुद इन दिनों सपा का जोर शोर से इलाके में प्रचार भी कर रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि सपा दंगावादी पार्टी है। केवल नाम समाजवादी है, लेकिन काम दंगावादी है और सोच परिवारवाद तक सीमित है। सीएम योगी ने जनता से पूछा कि चुनाव में आप अनुमान कर लें कि आतंकवादियों के हितचिंतक और आतंकवादियों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाला राजनीतिक दल को चुनाव जीताना है या सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की ओर ले जाने वाली भाजपा को जिताना है।
आतंकी और सपाई, आपस में भाई-भाई
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पहले ये आतंकियों को निर्दोष बताते हैं फिर आतंकियों के साथ हमदर्दी जताते हैं। इसके बाद आतंकियों के मुकदमे वापस लिए जाते हैं। अंत में पता चलता है आतंकी और सपाई, आपस में भाई-भाई। योगी सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने लिखा कि अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के दोषी आतंकवादी में से एक आतंकवादी जो आजमगढ़ का था, उसके पिता के संबंध अखिलेश यादव से थे। उन्होंने सवाल किया कि राष्ट्र विरोधी लोगों से आपकी आत्मीयता इतनी ज्यादा क्यों? गौरतलब है कि जुलाई 2021 में लखनऊ के काकोरी इलाके से ‘आतंक निरोधी दस्ता’ ने अलकायदा के दो आतंकियों को गिरफ्तार किया था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से पत्रकारों ने जब इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने साफ कहा कि वह यूपी पुलिस पर भरोसा नहीं करते।
अखिलेश यादव का करीबी है आतंकी का पिता
फांसी की सजा पाये बाज बहादुर निवासी मोहम्मद सैफ के पिता शादाब अहमद शेख उर्फ मिस्टर आजमगढ़ में सपा के पुराने नेताओं में शामिल रहे हैं। वह 2008 में सपा के जिला उपाध्यक्ष और पार्टी के महासचिव भी रह चुके है। आजमगढ़ सांसद और सपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नजदीकी में शुमार है। सैफ छह भाइयों मे चौथे नंबर पर है। कम्प्यूटर व इंगलिश स्पीकिंग कोर्स करने आजमगढ़ से दिल्ली गए सैफ को दिल्ली के बटला हाउस कांड में गिरफ्तार किया गया था।
आजमगढ़ के 6 आतंकियों को फांसी की सजा
मोहम्मद सैफ के अलावा अबु बशर, आरिफ मिर्जा नसीम, आरिफ बदर, सैफूल रहमान और कोट मोहम्मद जीशन को भी फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं, आजमगढ़ के ही मोहम्मद सादिक को आजीवन कारावास की सजा मिली है। आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के रहने वाला अबु बशर इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन से जुड़ा था। साथ ही इस सीरियल ब्लास्ट का भी मास्टरमाइंड भी था। आजमगढ़ के जिन छह युवकों को फांसी की सजा सुनवाई गई है, उनमें कोई प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने तो कोई कारोबार के सिलसिले में दिल्ली गया था
बाटला हाउस एनकाउंटर से आजमगढ़ का कनेक्शन
आजमगढ़ का बाटला हाउस एनकाउंटर में भी कनेक्शन सामने आया था। इस एनकाउंटर में स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद वर्मा को गोली लगी थी। इंस्पेक्टर वर्मा को अस्पताल ले जाया गया, कुछ ही घंटों में अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद आजमगढ़ को एक आतंक का केंद्र बताया गया क्योंकि मारे गए दो संदिग्ध और गिरफ्तार किए गए तीन सभी जिले के सराय मीर इलाके के संजरपुर गांव के थे। आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के बीनापार गांव का रहने वाला मास्टर माइंड अबू बशर का नाम अहमदाबाद ही नहीं जयपुर, लखनऊ और दिल्ली में भी हुए बम धमाकों में आया था।
रची गई थी पीएम मोदी की हत्या करने की साजिश
इस फैसले में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। दरअसल, आतंकियों ने बम विस्फोट के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करने की भी साजिश रची थी। प्रधानमंत्री मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। सरकारी वकील सुधीर ब्रहमभट्ट ने बताया कि एक आरोपी ने बाकायदा मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश कबूल की है। सुधीर ब्रहम भट्ट ने कहा कि आरोपी जानते थे कि विस्फोट के बाद नरेन्द्र मोदी घायलों से मिलने सिविल अस्पताल जाएंगे। इसके लिए अस्पताल में भी बम प्लांट किए गए थे। हालांकि, बमों में विस्फोट नहीं हो सका था।
आतंकियों को बचाना सपा का एजेंडा
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अखिलेश पर आतंक को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश ने ठाना है, आतंकियों को बचाना है। सपा ने आजमगढ़ को आतंककियों का गढ़ बना दिया है। उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है। तुष्टिकरण की राजनीति के कारण सपा सरकार में आतंकियों को संरक्षण मिलता है। देश की ऐसी पहली पार्टी है, जिसने 2012 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस बात का ऐलान किया था कि सरकार बनते ही आतंकियों के खिलाफदर्ज सभी मामलों को वापस लिया जाएगा और पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज होंगे। लखनऊ और अयोध्या में जिसने बम हमले किए, उन्हें अखिलेश ने रिहा करवाया। 2013 में सरकार बनते ही अखिलेश ने आतंकवादियों को छोड़ा था। जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया था।