यूएई के बाद अब रूस में हिंदू समुदाय ने की भव्य मंदिर की मांग, पीएम मोदी के दौरे से पहले जताई इच्छा
मॉस्को : पीएम मोदी की रूस यात्रा के पहले वहां मौजूद भारतवंशी समुदाय ने हिंदू मंदिर की मांग की है। वैसे तो रूस अपने रूढ़िवादी चर्च के लिए जाना जाता है, लेकिन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू धर्म भी देश में धीरे-धीरे बढ़ रहा है। एक मजबूत ईसाई आबादी के बावजूद, रूस में हिंदू मंदिर और सामुदायिक समूह दिखाई देने लगे हैं। हिदू आबादी बढ़ने के साथ ही देश में हिंदू मंदिर की इच्छा तेज हो रही है। रूस में भारतीय राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र ‘सीता’ (SITA) के अध्यक्ष सैमी कोटवानी ने राजधानी मॉस्को में पहला हिंदू मंदिर बनाने की मंशा जाहिर की है। कोटवानी ने अपनी मांग को ऐसे समय में जाहिर किया है, जब जल्द ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉस्को की यात्रा पर पहुंचने वाले हैं।
पीएम मोदी की यात्रा के पहले हिंदू मंदिर की मांग अस्वाभाविक नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन कर चुके हैं। रूस में हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र महत्वपूर्ण हैं, क्योंक वे समुदाय के लिए एक सुरक्षित स्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। रूस में हिंदू संगठन धार्मिक समूह के साथ ही समुदाय-निर्माण गतिविधियों के केंद्र के रूप में भी काम करते हैं।
रूस में हिंदू धर्म 19वीं सदी के आखिर में रूस में दिखाई देने लगा था, जिसे ‘पेरेस्त्रोइका’ कहा जाता है। पेरेस्त्रोइका का अर्थ है पुनर्गठन। यह एक ऐसे युग के बारे में इस्तेमाल किया जाता है, जब गतिरोध को समाप्त करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक प्रणालियों को बदलने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस दौरान रूस में बसने और काम करने के लिए अप्रवासियों, विभिन्न जाति व धर्म के लोगों का स्वागत किया गया। पूर्व से आने वाले विचारों में रूसियों की हमेशा दिलचस्पी रही है। भारतीय पुस्तकों, योग और अध्यात्म जैसी चीजों ने सोवियत संघ काल में हिंदू मान्यताओं का अध्ययन करने में मदद की, जो 1990 के दशक में नास्तिकता की ओर झुका हुआ था।
रूस की राजधानी मॉस्को में हिंदू भवन और सामुदायिक केंद्र समेत कई आध्यात्मिक स्थल हैं। अब मॉस्को में भारतीय समुदाय ने एक हिंदू मंदिर बनाने की मांग की है। सांस्कृतिक संरचनाएं पूरे रूस में फैली हुई हैं, जो हिंदू धर्म की व्यापक स्वीकृति को दर्शाती है। रूस का कानून लोगों को अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने की अनुमति देता है। मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में इस्कॉन मंदिरों की उपस्थिति है। हालांकि, इस्कॉन मंदिर एक सादे भवन के अंदर स्थित है, जिसे भारतीय समुदाय बदलना चाहता है। मंदिर की संरचना की मांग भारतीय समुदाय के देश में उचित प्रधिनिधित्व का प्रतीक है। यह मांग इसलिए भी खास है क्योंकि यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले की गई है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका और अन्य सदस्य देश सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर जोर देते हुए वैश्विक और स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।