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लेह में हिंसा भड़कने के बाद तनाव, स्कूल-कॉलेज बंद; शांति के लिए केंद्र ने भेजा विशेष दूत

नई दिल्‍ली : केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में हिंसा भड़कने के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। मामले को सुलझाने के लिए नई दिल्ली ने लेह में एक विशेष दूत भेजा है। वहीं, लेह और कारगिल जिलों से तीन-तीन प्रतिनिधियों वाले 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल गुरुवार शाम को दिल्ली के लिए रवाना हुआ, ताकि केंद्र सरकार के साथ बातचीत की जा सके। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के अध्यक्ष थुप्स्तान छेवांग ने संकेत दिया कि वे आगे का रास्ता निकालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘केंद्र का एक अधिकारी आया है। हमें जो संकेत मिल रहा है, वह यह है कि वे तुरंत बातचीत शुरू करने के लिए तैयार हैं।’ छेवांग ने बताया कि 6 अक्टूबर को होने वाली बातचीत पहले से ही तय थी, लेकिन बुधवार की हिंसा के चलते बाधाएं खड़ी हुई हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘हमें अधिकारियों से जो संकेत मिला है, वह यह है कि हम दिल्ली में बैठक के लिए जा रहे हैं।’

लद्दाख में गुरुवार को तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने लेह शहर में कर्फ्यू सख्ती से लागू किया। एक दिन पहले राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोग मारे गए और 90 अन्य घायल हो गए थे। लेह एपेक्स बॉडी की ओर से लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के विस्तार और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को बंद बुलाया गया था। इस दौरान हिंसा के सिलसिले में अब तक 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि कर्फ्यू वाले इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है। कहीं से भी किसी घटना की सूचना नहीं है।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए लेह के जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोनक ने शुक्रवार से दो दिन के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र भी बंद रहेंगे। हिंसा बढ़ने के कारण जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को अपनी पखवाड़े भर से चल रही भूख हड़ताल को बीच में ही छोड़ना पड़ा। उन्होंने हिंसा की निंदा की। वांगचुक ने कहा, ‘यह लद्दाख के लिए सबसे दुखद दिन है। पिछले पांच सालों से हम जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह शांतिपूर्ण था।’ उन्होंने युवाओं से अपील की कि हिंसा तुरंत बंद करें क्योंकि यह हमारे आंदोलन को नुकसान पहुंचाती है।

हालांकि, केंद्र सरकार ने इस अशांति के लिए वांगचुक को ही जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि यह भीड़ की ओर से की गई हिंसा उनके भड़काऊ बयानों से प्रेरित थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लद्दाख में पर्याप्त संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। साथ ही, कहा कि पुलिस विदेशी तत्वों की संभावित भागीदारी की जांच कर रही है क्योंकि घायलों में से तीन नेपाली नागरिक थे। वांगचुक ने गृह मंत्रालय के आरोपों को बलि का बकरा बनाने की रणनीति बताया, जिसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र की मूल समस्याओं से निपटने को टालना है। कार्यकर्ता ने कहा कि वह सख्त जन सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार होने के लिए तैयार हैं।

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