अग्निवीर योजना : विपक्ष की ‘अग्नि’ ठंडी करने की तैयारी
–जितेन्द्र शुक्ला
लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के इण्डिया गठबंधन ने यूं तो महंगाई, बेरोजगारी, कथित रूप से आरक्षण समाप्त करने एवं संविधान बदलने सरीखे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। नतीजा यह रहा कि भाजपा नीत वाला एनडीए गठबंधन लगातार तीसरी बार हांफते-कांपते केन्द्रीय सत्ता में काबिज होने में सफल रहा। इस दौरान इण्डिया गठबंधन ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अग्निवीर योजना की भी जमकर आलोचना की और इसे सेना में जाकर देश की रक्षा करने वाले युवाओं के साथ विश्वासघात तक करार दिया। इतना ही नहीं, संसद के पहले ही सत्र में विपक्ष ने इसी अग्निवीर योजना को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने का भरपूर प्रयास किया। विपक्ष ने एनडीए में शामिल गैर भाजपा दलों को भी इस बात के लिए बाध्य कर दिया कि वे इस योजना का विरोध नहीं कर सकते तो कम से कम इसकी समीक्षा के लिए सरकार पर दबाव बनायें। हुआ भी कमोवेश ऐसा ही।
नितीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने दबे शब्दों में केन्द्र से इस योजना की समीक्षा करने की मांग कर डाली। वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस योजना को भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण साबित करने के लिए अपना पक्ष पूरी मजबूती से रखा। प्रधानमंत्री ने तर्क दिया कि यह योजना भारतीय सेना को ‘युवा’ बनाने की है, लेकिन विपक्ष को यह आपत्ति थी कि सेना में मात्र चार साल सेवा देने के बाद अग्निवीरों का भविष्य क्या होगा? विपक्ष की इसी मंशा को भांपते हुए और उनके वारों को कुंद करने के लिए केन्द्र की मोदी नीत एनडीए सरकार ने आक्रामक रुख अख्तियार किया। मोदी सरकार ने सेवानिवृत्ति के बाद अग्निवीरों के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों में समायोजन की व्यवस्था का ऐलान किया। उधर, भाजपा नीत राज्य सरकारों ने भी अपने यहां पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेन्सियों में अग्निवीरों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने का ऐलान कर दिया। भाजपा सरकारों की इन घोषणाओं के बावजूद विपक्ष युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बार-बार यह घोषणा कर रहा है कि इण्डिया गठबंधन की सरकार बनते ही अग्निवीर योजना को समाप्त कर दिया जायेगा और देश की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर करने को तत्पर नौजवानों को नियमित सैनिक बनाया जायेगा।
दरअसल, लोकसभा चुनाव से लेकर सरकार बनने के बीच विपक्ष लगातार अग्निवीर के मुद्दे पर सरकार को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश में जुटा है। 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के पहले सत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मुद्दे पर आक्रामक नजर आए। विपक्षी दल समेत एनडीए के प्रमुख घटक जनता दल यूनाइटेड ने भी अग्निवीर योजना में संशोधन का समर्थन किया था। विपक्ष के लगातार दबाव के बीच पीएम मोदी ने इस संबंध में सरकार का रुख साफ कर दिया। पीएम ने करगिल विजय दिवस के मौके पर अग्निवीरों को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। पीएम मोदी के रुख से यह साफ हो गया कि राहुल गांधी की मंशा तो पूरी नहीं होने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अग्निपथ योजना को सेना की तरफ से किए गए आवश्यक सुधारों का एक उदाहरण बताया। पीएम ने विपक्ष पर सशस्त्र बलों में औसत आयु वर्ग को युवा रखने के उद्देश्य से शुरू की गई इस भर्ती प्रक्रिया पर राजनीति करने का आरोप लगाया। मोदी ने करगिल युद्ध में जीत की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित करगिल विजय दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि कुछ लोग राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एक संवेदनशील मुद्दे पर भी राजनीति कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उन दावों को भी खारिज कर दिया कि पेंशन के पैसे बचाने के लिए अग्निपथ योजना शुरू की गई थी। पीएम मोदी ने कहा कि वे अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य हमारे सैनिकों को युवा और युद्ध के लिए तैयार करना है। वे कह रहे हैं कि अग्निवीर योजना नरेंद्र मोदी द्वारा पेंशन बचाने के लिए शुरू की गई है। पीएम ने कहा कि ऐसे लोगों की सोच से भ्रम होता है। उन्होंने कहा कि जरा कोई मुझे बताए आज मोदी के शासनकाल में जो भर्ती होगा क्या आज ही उनको पेंशन देना है? उनको पेंशन देना तो 30 साल बाद आएगी, मोदी उस समय 105 साल का होगा, उसके लिए मोदी आज गाली खाएगा। क्या तर्क दे रहे हैं? उन्होंने कहा कि सेना की तरफ से किए गए जरूरी रिफॉम्र्स का एक उदाहरण अग्निपथ स्कीम भी है। अग्निपथ स्कीम से देश की ताकत बढ़ने के साथ ही हमें सामथ्र्यवान युवा भी मिलेंगे। कुछ लोग सेना के इस रिफॉम्र्स में भी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में राजनीति कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के बयान से एक चीज तो साफ है कि कांग्रेस पार्टी और उनके नेता राहुल गांधी की अग्निपथ को खत्म किए जाने की मांग तो पूरी नहीं होगी। हालांकि, कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में सरकार में आने पर अग्निपथ योजना को खत्म करने का वादा किया था। सरकार के गठन के बाद भी राहुल गांधी लगातार यह बात कह रहे हैं कि सत्ता में आने पर पर कांग्रेस सेना में भर्ती की इस स्कीम को खत्म कर देगी। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर सरासर झूठ बोल रहे हैं। इस योजना को लेकर युवाओं में रोष है और कांग्रेस इस मांग पर कायम है कि इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। राहुल गांधी ने लोकसभा में ड्यूटी के दौरान अग्निवीरों की मौत के बाद मिलने वाले मुआवजे का मुद्दा उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि ड्यूटी के दौरान देश की रक्षा करते हुए जो अग्निवीर अपनी जान न्योछावर करते हैं, उन्हें सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं दिया जा रहा। हालांकि, रक्षामंत्री राजनार्थ ंसह और यहां तक कि सेना ने भी राहुल गांधी के आरोपों को पुरजोर तरीके से खारिज किया। बीजेपी ने राहुल गांधी पर अग्निवीर के मुद्दे पर झूठ बोलने और देश को गुमराह करने का भी आरोप लगाया। इसके बाद भी राहुल गांधी और कांग्रेस के तेवरों में नरमी नहीं आई।
उधर, विपक्ष का वार को कुंद करने के लिए भाजपा शासित राज्य अग्निवीरों को लिए एक के बाद एक आरक्षण की घोषणा कर रहे हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि देश की सेवा करके लौटने वाले अग्निवीरों को यूपी पुलिस और पीएसी बल में वेटेज दिया जाएगा। उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी इस योजना का समर्थन करते हुए राज्य की नौकरियों में अग्निवीरों को आरक्षण देने के निर्णय की घोषणा की है। उधर, हरियाणा सरकार ने कहा है कि राज्य कांस्टेबल, मार्इंनग गार्ड, वन रक्षक, जेल वार्डन और एसपीओ के पदों पर सीधी भर्ती में अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगा। जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि उनकी सरकार अग्निवीरों को उनकी सेवा समाप्ति के बाद पुलिस और सशस्त्र बलों की भर्ती में आरक्षण प्रदान करेगी। कारगिल दिवस के अवसर पर ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर्र ंसह धामी ने भी कहा कि हम सरकारी सेवाओं में उन्हें आरक्षण देने के लिए प्रावधान करेंगे और एक अधिनियम लाएंगे। हम विभिन्न सरकारी विभागों में उनके कौशल और अनुशासन का उपयोग करेंगे।
गौरतलब है कि सरकार ने सेना के तीनों अंगों में औसत आयु वर्ग को युवा रखने के उद्देश्य से 2022 में ‘अग्निपथ भर्ती योजना’ शुरू की थी। इस योजना में साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को चार साल की अवधि के लिए अग्निवीर के रूप में भर्ती करने का प्रावधान है। इनमें से 25 प्रतिशत को अगले 15 वर्षों तक बनाये रखने का प्रावधान है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस योजना को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं कि चार साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शेष 75 प्रतिशत अग्निवीरों का क्या होगा। कांग्रेस का कहना है कि अग्निवीर को कोई पेंशन नहीं मिलती, कोई ग्रैच्युटी नहीं मिलती, परिवार को पेंशन नहीं मिलती, बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा भत्ता नहीं मिलता।
तीनों सेनाओं में अग्निवीरों की भर्ती से जुड़ी अग्निपथ स्कीम को लेकर मोदी सरकार ने विपक्ष के निशाने पर आने और लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिले झटके के बाद बैकफुट पर आई मोदी सरकार ने अब इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से काउंटर करने की तैयारी कर ली है। इसकी अहम वजह यह है कि एनडीए के एक सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ने इसकी समीक्षा की मांग कर डाली थी। यही वजह है कि अब मोदी सरकार सेंट्रल आम्र्ड फोर्सेज की भर्ती में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का जोर-शोर से प्रचार कर रही है। पूर्व अग्निवीरों को शारीरिक दक्षता परीक्षा भी नहीं देनी होगी और उन्हें उम्र में भी छूट मिलेगी। वैसे तो सीएपीएफ भर्तियों में अग्निवीरों को तरजीह दिए जाने का ऐलान तो पिछले साल ही हो चुका था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तब ऐलान किया था कि सेंट्रल सिक्यॉरिटी फोर्सेज में पूर्व अग्निवीरों को आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन अब बीएसएफ, सीआईएसएफ के चीफ आगे बढ़कर इसका ऐलान कर रहे हैं। दरअसल, मोदी सरकार अग्निपथ के मुद्दे पर अब और जोखिम नहीं ले सकती। अगले 2-3 महीनों में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव होने हैं। सीआईएसएफ की डायरेक्टर जनरल नीर्ना ंसह के मुताबिक, सीआईएसएफ भविष्य में कॉन्स्टेबल पद पर नियुक्तियों के लिए होने वाली सभी भर्तियों में पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व अग्निवीरों को फीजिकल टेस्ट से भी छूट मिलेगी। इतना ही नहीं, उन्हें उम्र में भी छूट दी जाएगी। पहले साल उन्हें ऊपरी आयु में 5 साल तक की छूट मिलेगी जबकि उसके बाद के वर्षों में ये छूट 3 साल रहेगी।
इसी तरह बीएसएफ के डीजी अग्रवाल ने भी बताया कि पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। उनकी नियुक्ति बॉर्डर पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे बीएसएफ को भी फायदा होगा क्योंकि उसे पहले से ही प्रशिक्षित जवान मिलेंगे जिनके पास 4 साल का अनुभव होगा। उन्होंने भी इस बात की पुष्टि की कि पूर्व अग्निवीरों को ऊपरी आयु सीमा में भी छूट मिलेगी। इसी तरह, सीआरपीएफ के डीजी अनीश दयार्ल ंसह ने भी भर्ती में पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए नियमों में उसी के हिसाब से जरूरी बदलाव करने का ऐलान किया। रेलवेज प्रोटेक्शन फोर्स के डीजी मनोज यादव ने भी आरपीएफ की भर्तियों में पूर्व अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण, शारीरिक दक्षता परीक्षा से छूट और ऊपरी आयु सीमा में छूट देने की बात कही। वहीं सशस्त्र सीमा बल या एसएसबी के डीजी दलजीर्त ंसह चौधरी ने भी बल की भर्तियों में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का ऐलान किया है। वहीं दूसरी ओर कारगिल विजय दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों ने अग्निवीरों को पुलिस भर्तियों में आरक्षण देने की घोषणा की है। छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात और उत्तराखंड सरकार ने भी अपने यहां अग्निवीरों को आरक्षण देने की बात कही है। ओडिशा सरकार ने राज्य की सेवाओं में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण और उम्र में पांच साल छूट की घोषणा की है। सभी छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने खुद इसकी जानकारी देते हुए कहा कि राज्य पुलिस भर्तियों में अग्निवीर की नौकरी करके आए युवाओं को आरक्षण दिया जाएगा।
कई मुख्यमंत्रियों ने अग्निवीर योजना को लेकर मोदी सरकार की पीठ भी थपथपाई। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को लेकर कहा कि किसी भी देश और समाज को आगे बढ़ने के लिए समय-समय पर सुधार करना जरूरी होता है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अग्निवीर जब अपनी सेवा के बाद वापस आएंगे, तो हम उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में, पीएसी में इन नौजवानों को प्राथमिकता के आधार पर समायोजन की सुविधा देंगे। उन्होंने कहा कि उनके लिए एक निश्चित आरक्षण की सुविधा उत्तर प्रदेश पुलिस में उपलब्ध कराएंगे। आज अग्निवीर में युवा भर्ती हो रहे हैं। उन्हें सेना में भी अच्छे अवसर मिलने वाले हैं। पैरामिलिट्री फोर्स में भी उन्हें समायोजन करने की व्यवस्था दी जा रही है।
बीएसएफ-सीआईएसएफ सहित तमाम फोर्स में उन्हें अच्छे अवसर मिलने वाले हैं। अग्निवीर योजना जैसे ही आगे बढ़ती है और जब अग्निवीर अपनी सेवा कर वापस आएंगे तो हम उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में, पीएसी में इन नौजवानों को प्राथमिकता के आधार पर समायोजन की सुविधा देंगे। उनके लिए एक निश्चित आरक्षण की सुविधा उत्तर प्रदेश पुलिस में उपलब्ध कराएंगे। वहीं, यूपी के अलावा भी अन्य पांच राज्यों ने भी अग्निवीरों के लिए अपने यहां होने वाली पुलिस भर्तियों में आरक्षण देने की बात कही है। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में अग्निवीरों के लिए सरकारी सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा और इसके लिए एक अधिनियम लाया जाएगा। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और गुजरात में राज्य पुलिस भर्तियों में आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया गया है। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने कहा कि आज कारगिल दिवस के अवसर पर हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशानुसार अग्निवीर जवानों को पुलिस एवं सशस्त्र बलों की भर्ती में आरक्षण दिया जाएगा। ओडिशा सरकार ने राज्य की सेवाओं में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण और उम्र में पांच साल छूट की घोषणा की है। सीएम मोहन चरण माझी ने कहा कि हमारे सैनिक हमारा गौरव हैं। रक्षा बलों द्वारा प्रशिक्षित अग्निवीर विभिन्न सुरक्षा-संबंधी क्षेत्रों में राष्ट्र की सेवा करने के लिए योग्य हैं। जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी अग्निवीरों को राज्य पुलिस में आरक्षण देने का एलान किया है।