अहोई अष्टमी राधाकुण्ड :आस्था पर लगा सुरक्षा का पहरा, नि:संतान दम्पति नहीं लगा सकेंगे डुबकी
हर साल पुत्र रत्न प्राप्ति की आस में अहोई अष्टमी पर्व पर राधाकुण्ड कस्बे में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के अरमानों पर इस बार कोरोना ने पानी फेर दिया है। आस्था पर सुरक्षा का पहरा लगा दिया गया है।
निःसंतान दम्पतियों को अब पुत्ररत्न प्राप्ति के लिए एक और साल का इंतजार करना होगा। कोविड-19 को लेकर जिला प्रशासन ने मेला निरस्त करते हुए रविवार पूरे कुंड की बेरिकेडिंग कर दी है।
वहां अतिरिक्त पुलिसफोर्स भी तैनात किए है। रविवार सुबह एक-दो श्रद्धालु जरूर राधाकुण्ड स्नान को पहुंचे और पूजा अर्चना की लेकिन पुलिस ने हिदायत देते हुए उन्हें वहां से रवाना कर दिया।
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गोवर्धन कस्बा जहां परिक्रमा मार्ग में राधा कुंड स्थित है। इस कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को पति-पत्नी एक साथ स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है और श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि मथुरा के राजा कंस ने कृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर राक्षस को यहां भेजा था, राक्षस ने गाय रूपी भेष धारण किया और ग्वालवालों के यहां गाय को मारने लगा।
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कृष्ण त्रिलोकी थे, उन्होंने अरिष्टासुर राक्षस को पहचान लिया और उसका वध कर दिया। राधा ने देखा की कृष्ण ने गो हत्या कर दी है. राधा ने कृष्ण से कहा इस पाप से मुक्ति पाने के लिए आपको सभी नदियों में जाकर स्नान करना पड़ेगा। तभी आपको इस पाप से मुक्ति मिलेगी।
कृष्ण ने नारद का आह्वान किया। कृष्ण ने नारदजी से कहा सभी तीर्थों को यहां आने के लिए निमंत्रण भेजो। मान्यता है कि इसलिए इस कुंड में सभी तीर्थों का वास है, कृष्ण जब गो हत्या के श्राप से मुक्त होने के लिए कृष्ण और राधा ने एक साथ कुंड में स्नान किया।
उस दिन कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी थी, राधा ने आशीर्वाद दिया कि कोई भी दंपत्ति अहोई अष्टमी के दिन मध्यरात्रि में एक साथ स्नान करेंगे तो उनको संतान प्राप्ति होगी। रविवार एसडीएम राहुल यादव ने बताया राधा कुंड में अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि को विशेष स्नान होता है।
जिसे संतान प्राप्ति स्नान भी कहा जाता है, लेकिन कोविड-19 की वजह से रविवार मध्य रात्रि को स्नान कार्यक्रम निरस्त किया गया है। कुंड के चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाई गई हैं, कोई भी व्यक्ति इस बार स्नान नहीं करेगा।
आस्था पर सुरक्षा का पहरा लगा दिया गया है। मेला निरस्त करने के बाद जलस्वरूपा राधारानी के कुंड को बेरीकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया है। अब निःसंतान दंपती को संतान प्राप्ति के लिए स्नान को एक साल का इंतजार करना पड़ेगा।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए 170 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। परिक्रमा मार्ग में परिवर्तन करते हुए रामलीला मैदान से पुलिस चौकी के रास्ते से परिक्रमा सुचारू रखी जाएगी।
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