देहरादून (गौरव ममगाईं)। देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू सिलक्यारा आपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा करना ऐतिहासिक उपलब्धि है। एक तरफ देश में रेस्क्यू पूरा होने की खुशी है वहीं, दूसरी ओर इस रेस्क्यू ने एक बार फिर ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ (एआई) की प्रासंगिकता को लेकर छिड़ी बहस को और तेज कर दिया है।
दरअसल, दुनिया की सबसे बड़ी मशीनें अंतिम समय में जब जवाब दे गई थीं, तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाथ से खुदाई करने वाले रैट माइनर्स टीम को खुदाई का जिम्मा सौंपा, फिर क्या था.. महज 21 घंटे में ही रैट माइनर्स ने 15 मीटर की खुदाई पूरी कर रेस्क्यू को पूरा कर दिखाया। रैट माइनर्स के मानव कौशल को देखकर देश-दुनिया के बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी हैरान रह गए।
आइये सबसे पहले जानते हैं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस होता क्या है ?
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का हिंदी अर्थ ‘कृत्रिम बुध्दिमत्ता’ है। अर्थात् यह मनुष्य द्वारा निर्मित मानव बुध्दि का रूप है। रोबोट भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उदाहरण है। ऐसी सभी उपकरण, मशीनें जो मानव द्वारा दी गई कमांड के अनुसार कार्य करते हैं, वे सब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कहलाते हैं। आज आपदा प्रबंधन में ड्रोन रेस्क्यू, परिवहन में आटामेशन व्हीकल, स्वास्थ्य में डिसीजन सपोर्ट सिस्टम व शिक्षा, मनोरंजन समेत कई अन्य क्षेत्रों में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को प्रयोग में लाया जा रहा है।
आज दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर छिड़ी है बहसः
आज दुनिया में ‘आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ सबसे प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। तकनीकी युग में आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की उपयोगिता को लगातार बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। कई वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बहुत ही महत्त्वपूर्ण मान रहे हैं और मानव की भूमिका को बेहद सीमित करने की वकालत करते दिखाई देते हैं।
वहीं, कई वैज्ञानिक व बुध्दिजीवियों का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मनुष्य के काम को बेहद सरल व सुव्यवस्थित ढंग से करने में तो सक्षम है, लेकिन इसकी कई खामियां भी हैं। इसलिए इसका प्रयोग एक सीमा तक ही होना चाहिए। कई जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मानव का स्थान कभी नहीं ले सकता है। एआई से बेरोजगारी भी बढ़ेगी, जिससे सामाजिक समस्याओं को बढ़ावा मिलेगा।
क्या है रैट माइनर्स इतिहास ?
जानकारों के अनुसार, बुंदेलखंड में सदियों पहले से रैट माइनर्स ही खुदाई करते आ रहे हैं। चंदेल शासकों के समय से रैट माइनर्स की उपयोगिता रही है। चंदेल शासक परमादित्य ने कालिंजर का किला बनवाया तो इसमें खुदाई में कई अड़चनें आई, तब रैट माइनर्स ने ही खुदाई पूरी की थी। एक मान्यता यह भी है कि प्राचीन समय में मंदिरों के निर्माण के समय पैरों को जमीन पर रखना शुभ नहीं माना जाता था, तब रैट माइनर्स ही हाथों के जरिये पूरी खुदाई करते थे।
भले ही आज तकनीकी युग में आर्टिफिशियल इंटेजीजेंस की उपयोगिता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह भी समय-समय पर सिध्द होता रहा है कि एआई कभी भी मानव का स्थान नहीं ले सकता है। देश के सबसे बड़े सिलक्यारा रेस्क्यू में भी एक बार फिर मानव कौशल का महत्त्व साबित हुआ है।