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AIMIM की हुई मध्य प्रदेश चुनाव में एंट्री, ओवैसी की पार्टी ने इन दो विधानसभा सीट पर उतारे प्रत्याशी

भोपाल : मध्य प्रदेश के चुनावी रण में अब असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की भी एंट्री हो गई है. बुरहानपुर विधानसभा सीट के बाद जबलपुर की पूर्व विधानसभा क्षेत्र से भी AIMIM ने अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है. अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित जबलपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से गजेंद्र उर्फ गज्जू सोनकर ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार होंगे. पार्टी द्वारा प्रत्याशी की घोषणा के बाद जबलपुर में गज्जू सोनकर और AIMIM के समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया है. इस खबर ने उन तमाम कयासों पर विराम लगा दिया, जिसमें ये चर्चा जोरों पर थी कि AIMIM प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेगी.

बुरहानपुर विधानसभा सीट से AIMIM उम्मीदवार अमान मोहम्मद गोटेवाला के नामांकन फॉर्म भरने की खुशी जबलपुर में भी देखी जा रही है. इस फैसले से AIMIM से जुड़े पूर्व और मध्य विधानसभा के नेता खुश दिखे. वहीं पूर्व में AIMIM के चुनाव नहीं लड़ने की खबरों की वजह से स्थानीय नेताओं को सोशल मीडिया पर काफी किरकिरी झेलनी पड़ी थी. पूर्व विधानसभा के मुस्लिम इलाकों में काफी समय से सक्रिय गज्जू सोनकर को AIMIM से टिकट की आस थी. सूत्रों के मुताबिक पार्टी आलाकमान ने पूर्व विधानसभा से गज्जू को टिकट देने के लिए पहले मना कर दिया था, लेकिन फिर भी गज्जू सोनकर अधिकृत घोषणा का इंतजार करते रहे. पूर्व पार्षद राम सिंह जाट की दावेदारी भारी पड़ते देख ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि गज्जू बतौर निर्दलीय मैदान में उतरेंगे.

पूर्व विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी तादाद है. यहां AIMIM का असर नगर निगम चुनावों में देखा जा चुका है. इसी इलाके से AIMIM के दो पार्षदों ने चुनाव जीतकर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था. ऐसे में AIMIM के मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक हो गया है. फिलहाल, पूर्व के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशी लखन घनघोरिया की चहलकदमी ज्यादा है. बीजेपी उम्मीदवार अंचल सोनकर का यहां फोकस कम है. जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया और बीजेपी के पूर्व मंत्री अंचल सोनकर के बीच है. पिछले चुनाव में अंचल सोनकर को लखन घनघोरिया ने 35 हजार से अधिक वोटो के अंतर से हराया था. माना जा रहा है कि AIMIM के उम्मीदवार के मैदान में आने से मुस्लिम वोटरों का बंटवारा होगा, जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.

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